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रूपौली चुनाव Analysis : क्या बीमा भारती की राजनीतिक ‘बीमा’ खत्म हो गई

फैक्ट फाइल
रूपौली विधानसभा क्षेत्र में 25% आबादी EBC की है, जबकि राजपूतों की आबादी सिर्फ 7 प्रतिशत।
जाति सर्वे के मुताबिक, राज्य में ईबीसी समुदाय की आबादी सबसे ज्यादा 36 फीसदी है।

हिमांशु शेखर |  पूर्णिया जिले का रूपौली विधानसभा क्षेत्र इन दिनों चर्चा का विषय है। चर्चा न केवल राजनीतिक दलों में हो रही है बल्कि आमजन के बीच भी है। कारण है विधानसभा उपचुनाव का परिणाम। यहां जदयू से लगातार तीन बार विधायक रहने के बाद इस बार राजद से चुनाव लड़ने वाली बीमा भारती तीसरे स्थान पर रहीं। जदयू के कलाधर मंडल ने भी काफी जोर आजमाइश की, लेकिन वे भी फिनिशिंग लाइन को टच नहीं कर सके। परिणाम यह रहा कि राजपूत बिरादरी से आने वाले शंकर सिंह ने 19 साल बाद फिर से अपने सिर जीत का सेहरा बांधा। अब रूपौली उपचुनाव परिणाम बीमा भारती के राजनीतिक करियर पर भी प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं। चर्चा है कि पहले बीमा भारती का जदयू को छोड़कर राजद में आना। फिर राजद की टिकट पर पूर्णिया से संसदीय चुनाव हारना। उसके बाद राजद की टिकट पर ही रूपौली विधानसभा उपचुनाव भी हारना, उनकी राजनीतिक ‘बीमा’ खत्म होने की ओर इशारा कर रहे हैं।

पाला बदला पर किस्मत नहीं बदल सकीं

बीमा भारती के पाला बदलने का किस्सा भी दिलचस्प है। राजद से नाता तोड़ने के बाद मुख्यमंत्री ने इस साल 12 फरवरी को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट दिया था। 11 फरवरी को जदयू ने मीटिंग रखी थी। मीटिंग में चार विधायक बीमा भारती, सुदर्शन, डॉ. संजीव और दिलीप राय नहीं पहुंचे। फ्लोर टेस्ट के दौरान बीमा भारती असमंजस में थीं। बीमा जदयू के साथ तो रहीं, लेकिन वोट किसे दिया यह पता नहीं चला। इसी दिन उनके पति बाहुबली अवधेश कुमार मंडल और बेटे पर कार्रवाई की गई। दोनों को पुलिस ने हथियार के साथ पकड़ा। इस कार्रवाई के बाद ही बीमा भारती ने जदयू से रिश्ता तोड़ने का मन बना लिया और लोकसभा चुनाव आते ही जदयू को छोड़ राजद का दामन थाम लिया। राजद ने MY (मुस्लिम-यादव) और BAAP (बी-बहुजन, ए-अगड़ा, ए-आधी आबादी और पी- पुअर) समीकरण को ध्यान में रखते हुए बीमा भारती को मैदान में उतारा। लेकिन यहां निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव ने बड़े अंतर से उन्हें हार का स्वाद चखाया। किस्मत ऐसी रही कि जिस विधानसभा क्षेत्र से इस्तीफा देकर बीमा भारती ने संसदीय चुनाव लड़ा था, वहां हुए उपचुनाव में भी उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी बाहुबली शंकर सिंह ने धोबी पाट पछाड़ा।

कद बढ़ने की जगह घट गया
गंगोता समुदाय से आने वाली बीमा भारती को लग रहा था कि वह लगातार 3 बार से विधायक हैं तो राजनीतिक कद बढ़ाने का समय आ गया है। इसलिए विधायकी से इस्तीफा देकर संसदीय चुनाव लड़ा, पर हार गईं। रूपौली विधानसभा उपचुनाव लड़ा ताकि कद बरकरार रहे, लेकिन गंगोता जाति के वोटर का बिखराव व राजद के आधार वोट बैंक एम-वाय से एम का समर्थन नहीं मिलने से बीमा हार गईं। चर्चा है कि राजद से बीमा भारती और जदयू से कलाधर मंडल दोनों ही गंगोता समुदाय से आते हैं। एक ही समुदाय से दो उम्मीदवार होने के कारण भी लोग नाराज थे और इसका फायदा निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह को मिला।

बीमा के हारने का यह भी एक कारण
रूपौली विधानसभा क्षेत्र के लोगों की बातों पर भरोसा करें तो बीमा भारती अब तक यहां से 5 बार विधायक रही हैं, लेकिन उन्होंने गिनाने के लिए कोई काम नहीं किया। जबकि बीमा भारती 3 जून 2019 से 16 नवंबर 202 तक गन्ना उद्योग मंत्री रह चुकी हैं।

पप्पू यादव का समर्थन भी काम नहीं आया

कलाधर मंडल ने कहा- पप्पू यादव ने लिया तेजस्वी से बदला

चुनाव परिणाम आने के बाद जदयू प्रत्याशी कलाधर मंडल ने कहा कि सच्चाई यह है कि सांसद पप्पू यादव ने भले ही राजद प्रत्याशी बीमा भारती को जिताने की सार्वजनिक अपील भी की हो, लेकिन उन्होंने अपने अल्पसंख्यक कार्यकर्ता समूह को निर्दलीय उम्मीदवार को जिताने के लिए प्रेरित किया, ताकि तेजस्वी यादव से बदला लिया जा सके।

चलिए, जानते हैं कौन हैं शंकर सिंह

शंकर सिंह की छवि इलाके में बाहुबली नेता की है। वो लिबरेशन आर्मी नाम का एक गिरोह चलाते हैं। चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उनके खिलाफ भादवि की धारा के तहत 19 आपराधिक मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं। बावजूद शंकर सिंह लोगों की समस्या दूर करने के लिए भी जाने जाते हैं।

राजनीतिक सफर : 2005 में रामविलास पासवान की पार्टी से हाथ मिलाया। विधानसभा चुनाव में जीत मिली, ज्यादा दिन तक विधायक नहीं रहे। दोबारा चुनाव होने पर बीमा भारती से हार गए। उसके बाद लोजपा से चुनाव लड़ते रहे, लेकिन बीमा भारती से पार नहीं पा सके।

बीमा ने भी पहली बार निर्दलीय ही चुनाव जीता था
बीमा भारती का राजनीतिक करियर वर्ष 2000 से शुरू होता है। उन्होंने इस वर्ष विधानसभा का चुनाव निर्दलीय ही जीता था। साल 2010 में जदयू में शामिल हुईं। रूपौली से लगातार विधायक रहीं। 2014 में जीतन राम मांझी सरकार में पहली दफा मंत्री बनीं। बाद में जून 2019 में नीतीश सरकार ने कैबिनेट में जगह दी और गन्ना मंत्री बनाया। बीमा आवास समिति की सभापति भी रह चुकी हैं। पति अवधेश कुमार मंडल रूपौली में फैजान गिरोह चलाता है। वह भवानीपुर प्रखंड का प्रमुख भी रह चुका है। उस पर हत्या, अपहरण, रंगदारी, जमीन पर कब्जा समेत दो दर्जन से अिधक मामला दर्ज है। कई मामलों वह बरी हो चुका है तो कई में जमानत मिली हुई है।

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Author: newsvistabih

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