- निर्दोष आंदोलनकारी छात्रों पर दमन भाजपा -जेडीयू सरकार का चरित्र – एआईएसएफ
- अपनी नाकामी को लाठी के बल पर दबाना चाहती है सरकार
पटना। बीपीएससी अभ्यर्थियों पर हुए बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज के विरोध में छात्र संगठन एआईएसएफ ने पटना आयकर गोलंबर के समीप बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन कर दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने तथा बीपीएससी 70वीं परीक्षा को अविलंब रद्द करने की मांग की है। केदार भवन स्थित एआईएसएफ राज्य कार्यालय से निकलकर नारेबाजी करते हुए आक्रोशित छात्रों का जत्था आयकर गोलंबर तक पहुंचा। वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने छात्रों के जत्थे को रोकने का प्रयास किया तो छात्र सरकार विरोधी नारे लगाते हुए पुतला दहन करने लग गए। तत्पश्चात आयोजित हुए प्रतिरोध सभा की अध्यक्षता संगठन के राज्य सह सचिव सुधीर कुमार ने की।
लाठी के बल पर अपनी नाकामी को दबाना चाहती है सरकार : राकेश
सभा को संबोधित करते हुए एआईएसएफ के राज्य संयुक्त सचिव राकेश कुमार ने कहा अपने हक की मांग कर रहे निर्दोष छात्रों पर दमन भाजपा-जेडीयू सरकार का चरित्र बन गया है। सरकार अपनी नाकामी लाठी के बल पर दबाना चाहती है। उन्होंने कहा आंदोलनकारी छात्रों के मांगों को मान लिये जाने तक हमारा चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा।
पटना डीएम तथा लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों को अविलंब बर्खास्त किया जाना चाहिए : सुधीर
छात्र नेता सुधीर कुमार ने कहा छात्र को थप्पड़ मारने वाले पटना डीएम तथा लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों को अविलंब बर्खास्त किया जाना चाहिए और बीपीएससी प्रश्नपत्र लीक सहित सभी प्रतियोगी एवं पात्रता परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक मामले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में की जानी चाहिए। उन्होंने कहा आंदोलनकारी छात्रों के समर्थन में हमारा संगठन दो दिनों तक काला दिवस मनाने का निर्णय लिया है। हमलोग राज्य भर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
छात्रों की आवाज दबाने पर उग्र प्रदर्शन को बाध्य होगा संगठन : शंभू देवा
एआईवाईएफ के राज्य सहसचिव शंभू देवा ने कहा अभी छात्र शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं तो उनकी आवाज़ को दबाया जा रहा है। जल्द ही छात्र उग्र प्रदर्शन को बाध्य हो जाएंगे जिसकी सारी जवाबदेही राज्य सरकार की होगी। इस मौके पर राज्य परिषद सदस्य आदित्य राकेश, अविनाश कुमार,आशीष, राजेश यादव, सौरभ तरुण, दीपक, प्रत्यूष यादव, सुबोध, सुजीत कुमार, सौरभ सहित अन्य लोग मौजूद थे।
