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सच दिखाना कब से जुर्म हुआ? अजीत अंजुम के खिलाफ case वापस लेना होगा

अजीत अंजुम पर बलिया थाने में दर्ज FIR के खिलाफ मंगलवार को नागरिक प्रतिवाद आयोजित किया गया। इसमें शामिल वक्ताओं ने एक स्वर में FIR वापस लेने की मांग की।
  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने भी प्रतिरोध मार्च निकाला

बेगूसराय | पत्रकारिता के क्षेत्र में रामनाथ गोयनका अवार्ड से सम्मानित पत्रकार अजीत अंजुम पर बेगूसराय के बलिया थाने में केस दर्ज हुआ है। केस इसलिए दर्ज हुआ है कि उन्होंने समाज के सामने प्रशासन की पोल खोल दी। बलिया में मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण का काम किस तरह से हो रहा है, इसे बेनकाब कर दिया। चुनाव आयोग ने जो दिशा-निर्देश दिए हैं उसका भी ठीक तरीके से पालन नहीं हो रहा। अजीत अंजुम ने अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से ये सारी बातें दिखाई थीं, लेकिन जिला प्रशासन ने इसे अपराध माना और उनके खिलाफ केस कर दिया। यह लोकतंत्र पर सीधा फासीवादी हमला है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ये बातें रंगकर्मी सह वरिष्ठ अिधवक्ता दीपक सिन्हा ने मंगलवार को नागरिक संवाद समिति की ओर से आयोजित नागरिक प्रतिवाद में कही। शहर के दिनकर भवन के मुख्य द्वार आयोजित इस नागरिक प्रतिवाद में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, लेखक, शिक्षक, छात्र, वकील और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने भाग लिया।

पत्रकारों और BLO पर फर्जी मुकदमे हो रहे : नागरिक संवाद समिति के जिला सह संयोजक नवल किशोर सिंह, डॉ. राहुल कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता मजहर उल हक ने अजीत अंजुम पर दर्ज मुकदमे को लोकतंत्र की आवाज दबाने की साजिश करार दिया। कहा कि सरकार और चुनाव आयोग अपनी विफलताओं और धांधली को छिपाने के लिए पत्रकारों और BLO पर फर्जी मुकदमे करवा रहा है। वक्ताओं ने मतदाता सूची पुनरीक्षण में हो रही अनियमितताओं का भी मुद्दा उठाया।

FIR लोकतंत्र के माथे पर एक बदनुमा दाग : नमक सत्याग्रह के राजीव कुमार, बीहट नगर परिषद उप पार्षद ऋषिकेश कुमार, विजय पासवान ने कहा कि मतदान विशेष गहन पुनरीक्षण (S.I.R.) के नाम पर गरीब, दलित, प्रवासी मजदूर और छात्रों के नाम मतदाता सूची से हटाने की साजिश की जा रही है। पावती रसीद नहीं दी जा रही है जो अपराध है। वक्ताओं ने साफ कहा कि बिहार में लोकतांत्रिक आंदोलनों की गहरी जड़ें रही हैं। संविधान और लोकतंत्र को किसी हाल में बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा। बेगूसराय प्रशासन द्वारा पत्रकार अजीत अंजुम पर दर्ज की गई FIR लोकतंत्र के माथे पर एक बदनुमा दाग है।

पत्रकारिता धर्म निभा रहे अजीत अंजुम : वार्ड पार्षद शगुफ्ता ताजवर, कुंवर कन्हैया, माले के चंद्रदेव वर्मा ने कहा कि एक पत्रकार का धर्म है कि वह जनता के अधिकारों की रक्षा करे, सच्चाई दिखाए और सत्ता से सवाल पूछे। अजीत अंजुम ने भी पत्रकार होने के नाते वही किया, लेकिन आज की सत्ता के लिए सच बोलना और सत्ता की लापरवाहियों को सामने लाना एक अपराध बनता जा रहा है। यह लड़ाई सिर्फ अजीत जी की नहीं बल्कि हर जागरूक नागरिक की है, जो संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को बचाना चाहता है।

हिटलर शाही नहीं चली तो मोदी शाही कैसे चलेगी : इधर, इस मामले में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के जिला कार्यालय से भी प्रतिरोध मार्च निकाला गया। यह मार्च शहर के विभिन्न मार्गो से होते हुए पटेल चौक पहुंचकर आम सभा में तब्दील हो गया। यहां पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद िसंह ने कहा कि हिटलर शाही नहीं चली तो मोदी शाही नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि अजीत अंजुम बेगूसराय का बेटा है। उसने भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची के सघन पुनरीक्षण के दौरान मतदाता को वोट के अधिकार से वंचित करने की साजिश को बेनकाब किया है। बेकसूर पत्रकार के ऊपर इस तरह का झूठा मुकदमा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि बिना शर्त झूठा मुकदमा वापस लेना होगा, अन्यथा हमारी पार्टी हर स्तर पर लड़ाई जारी रखेगी। अनिल कुमार अंजान ने कहा कि अजीत अंजुम जैसे पत्रकार पर झूठा मुकदमा यह दर्शाता है कि देश घोषित आपातकाल के दौर से गुजर रहा है। सभा को CPI नेता राजेंद्र चौधरी, AIYF के राज्य अध्यक्ष शंभू देवा, मोहम्मद नूर आलम आदि ने भी संबोधित किया।

मुकदमा, लोकतंत्र की आवाज दबाने की साजिश : नागरिक संवाद समिति के डॉ. भगवान प्रसाद सिन्हा ने अजीत अंजुम पर किए गए FIR को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। उन्होंने कहा कि बिहार में चल रही S.I.R. प्रक्रिया ने न सिर्फ चुनावी प्रक्रिया को अव्यवस्थित कर दिया है बल्कि प्रशासनिक आतंक के नए रास्ते खोल दिए हैं। बीएलओ और कर्मचारियों पर अमानवीय दबाव बनाया जा रहा है। अब पत्रकारों को भी निशाना बनाया जा रहा है।

पत्रकार अजीत अंजुम पर किन-किन धाराओं में केस
  • धारा 186- सरकारी कामकाज में बाधा डालना
  • धारा 353- सरकारी कर्मचारी पर हमला या डराने-धमकाने की कोशिश करना
  • धारा 505(2)- ऐसे बयान देना जिससे किसी वर्ग या धर्म के बीच शत्रुता या दंगे की आशंका हो
  • धारा 295(A)- धार्मिक भावनाएं भड़काने के इरादे से काम करना
  • Representation of People Act, 1950 की धारा 31- निर्वाचन प्रक्रिया में बाधा डालना या गलत जानकारी फैलाना इत्यादि के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया गया है।

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हिमांशु शेखर

17 वर्षों से पत्रकारिता का सफर जारी। प्रिंट मीडिया में दैनिक भास्कर (लुधियाना), अमर उजाला (जम्मू-कश्मीर), राजस्थान पत्रिका (जयपुर), दैनिक जागरण (पानीपत-हिसार) और दैनिक भास्कर (पटना) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में कार्य करने के बाद पिछले एक साल से newsvistabih.com के साथ डिजिटल पत्रकारिता।
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