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चकबंदी वाले गांवों में असली कब्जाधारी को ही मिलेगा मुआवजा

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने चकबंदी किए गए गांवों में भू-अर्जन की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न जटिलताओं के समाधान की दिशा में बड़ा फैसला लिया है।
  • अपर मुख्य सचिव ने सभी जिलों के समाहर्ताओं को जारी किया निर्देश
  • अधिनियम संशोधन तक अंतरिम व्यवस्था लागू

पटना | राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने चकबंदी किए गए गांवों में भू-अर्जन की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न जटिलताओं के समाधान की दिशा में बड़ा फैसला लिया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी जिलों के कलक्टर को निर्देश दिया है कि ऐसे मामलों में जहां खतियान, जमाबंदी और दखल कब्जा में अंतर है, वहां वास्तविक कब्जाधारी रैयत को ही मुआवजा दिया जाएगा।

2158 गांवों में हो चुकी है चकबंदी : राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से 2158 गांवों में चकबंदी पूरी हो चुकी है। इसको लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। बावजूद इसके कई स्थानों पर रैयतों का कब्जा अब भी पुराने सर्वे खतियान (सीएस/आरएस) के आधार पर बना हुआ है। जबकि चकबंदी खतियान एवं पंजी-2 की जमाबंदी अद्यतन हो चुकी है।

ऐसा निर्णय इस कारण लिया गया : अपर मुख्य सचिव के अनुसार ऐसे कई मामलों में चकबंदी खतियान, ऑनलाइन जमाबंदी और जमीन पर वास्तविक कब्जा, इन तीनों में मेल नहीं होने के कारण भू-अर्जन के भुगतान में अड़चनें आ रही हैं। इससे विभिन्न विकास परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं।

वास्तविक कब्जाधारी को मिलेगा मुआवजा : जिला भू-अर्जन पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे आदेश पारित करें कि किन आधारों पर वास्तविक कब्जाधारी को भुगतान किया गया है, भले ही वह खतियान या जमाबंदी से मेल न खाता हो। इस पर विधिक परामर्श भी प्राप्त कर लिया गया है। संबंधित अधिनियमों में संशोधन की प्रक्रिया जारी है। संशोधन की प्रतीक्षा किए बिना फिलहाल यह अंतरिम समाधान लागू किया गया है ताकि विकास कार्यों की गति प्रभावित न हो।

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