- 1967 से अब तक 13 बार हो चुके विधानसभा चुनाव
- अब तक 575 महिला प्रत्याशियों में से मात्र 87 ही जीत पाईं
- वर्ष 2014 में सबसे ज्यादा 116 महिलाएं चुनावी मैदान में थीं
- महिलाओं को दो बार ही दहाई अंक में जीत हासिल हुई
- इस बार 51 महिला प्रत्याशी, देखना है कितनी जीतती हैं
हरियाणा विधानसभा चुनाव की वोटिंग समाप्त हुए 60 घंटे से अधिक बीत चुके हैं। आज 8 बजे से मतगणना होनी है। पिटारा खुलेगा और गिनती पूरी होगी तो पता चलेगा किसकी किस्मत विधानसभा की राह जाएगी। यह भी पता चलेगा कि 90 सीटों वाली विधानसभा में कितनी महिलाएं भागीदारी देंगी। बता दें कि इस बार कुल 1031 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। इनमें से 51 महिलाएं अपना भाग्या आजमा रही हैं।
पंजाब से अलग होने के बाद हरियाणा में 1967 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए और उसके बाद से हुए 13 चुनाव में कुल 575 महिलाओं ने अलग-अलग पार्टियों से किस्मत आजमाया। इनमें से सिर्फ 87 महिला ही विधायक बन सकी हैं। राज्य में सबसे कम चार महिला विधायक बनी हैं तो सबसे ज्यादा 13 महिला चुनी गई हैं। अब देखना है कि इस बार महिला विधायकों के चुनने का रिकॉर्ड टूटता या नहीं। क्या चुनाव परिणाम में महिलाओं की तस्वीरें बदलेंगी? सबसे आश्चर्य यह कि हमारे प्रदेश की छोरी अंतरिक्षत तक पहुंच गई, लेकिन आज तक एक भी महिला विधायक सीएम की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाई।
पहली बार विधानसभा चुनाव में 4 महिलाएं जीतीं
1967 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए तो आठ महिलाएं चुनावी मैदान में उतरीं। इनमें से चार ने जीत दर्ज की। इसके बाद से महिला विधायकों के जीतने का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो दो बार ही दहाई के अंक में पहुंची हैं। इसके अलावा 11 चुनाव में सिंगल डिजिट में महिला विधायकों की संख्या रही है। 1967 से 2019 तक सबसे अधिक कलानौर हलके ने आठ बार महिलाओं को जिताकर विधानसभा भेजा है। वहीं 56 सीट ऐसी हैं, जहां से कोई महिला विधायक नहीं बन पाई है।
अब तक कहां से कितनी महिलाएं विधानसभा का चुनाव जीतीं
विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर बल्लभगढ़ क्षेत्र है, जहां से 5 महिलाओं को चौधर मिली है। इंद्री और झज्जर विधानसभा सीट से चार महिलाएं और अंबाला शहर, यमुनानगर, लोहारू, तोशाम, बावल सीट से तीन-तीन महिलाएं चुनाव जीती हैं। 13 विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां से मात्र एक-एक बार महिला चुनाव जीत पाई हैं।
चंद्रावती थीं पहली महिला विधायक और महिला सांसद
हरियाणा विधानसभा की पहली महिला विधायक चंद्रावती थीं और हरियाणा से पहली महिला संसद सदस्य भी वही थीं. वह 1990 में पुडुचेरी की उपराज्यपाल भी रही हैं। 1964 और 1972 में हरियाणा में मंत्री रहीं। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1954 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र से लड़ा और जीत हासिल की।
किरण चौधरी कभी चुनाव नहीं हारीं
पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की पुत्रवधु हैं भाजपा की राज्यसभा सदस्य किरण चौधरी। पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी एक उपचुनाव समेत चार बार तोशाम से जीतकर विधानसभा पहुंच चुकी हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गईं। वह सियासत में कदम रखने के बाद कोई भी चुनाव नहीं हारी हैं।
ये महिलाएं लगा चुकीं जीत की हैट्रिक
इंद्री विधानसभा सीट पर 1967, 1968 और 1972 में प्रसन्नी देवी भाजपा के टिकट पर लगातार तीन बार विधायक चुनी गई थीं। तोशाम क्षेत्र से वर्ष 2009, 2014 व 2019 तक लगातार तीन बार कांग्रेस के टिकट पर किरण चौधरी चुनाव जीत चुकी हैं। कलानौर से वर्ष 2009, 2014 व 2019 में शकुंतला खटक कांग्रेस से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचीं थीं। झज्जर विधानसभा सीट से गीता भुक्कल कांग्रेस पार्टी से वर्ष 2009, 2014 व 2019 तक लगातार तीन बार विधायक बनी हैं।
यहां से कोई महिला विधायक नहीं बन पाई
पंचकूला, जगाधरी, रादौर, लाडवा, शाहाबाद, थानेसर, पेहवा, गुहला, पुंडरी, नीलोखेड़ी, पानीपत ग्रामीण, इसराना, समालखा, राई, खरखौदा, गोहाना, बरोदा, जींद शहर, जुलाना, सफीदों, नरवाना, टोहाना, रतिया, कालांवाली, रानिया, सिरसा, ऐलनाबाद, उकलाना, बरवाला, नलवा, दादरी, भिवानी, बवानीखेड़ा, महम, गढ़ी सांपला-किलोई, रोहतक, बहादुरगढ़, बादली, बेरी, महेंद्रगढ़, नारनौल, नांगल चौधरी, कोसली, बादशाहपुर, गुरुग्राम, सोहना, नूंह, फिरोजपुर झिरका, पुन्हाना, हथीन, होडल, पलवल, पृथला, फरीदाबाद एनआईटी, फरीदाबाद और तिगांव विधानसभा सीट से कोई भी महिला विधायक नहीं बन पाई है।
इस बार किस पार्टी से कितनी महिला प्रत्याशी
इस बार कांग्रेस ने 12 और भाजपा ने 11 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। अन्य दलों की बात करें तो इनेलो की 11 महिला प्रत्याशी, आम आदमी पार्टी की तरफ से 10 और जजपा-असपा की तरफ से 8 महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही हैं।