- विधान पार्षद सर्वेश कुमार ने इस वर्ष बजट सत्र के दौरान CSR का मुद्दा उठाया था
- पिछले 5 वर्षों में सीएसआर फंड के तहत बिहार को मिले 737 करोड़ रुपए
बेगूसराय/पटना | CSR FUND में अब बिहार की हकमारी नहीं होगी। सीएसआर फंड में बिहार को उसका वाजिब हिस्सा मिले इसके लिए सरकार ने 8 जुलाई को हुई कैबिनेट की बैठक में बिहार राज्य सीएसआर नीति 2025 पर अपनी स्वीकृति प्रदान की। जुलाई के अंत तक इसका पोर्टल भी लांच हो जाएगा। दरभंगा स्नातक क्षेत्र के विधान पार्षद सर्वेश कुमार ने CSR policy बनाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को धन्यवाद दिया। कहा कि नीति बनने और पोर्टल लांच होने के बाद बिहार के विकास को नई गति मिलेगी और राज्य की सामाजिक-आर्थिक तस्वीर बदलने में मदद मिलेगी।
MLC सर्वेश कुमार ने क्यों उठाया था यह मुद्दा : MLC सर्वेश कुमार ने बताया कि CSR फंड को लेकर उन्होंने बजट सत्र (2025) के दौरान ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया था। सदन को बताया था कि बिहार का SGDP प्रति वर्ष 8 लाख 54 हजार करोड़ रुपए से अधिक है। देश की सभी बड़ी कंपनियां जो CSR के दायरे में आती हैं, वे बिहार में भी व्यापार कर रही हैं। हमारे प्रदेश में कारोबार होने से उनका मुनाफा बढ़ रहा है, लेकिन जब सीएसआर फंड बिहार में व्यय करने की बात आती है तो यह कुल सीएसआर फंड का 1 प्रतिशत से भी कम है। इस कारण हम विकास की राह पर बढ़ने के मामले पीछे हैं। वर्ष 2022-23 में देश में कुल CSR फंड 29986.92 करोड़ रुपए था जबकि बिहार को इस मद में केवल 235.37 हजकरोड़ रुपए ही मिले। अगर कंपनियों से CSR फंड के तहत हमें उचित हिस्सा मिलने लगेगा तो ग्रामीण सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और रोजगार सृजन जैसे क्षेत्रों में भी विकास को नई गति मिलेगी।
CSR सोसाइटी का भी गठन : एमएलसी सर्वेश कुमार के ध्यानाकर्षण सूचना का उत्तर देते हुए बताया गया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 19 नवंबर 2024 को CSR समिति का गठन किया गया और समिति की पहली बैठक 11 मार्च 2025 को हुई। बैठक में बिहार राज्य CSR सोसाइटी के गठन, पोर्टल और CSR पॉलिसी की रूपरेखा पर विचार विमर्श किया गया।
पोर्टल बनाने से फायदा : CSR पोर्टल पर कंपनियां रजिस्ट्रेशन कर सकेंगी और निवेश से जुड़ी सभी जानकारी एक जगह मिलेगी। पोर्टल निवेशकों को भटकने से बचाएगा और उन्हें सरकार की प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में निवेश की पूरी जानकारी देगा।
कंपनियों तक प्रपोजल भेजना चाहिए : एमएलसी सर्वेश कुमार ने कहा कि इस नीति के तहत पूरे भारत वर्ष में लगभग 30000 करोड़ रुपए कंपनियों की ओर से खर्च किए जाएंगे। इनमें सरकारी और प्राइवेट दोनों कंपनियां शामिल हैं। बिहार को 2500 से 3000 करोड़ रुपए CSR के तहत दिए जाने चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि बिहार से CSR में खर्च के लिए राशि का प्रपोजल कंपनियों तक भेजना चाहिए।
CSR के तहत कंपनियों को कितना खर्च करना जरूरी : भारत में कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार, निश्चित आकार वाली कंपनियों (500 करोड़ रुपये या उससे अधिक वार्षिक निवल मूल्य या 1000 करोड़ रुपए या उससे अधिक वार्षिक कारोबार) के लिए CSR गतिविधियों पर पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान अर्जित औसत शुद्ध लाभ का 2% खर्च करना जरूरी है।
कैसी होगी सीएसआर सोसाइटी : मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली इस सोसाइटी के उपाध्यक्ष विकास आयुक्त होंगे। सदस्य सचिव वित्त विभाग के प्रधान सचिव होंगे। 22 विभागों के उच्च पदस्थ अधिकारी इसके सदस्य होंगे।
कार्यकारी समिति में कौन-कौन: वित्त विभाग के प्रधान सचिव इसके अध्यक्ष होंगे। शासी निकाय के कुछ अधिकारी इसके सदस्य होंगे। ये अधिकारी कम से कम संयुक्त सचिव स्तर के होने चाहिए।
