- राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने पहली बार जारी की डीएम की रैंकिंग
- म्युटेशन, परिमार्जन, अभियान बसेरा सहित आठ मानदंड पर तय हुई रैंकिंग
- जमीन संबंधी मामलों को सुलझाने में 28 डीएम फेल,10 पास
- 100 में 36 से ज्यादा नंबर मात्र 8 डीएम को मिले
पटना | बिहार में DM (जिलाधिकारी) की पहली बार रैंकिंग हुई। 38 जिले में से मात्र 10 जिले के डीएम पास हुए हैं। इन्हें 100 में 36 से ज्यादा नंबर मिले। अगर प्राप्त नंबरों पर गौर करेंगे तो इन 10 में से भी केवल 2 ही डीएम ऐसे हैं जिन्हें 50 से ज्यादा नंबर हासिल हुए। बांका के डीएम रैंकिंग में टॉप (56.80) पर रहे। जबकि अररिया सबसे फिसड्डी (20.09) जिला साबित हुआ। बेगूसराय डीएम को नौवां (35.53) स्थान मिला है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने यह रैंकिंग सभी जिलों में विभाग से संचालित योजनाओं और कार्यों की समीक्षा के बाद जारी की है। रैंकिंग में डीएम के प्रदर्शन को आठ मानदंडों पर परखा गया है, जिनमें दाखिल-खारिज के मामलों का निपटारा, ‘परिमार्जन प्लस’ योजना, ‘अभियान बसेरा-2’, आधार सीडिंग, और एडीएम कोर्ट की निगरानी शामिल हैं।
महत्वपूर्ण मानदंड दाखिल-खारिज और ‘परिमार्जन प्लस’
रैंकिंग में सबसे महत्वपूर्ण मानदंड दाखिल-खारिज और ‘परिमार्जन प्लस’ हैं, जिनके लिए कुल 100 में से 50 अंक निर्धारित किए गए हैं। विभाग की योजना इस रैंकिंग को अब डीएम के कार्य मूल्यांकन रिपोर्ट में जोड़ने की है। मकसद यह है कि सभी डीएम अपने जिलों में राजस्व संबंधित कार्यों की समीक्षा में रुचि लें। अधीनस्थ अधिकारियों से समस्याओं का तेजी से निपटारा कराएं। इससे राज्य में चल रहे सर्वे के काम में भी आसानी होगी। कम से कम समय में सरकार जमीन विवादों का निपटारा कर पाएगी।
पटना डीएम नीचे से पांचवें स्थान पर
हैरानी की बात यह है कि राजधानी पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह को भी इस रैंकिंग में निचले पांच जिलों में जगह मिली है। उन्हें कुल 26.92 अंक मिले हैं। सबसे नीचे 38वें रैंक वाले अररिया डीएम अनिल कुमार को मात्र 20.09 अंक, 37वें रैंक वाले सहरसा डीएम वैभव चौधरी को 25.11 और 36वें रैंक वाले पश्चिम चंपारण के डीएम दिनेश कुमार राय को 26.03 अंक मिले हैं।
कलक्टरों के वार्षिक कार्य मूल्यांकन में ये अंक जुटेंगे
विभाग के सचिव जय सिंह ने कहा कि सितंबर से शुरुआत हो गई है और अब हर एक महीने कलक्टर के कामकाज की समीक्षा होगी। उस आधार पर उनकी रैंकिंग तय की जाएगी। कलक्टर के वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन में भी रैंकिंग में हासिल अंकों को जोड़ा जाएगा।
इससे पहले सीओ, डीसीएलआर और एडीएम की मासिक रैंकिंग होती थी
जय सिंह ने कहा कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में पिछले चार वर्षों से कामकाज की समीक्षा और उस आधार पर रैंकिंग सिस्टम लागू है। कलक्टर से पहले सीओ, डीसीएलआर और एडीएम की मासिक रैंकिंग होती थी। विशेष भूमि सर्वेक्षण के दौरान आई परेशानियों को देखते हुए सरकार ने कलक्टर को भी इसमें शामिल करने का निर्णय लिया।