- सीएम ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का दिया निर्देश
- स्वास्थ्य मंत्री ने प्रभावित जिले के डीएम व कमीश्नर के साथ बैठक कर दिए आवश्यक निर्देश
पटना। उत्तरी बिहार में विभिन्न स्थानों पर नदियों के उफान पर होने के कारण जन-जीवन पूरी तरह से पटरी से उतर गया है। लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। मवेशियों के लिए चारे का भी संकट पैदा होने लगा है। इसको लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। वहीं स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सभी जिले के डीएम से बैठक कर आवश्यक निर्देश दिया है। सीएम के दौरे के बाद बाढ़ प्रबंधन और राहत कार्यों में पहले से अधिक तेजी देखी जा रही है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का निर्देश भी दिया। सीएम के निर्देश पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर स्थापित किए जा रहे हैं और आवश्यक सहायता पहुंचायी की जा रही है।
बागमती नदी में बढ़ा जल स्तर
कई नये इलाकों में पानी भर जाने से तिरहुत प्रमंडल के विभिन्न जिलों में बीते 24 घंटे में कई नए इलाकों में पानी पहुंच जाने से आवागमन प्रभावित हुआ है। जन-जीवन पटरी से उतर गया है। लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। मवेशियों के लिए चारे का संकट पैदा होने लगा है। सबसे अधिक चिंताजनक हालात पश्चिम चंपारण जिला में हैं। नेपाल से लगातार पानी छोड़े जाने के कारण वाल्मीकिनगर गंडक बराज अपनी क्षमता की अधिकतम सीमा तक भर गया है। गंडक के साथ-साथ सिकरहना नदी भी उफान पर है. भितहा के सेमरवारी पंचायत में करहिया-बसौली मुख्य मार्ग तेज बहाव में टूटने से आवागमन बाधित हो गया है। लौरिया-नरकटियागंज मार्ग पर स्थित ऐतिहासिक अशोक स्तंभ परिसर भी जलमग्न हो गया। शिवहर में भी बागमती नदी के उफान पर होने के कारण कई इलाकों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। निचले इलाकों के लोग पलायन कर रहे हैं. पूर्वी चंपारण जिले में बूढ़ी गंडक नदी में पानी बढ़ने के साथ ही ग्रामीणों को आवागमन की चिंता सताने लगती है। भेलवा पंचायत के सबली गांव में करीब 1200 लोग प्रभावित हैं।
नेपाल ने कब छोड़ा कितना पानी
मिली जानकारी के अनुसार, नेपाल ने बीते शनिवार से अब तक करीब 22 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है। इससे गंडक नदी पर बना वाल्मीकिनगर बराज पर जल स्तर उच्चतम बाढ़ स्तर 112.40 मीटर के मुकाबले 109.667 मीटर पर पहुंच गया है। बैराज से शनिवार की रात 10 बजे 3.32 लाख क्यूसेक और रात 12 बजे 3.50 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। रविवार सुबह दो बजे 4.12 लाख, चार बजे 4.24 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। सोमवार को 2 लाख 70 हज़ार क्यूसेक पानी छोड़े जाने की सूचना है। नेपाल कोसी बराज से चार लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने विभाग के अधिकारियों को किया अलर्ट
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने एक निर्देश जारी कर कहा है कि बाढ़ की आशंका को देखते हुए सभी संभावित प्रभावित जिले आपदा से निपटने की हर तैयारी रखें। मंत्री के स्तर पर सभी प्रमंडलीय आयुक्तों के साथ ही जिलाधिकारी, सिविल सर्जनों को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि प्रदेश के 15 जिले अतिबाढ़ ग्रस्त होते हैं। इनका प्रभाव अन्य जिलों पर भी होता है। बाढ़ की वजह से जान-माल की क्षति के साथ-साथ जल-जनित बीमारियों का खतरा भी होता है। इस तरह की चुनौती से निपटने के लिए विभाग को अलर्ट किया गया है।
अस्थाई मोबाइल मेडिकल टीमों का गठन
जिला एवं प्रखंड स्तर पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्थायी और अस्थायी मोबाइल मेडिकल टीम गठित किए जा रहे हैं। इन्हें आवश्यकता के आधार पर प्रभावित जिलों में प्रतिनियुक्त किया जाएगा।
नौका औषधालयों की भी व्यवस्था
जिन स्थानों का संपर्क अन्य जिलों से कट जाता है, वहां वहां नौका औषधालय स्थापित किए जा रहे हैं। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में डायरिया का खतरा अधिक होता है। ससमय उपचार के आभाव में जान जाने की आशंका को देखते हुए इसकी रोकथाम के लिए ओआरएस और एंटीडायरियल दवाओं की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।इसके अलावा, हैलोजन टेबलेट, ब्लीचिंग पाउडर, सर्पदंश की दवा, कुत्ता-सियार के काटने के उपचार के लिए एंटी रेबिज वैक्सीन की भी पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
डिलीवरी किट की व्यवस्था करने का दिया निर्देश
उन्होंने कहा इसके अलावा, नवजात शिशुओं के नियमित टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की पूर्व में पहचान कर डिलीवरी किट की व्यवस्था भी की गयी है। मच्छरों के प्रकोप से निपटने के लिए भी व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं।