- जनवादी लेखक संघ बेगूसराय की ओर से काव्य पाठ सह समीक्षा गोष्ठी आयोजित
- युवा कवि अवध बिहारी ने अपनी 15 कविताओं का एकल पाठ किया
बेगूसराय | वर्तमान समय साहित्य, समाज, राजनीति और व्यवस्था के संक्रमण का दौर है। राजनीतिक सत्ता का दरबारी साहित्यकार जनपक्षीय शब्द सर्जक नहीं होता है। ये बातें जनवादी लेखक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र साह ने युवा कवि अवध बिहारी के एकल काव्य पाठ सह समीक्षा गोष्ठी में कही। इससे पहले अवध बिहारी ने अपनी 15 कविताओं और तीन गीतों का सस्वर पाठ किया। इनमें ‘घर और राष्ट्र’, ‘घाव’, ‘आम की मिठास’, रूस-यूक्रेन तथा इजरायल- फिलिस्तीन युद्धों के परिप्रेक्ष्य में ‘प्रेम तुम्हें जाना होगा’, ‘प्रेम’, ‘परिन्दे’, ‘बेटियाँ’, ‘अपने हिस्से का चांद’, ‘एकलव्य’, ‘हमारा आपस का झगड़ना’, ‘ताड़ के पेड़’, ‘जलकुम्भी’, ‘बाहर बहुत तेज़ गर्मी है’, ‘दमकल’, ‘खेला होता है’, ‘किसान’ इत्यादि कविताएं और गीत प्रमुख हैं।
पठित कविताओं की समीक्षा करते हुए स्थानीय गणेश दत्त महाविद्यालय के हिन्दी प्राध्यापक डाॅ. अभिषेक कुंदन ने कहा कि जनवादी कविताएं सत्यान्वेषी, तथ्यपूर्ण और जीवन-जगत से सम्बद्ध होती हैं। इस कसौटी पर अवध बिहारी जी की कविताएं खरी उतरती हैं। इनकी रचनाएं हमें मानवीय मूल्यों को प्रतिष्ठित करने, अपनी विचारधारा के प्रति ईमानदार बनने, सादगीपूर्ण जीवन जीने, विनोदप्रिय बनने, मानसिक रूप से स्वस्थ और बौद्धिक रूप से सजग रहने को प्रेरित करती हैं।
इन साहित्यकारों ने भी समीक्षात्मक टिप्पणियां दीं
पत्रकार व साहित्यकार प्रवीण प्रियदर्शी, जनवादी लेखक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ. चन्द्रशेखर चौरसिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अभिनन्दन झा, उमेश कुंवर ‘कवि’, अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के केन्द्रीय कोषाध्यक्ष शशिकांत राय समेत अन्य ने भी समीक्षात्मक टिप्पणी की। इस अवसर पर भुवनेश्वर सिंह, डाॅ. ललिता कुमारी, पुष्पा कुमारी, नवनीता कुमारी, मोहन मुरारी, रामानंद सागर, संजीव फिरोज, मुकेश कुमार, मिथिलेश कान्ति, बब्लू कमल वत्स सहित कई साहित्यप्रेमी मौजूद थे। बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला मंत्री मोहन मुरारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का आयोजन कचहरी चौक स्थित बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला कार्यालय भवन में किया गया। इसकी अध्यक्षता संगठन के जिला-अध्यक्ष डाॅ. राजेन्द्र साह ने की जबकि सचिव राजेश कुमार ने संचालन किया।
