बेगूसराय। आई.टी.आई. बेगूसराय के सभागार में आहुति नाटक अकादमी की नवीनतम प्रस्तुति मानव कौन लिखित नाटक – बली और शंभू का मंचन युवा ना निर्देशक मोहित – मोहन के निर्देशन में किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन श्याम साहनी, जिला कला संस्कृति पदाधिकारी, बेगूसराय, वरिष्ठ चित्रकार सीताराम, दीपक कुमार एवं उप – मुख्य पार्षद ऋषिकेश कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उद्घाटन संबोधन करते हुए जिला कला संस्कृति पदाधिकारी श्याम साहनी ने आहुति नाटक अकादमी के कलाकारों को शुभकामना दिया एवं कहा कि नाटक नगरी बेगूसराय में उनकी पहली पदस्थापना है एवं प्रथम कार्यक्रम भी है। मैं पदाधिकारी से पूर्व एक रंगकर्मी हूं। मुझसे जितना संभव होगा, हम आप कलाकारों के साथ हैं।
मनुष्य के जीवन के साथ ही शुरू हुआ नाटक
वरिष्ठ चित्रकार सीताराम ने कहा कि नाटक मनुष्य के जीवन के साथ ही शुरू हुआ है, जब मनुष्य शिकार कर अपना भोजन करता था।शिकार पकाने के समय में कैसे शिकार किया, इसका अभिनय कर अपने-अपने परिवार को दिखाता था। उसी समय से नाटक विद्या की शुरुआत हुई। नाटक हमेशा सामाजिक समस्याओं पर बात करती है। आज का नाटक वृद्धाश्रम में रह रहे दो बुजुर्गों के बीच अपने – अपने आप जीवन में घटित कहानी है।
आगत अतिथियों का किया स्वागत
उप मुख्य पार्षद बीहट के ऋषिकेश कुमार ने कहा कि आहुति नाटक अकादमी ने अपने स्थापना कल से ही युवा रंग निर्देशक को मंच प्रदान करती रही है। इसी कड़ी में आज चर्चित अभिनेता मोहित – मोहन निर्देशित नाटक बली और शंभू के कलाकारों को मेरी शुभकामना है। अकादमी के सचिव रामानुज प्रसाद सिंह ने सभी आगत अतिथि अतिथियों को अंग वस्त्र से स्वागत किया। युवा नाटककार मानव कौल ने वर्तमान समाज में वृद्धाश्रम में रह रहे तो दो बुजुर्गों के जीवन से साक्षात्कार कराया है। आज के भागमभाग भरी जिंदगी में मां-बाप को पीछे छोड़ देते हैं। फिर वह मां-बाप वृद्धाश्रम में जीवन बिताने को विवश हो जाते हैं, सब की खुशियों का ख्याल रखने वाला पिता अकेला रह जाता है, ऐसा ही दो-दो बुजुर्गों की कहानी है बली और शंभू। बली अपने घर से निष्कासित पिता और शंभू अपना सब कुछ मानने वाली बेटी को खो चुका है। पिता, दोनों वृद्धाश्रम में मिलते हैं और अपना दुख-सुख एक-दूसरे से बांटते हुए जीवन व्यतीत करता है। वहां इन दोनों की देखभाल झिलमिल नाम की लड़की करती है। उनके भावनाओं के साथ उनकी सेवा करती है। उनके पसंद ना पसंद का ख्याल करते हुए उन दोनों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन जाती है।
इन कलाकारों ने किया अभिनय
इस नाटक में बाली की भूमिका सचिन कुमार एवं शंभू की भूमिका मोहित-मोहन ने अपने अभिनय से दर्शकों को भाव- विह्वल कर दिया। झिलमिल की भूमिका कविता कुमारी , गौतम की भूमिका सौरभ कुमार ने किया। संगीत संयोजन सूरज कुमार प्रकाश, पवन कुमार वस्त्र विन्यास तथा मंच संचालन कुमार अभिजीत मुन्ना ने किया। अंत में अकादमी के सचिव रामानुज प्रसाद सिंह, जिला कला संस्कृति पदाधिकारी श्याम साहनी एवं वरिष्ठ चित्रकार सीताराम ने सभी कलाकारों को अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पवन राम सेवक साहू, कृष्ण मोहन सिंह उमा भारद्वाज, कशिश, शिवानी, अंकित, टुनटुन रजक एवं अन्य किया।