वतर्मान राजनीतिक परिदृश्य में झारखंड विधानसभा चुनाव मोदी जी के लिए अस्तित्व का प्रश्न है। अगर ऐसा नहीं होता तो 15 सितंबर को चक्रवाती बारिश के दौरान सड़क मार्ग से और वह भी 130 किलोमीटर की दूरी तय कर सिंहभूम (जमशेदपुर) में रैली को संबोधित करने नहीं पहुंचते। मजे की बात यह कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस और वंशवाद के धूर विरोधी (?) मोदी ने धनबाद कोयला घोटाले के दिल्ली राउज एवेन्यू कोर्ट से सजायाफ्ता पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के साथ मंच साझा किया। कार्यक्रम का मंच संचालन कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने किया।
तो इस कारण शिवराज को चुनाव प्रभारी बनाया
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का शिगूफा छोड़ने वाले मोदी जी व उनके चाणक्य ने झारखंड की अहमियत को ध्यान में रखकर ही सौम्य व परिपक्व केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भाजपा चुनाव प्रभारी तथा राजनीतिक जोड़-तोड़ विषेशज्ञ एवं लॉजेस्टिक-मनीमेकर हिमंता बिस्व सरमा को सह चुनाव प्रभारी नियुक्त किया। निर्वाचन आयोग ने भी किसी कुशल चिकित्सक की भांति इस वर्ष होनेवाली चार राज्यों के विधानसभा चुनाव एकसाथ न करा कर राज्यों का नाड़ी परीक्षणोपरांत मर्ज के अनुसार अलग-अलग समय पर चुनाव कराने का निर्णय लिया। ऐसा होने से जनता और नेताओं को ज्यादा दौड़-भाग नहीं करनी पड़ेगी और चंगा रहेंगे। तभी तो चुनाव-दर-चुनाव होता रहेगा और लोकतंत्र मजबूत होगा!
छोटे चाणक्य सरमा को क्यों तरजीह दी जा रही
प्रधानमंत्री मोदी और मोदी ब्रांड भाजपा के लिए झारखंड की महत्ता इससे विदित है कि भाजपा झारखंड चुनाव प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेई के होते हुए चुनावी रणनीति व नियंत्रण का केंद्र दिल्ली तथा असम के गुवाहाटी शिफ्ट हो गया है। हालांकि केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को झारखंड भाजपा का चुनाव प्रभारी बनाया गया है, किंतु अिमत शाह का चौहान जी की कद बढ़ोतरी भविष्य में उनके लिए खतरा न बन जाए इसलिए छोटे चाणक्य सरमा को तरजीह दी जा रही है। शिवराज सिंह चौहान कई मामले में मोदी जी से भी सीनियर हैं तथा वे संघ के चहेते माने जाते हैं।
हेमंत को पछाड़ने का जिम्मा हिमंता पर
प्रधानमंत्री मोदी के झारखंड दौरे के करीब एक पखवाड़े पूर्व नव भाजपा नेता पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने गुवाहाटी में नीलांचल पहाड़ी का दृश्यावलोकन कर वहां के मुख्यमंत्री व झारखंड भाजपा सह चुनाव प्रभारी हिमंता सरमा से भेंट कर आगामी विधानसभा चुनावी रणनीति का गुरु मंत्र ग्रहण किया। सुदेश महतो की सीट शेयरिंग पर बात होने की खबरें आईं। स्थानीय प्रेक्षकों का कहना है कि झारखंड में इंडिया गठबंधन खासकर हेमंत सोरेन को पछाड़ने का जिम्मा हेमंत बिस्वा सरमा को सौंपा गया है। बड़बोलेपन के लिए ख्यात सरमा यूं ही नहीं ध्रुवीकरण, जनसंख्या विन्यास में बांग्लादेशी मुसलमानों की वृद्धि, सरकार की विफलताओं पर पिछले डेढ़-दो माह से लगातार बोलते आ रहे हैं।
यह चुनाव करो या मरो वाली
असल में देश की राजनीति और मोदी-शाह की भाजपा में अपनी जगह सुरक्षित रखने के लिए इस साल होने जा रहे चार राज्यों : जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव करो या मरो वाली हो गई है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस चुनावी दंगल में यदि मोदी-शाह की जोड़ी 0-4 से पराजित होती है तो कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी। वैसे 0-3 से हारने पर भी मोदी जी का जाना तय है। इसलिए झारखंड मोदी-शाह के नाक का सवाल है।