कुछ ही महीनों में झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाला है। और इधर राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि भाजपा ने अपना वजूद बचाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन को ऑपरेशन ‘लोटस’ का मोहरा बना दिया है। इस तरह की चर्चा इसलिए हो रही है कि अभी X पर चम्पाई जी का एक पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद से हटने/हटाने के प्रकरण पर एक भावुक वक्तव्य जारी किया है। उधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन या झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
राजनीति और भावना में हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा है
वैसे, राजनीति और भावना में हमेशा से ही छत्तीस का संबंध रहा है, फिर भी झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन (गुरु जी) से चम्पाई सोरेन का रिश्ता जग जाहिर है। संभवतः इसीलिए हेमंत सोरेन के स्थान पर परिवार के किसी सदस्य को मुख्यमंत्री नहीं बना/बनावाकर चम्पाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया था। इस प्रकार गुरु जी व उनके परिवार ने चम्पाई जी को वह दे दिया जो किसी राजनीतिक व्यक्ति का अन्यतम अभिष्ट होता है। अब यदि हेमंत सोरेन के किसी व्यवहार या क्रिया-कलाप से चम्पाई सोरेन को आघात हुआ तो उन्हें इसे सार्वजनिक न कर व्यक्तिगत/पारिवारिक स्तर पर उठाना अपेक्षित होता। हेमंत सोरेन भले ही गुरु जी के जैविक पुत्र हैं, किंतु झामुमो में चम्पाई गुरु जी वास्तविक वारिस हैं।
चम्पाई को भाजपा का हथियार बनने से बचना है होगा
भाजपा की राजनीति कल, बल और छल की रही है। वह जिसके भी साथ रही उसे ही ग्रास लिया। चाहे पंजाब का अकाली दल हो, महाराष्ट्र की शिवसेना या उत्तर प्रदेश का रालोद। चम्पाई सोरेन को इसका ध्यान रखना होगा कि अगर वे भाजपा के औजार के रूप में इस्तेमाल होने से बचना चाहते हैं तो उनका अंतिम और वास्तविक घर झामुमो ही हैं, लेकिन उन्हें अपनी राजनीतिक हैसियत से झारखंड को अवगत कराना है तो एक ही रास्ता बचता है और वह है सरयू राय की भांति स्वतंत्र रूप से चुनावी रण में हेमंत सोरेन को शिकस्त देना। अब तय उन्हें करना है कि वे भाजपा के राज्यपाल बनें, झामुमो में रहते हुए गुरु जी के उत्तराधिकारी या झामुमो के सरयू राय।