लखनऊ। यूपी के हाथरस जिले के पुलराई गांव में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के बाद मची भगदड़ में 116 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत हो गई। इनमें 108 महिलाएं, 7 बच्चे और 1 पुरुष है। सैकड़ों घायलों में से कई गंभीर हैं। भोले बाबा हर महीने पहले मंगलवार को सत्संग करते हैं, जिसमें यूपी, राजस्थान, हरियाणा, मप्र, पंजाब से लोग आते हैं। ऐसा ही आयोजन हाथरस में था, जिसमें करीब ढाई लाख लोग पहुंचे थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया, दोपहर 1ः30 बजे सत्संग के बाद बाबा निकलने लगे तो श्रद्धालु पैर छूने के लिए आगे बढ़े। भीड़ देख सेवादार बाबा को सत्संग स्थल के पिछले दरवाजे से निकालने लगे। इस बीच, बाबा के पास पहुंचने की होड़ में भीड़ बेकाबू हो गई। काफिला निकालने के लिए सेवादार लोगों को धकेल कर रास्ता बनाने लगे, इससे भगदड़ मच गई। मौके पर कई लोग दब गए। घटना के बाद से बाबा सामने नहीं आए हैं। इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई लेकिन उसमें बाबा का नाम शामिल नहीं किया गया जो यूपी सरकार और केंद्र सरकार पर बड़ा सवाल है।
बाबा को बचाने में कौन लोग कर रहे कोशिश
बाबा की गिरफ्तारी के सवाल पर डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा, अभी कुछ नहीं कह सकते, जांच जारी है। सीएस मनोज सिंह ने बताया, उच्च स्तरीय कमेटी 24 घंटे में रिपोर्ट देगी। आयोजकों पर गैर इरादतन हत्या का केस होगा। आयोजन स्थल से 3 किमी तक जाम, घायलों को अस्पताल ले जाने में देरी… घटनास्थल से तीन किमी दूर तक सड़क किनारे अनुयायियों के वाहनों से जाम लगा था। इससे घायलों को अस्पताल पहुंचने में भी देरी हुई। कई लोगों ने रास्ते में दम तोड़ दिया। अस्पतालों में भी भीड़ से अव्यवस्था हो गई। अस्पताल के बाहर लोग शवों के बीच अपनों की तलाश करते देखे गए।
कौन हैं भोले बाबा उ र्फ नारायण हरि…
भोले बाबा यूपी पुलिस में कांस्टेबल थे। 17 साल पहले नौकरी छोड़ी, पत्नी के साथ सत्संग करते हैं। भोले बाबा के नाम से प्रसिद्ध नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल जाटव यूपी के एटा के हैं। यूपी पुलिस में 18 साल नौकरी की। 17 साल पहले वीआरएस लिया। पत्नी के साथ सत्संग करते हैं। अनुयायियों में एससी-एसटी-ओबीसी वर्ग के लोग ज्यादा हैं। सत्संग की व्यवस्था सेवादार संभालते हैं। हाथरस के आयोजन में 12 हजार सेवादार लगे थे।
हादसे के बाद बाबा गायब क्यों
सवाल यह है कि हादसे के बाद से बाबा नारायण साकार हरि सामने क्यों नहीं आए। उनकी ओर से कोई बयान क्यों नहीं आया। जबकि हजारों श्रद्धालु सिर्फ उन्हें सुनने-देखने पहुंचे थे और इस हादसे का शिकार हो गए। एक छोटे से गांव में बिना अनुमति के इतनी बड़ी भीड़ पहुंच गई, आखिर जिम्मेदार क्यों भांप नहीं पाए? हादसे के बाद बाबा गायब क्यों हो गए?