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अरे यह क्या! सम्राट के सिर मुंडाते ही ओले गिरे

भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी से सम्राट चौधरी का पत्ता 16 महीने में ही कट गया। दिलीप जायसवाल अध्यक्ष बने हैं। चर्चा है कि सिर मुंडाते ही सम्राट पर ओले गिरने लगे हैं।

हिमांशु शेखर
सम्राट चौधरी। बिहार में कुशवाहा समाज के बड़े नेता। समता पार्टी के संस्थापकों में से एक रहे शकुनी चौधरी के बेटे। लालू प्रसाद की सरकार के समय कम उम्र में मंत्री बने। कम उम्र में मंत्री बनने के बाद हंगामा मचा तो राज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया। बाद में भाजपा में शामिल हुए तो राजनीति की ऊंचाई छूने लगे। पार्टी ने विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष भी बनाया। पार्टी ने उन पर विश्वास जताते हुए प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष तक बना दिया। वर्तमान सरकार में उप मुख्यमंत्री भी हैं, लेकिन यह क्या सिर से पगड़ी उतारते और सिर मुंडाते ही उन पर ओले गिरे (प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से हटा दिए गए) हैं। ओले भी टपाटप गिरे हैं।

आज खुश तो बहुत होंगे नीतीशे कुमार

बात इसी साल जनवरी की है जब कड़ाके की सर्दी के बावजूद प्रदेश की राजनीति गर्म थी। चर्चा थी कि नीतीश कुमार पलटी मारेंगे और भाजपा से हाथ मिला सरकार बनाएंगे। आखिर यही हुआ भी। लेकिन इन सबके बीच एक अहम सवाल कि क्या सम्राट चौधरी नीतीश कुमार के आगे नतमस्तक होंगे? अगर होंगे तो उनकी पगड़ी का क्या होगा?, लोगों के मन में था।
काेरोना के कारण कुछ लोगों की याददाश्त शक्ति कमजोर होने लगी है। इसी कारण आपको थोड़ा फ्लैशबैक में ले चलते हैं कि सम्राट चौधरी के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने के बाद नीतीश कुमार मन ही मन खुश क्यों हो रहे होंगे। दरअसल, सम्राट चौधरी ने सिर पर पगड़ी (मुरेठा) बांध प्रण लेते हुए विधानसभा परिसर में एलान किया था कि जब तक नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी से नहीं हटा देता, तब तक पगड़ी नहीं खोलूंगा।

तब सम्राट का जवाब सुन नीतीश केवल मुस्कुरा भर दिए थे
जून-जुलाई 2023 में विधान परिषद की कार्यवाही चल रही थी। कार्यवाही के दौरान ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नेता प्रतिपक्ष रहे सम्राट चौधरी से पगड़ी बांधने का कारण पूछा। कहा- आप इसे क्यों पहनते हैं? सम्राट चौधरी ने लगे हाथ जवाब दिया कि आपको सीएम पद से हटाने के बाद ही मैं पगड़ी खोलूंगा। इसमें आपका भी आशीर्वाद चािहए होगा। जवाब सुनकर नीतीश कुमार मुस्कुरा भर दिए थे, लेकिन मन में टीस जरूर थी। जनवरी 2024 आते-आते राजनीतिक परिदृश्य बदल जाता है। नीतीश के भाजपा के साथ आने की चर्चाएं चल रही थीं। बाद में नीतीश भाजपा के साथ हो लिए।

नीतीश को सीएम की कुर्सी से तो उतार नहीं सके, अपनी पगड़ी जरूर उतार ली
बिहार में एकबार फिर एनडीए की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ ली। भाजपा की ओर से सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा डिप्टी सीएम बनाए गए। इसके बाद कई कार्यक्रमों में सम्राट चौधरी और सीएम नीतीश कुमार को साथ-साथ देखा गया। विजय सिन्हा ने नीतीश कुमार से अपनी दूरी मेंटेन रखी। नीतीश और सम्राट जब भी साथ-साथ देखे जाते चर्चा चल पड़ती कि पगड़ी का क्या होगा? आखिरकार 3 जुलाई को सम्राट चौधरी ने सरयू नदी में स्नान करने के बाद अपनी पगड़ी उतार दी। पगड़ी उतारी तो उनका सिर मुंडा हुआ था। देखें वीडियो :-

https://x.com/ANI/status/1808337647582302365?t=EO96q96z_dO-8y1fsM9uoQ&s=08

लालू प्रसाद ने कहा था- नीतीश के पेट में दांत है

90 के दशक से बिहार की राजनीति दो धूरियों में बंटी रही है। एक का पहिया नीतीश कुमार घुमाते रहे हैं तो दूसरे का लालू प्रसाद। दोनों की राजनीतिक अदावत जगजाहिर है। दोनों सोशल हैं, लेकिन नीतीश कुमार सोशल इंजीनियरिंग के माहिर खिलाड़ी। नीतीश क्या सोचते हैं और क्या करेंगे, यह सामने वाला भी नहीं भांप पाता। इसी कारण लालू प्रसाद ने संसद में कहा था कि हमारे मुंह में दांत है, लेकिन नीतीश कुमार के पेट में दांत है। अब जब सम्राट चौधरी को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया है तो एक बार फिर से राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी है कि लालू प्रसाद ठीक ही कहते हैं कि नीतीश कुमार के पेट में दांत है।

सम्राट क्यों गए, दिलीप को दायित्व क्यों मिला
भाजपा ने सम्राट पर विश्वास जताया था कि वे लव-कुश वोट बैंक को भाजपा की तरफ खींच लाएंगे, लेकिन लोकसभा चुनाव में वे इस वोट बैंक को भाजपा की ओर करने में असफल रहे। इसके बाद से ही सम्राट के नेतृत्व पर भी सवाल उठने लगे थे। अब 2025 में विधानसभा चुनाव होना है और पार्टी को अपने विधायकों की संख्या बढ़ानी है। ऐसे में पार्टी ने सम्राट चौधरी का प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाते हुए कमान दिलीप जायसवाल को सौंप दी। दिलीप जायसवाल की नियुक्ति ‘वैश्य’ वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

सम्राट चौधरी और दिलीप जायसवाल में एक बात कॉमन है
सम्राट चौधरी को जब प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था तो वे विधान परिषद के सदस्य थे और सदन में नेता प्रतिपक्ष भी। अब जब उनकी जगह दिलीप जायसवाल को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया है तो वे भी विधान परिषद के सदस्य हैं। एमएलसी होने के साथ-साथ वे भूमि सुधार मंत्री भी हैं।

रोहिणी आचार्या बोलीं- आगे मंत्री पद भी जाएगा
सम्राट चौधरी के अध्यक्ष की कुर्सी जाते ही लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्या उन पर हमलावर हो गई हैं। सोशल मीडिया के जरिए रोहिणी ने कहा कि अध्यक्ष पद के बाद अब सम्राट चौधरी से मंत्री पद छीन लिया जाएगा। पढ़िए रोहिणी ने सोशल मीडिया में क्या लिखा है:-
https://x.com/RohiniAcharya2/status/1816670989553643640

जानिए, कौन और कितने साल तक रहे भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष
कैलाशपति मिश्र 1980-1981
जगदम्बी प्रसाद यादव 1981-1984
कैलाशपति मिश्र 1984-1987
इंदर सिंह नामधारी 1987-1990
ताराकांत झा 1990-1993
अश्विनी कुमार 1994-1996
यशवंत सिन्हा 1997-1998
नंदकिशाेर यादव 1998-2003
गोपाल नारायण सिंह 16 अक्टूबर 2003 से 31 मई 2005
सुशील कुमार मोदी 2005-2006
राधा मोहन सिंह 2006-2010
सीपी ठाकुर 2010-2013
मंगल पांडये 2013-2016
नित्यानंद राय 2016-2019
संजय जायसवाल 2019-2023
सम्राट चौधरी 24 मार्च 2023 से 25 जुलाई 2024

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हिमांशु शेखर

17 वर्षों से पत्रकारिता का सफर जारी। प्रिंट मीडिया में दैनिक भास्कर (लुधियाना), अमर उजाला (जम्मू-कश्मीर), राजस्थान पत्रिका (जयपुर), दैनिक जागरण (पानीपत-हिसार) और दैनिक भास्कर (पटना) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में कार्य करने के बाद पिछले एक साल से newsvistabih.com के साथ डिजिटल पत्रकारिता।
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