- सीपीएम जिला कार्यालय में हुई श्रद्धांजलि सभा
बेगूसराय। पावर हाउस रोड स्थित भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की जिला कार्यालय में माकपा के दिवंगत नेता व केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी एस अच्युतानंद के देहावसान की खबर सुनते ही पार्टी कार्यालय का झंडा झुका दिया और उनकी याद में संकल्प सह श्रद्धांजलि कार्यक्रम किया। दर्जनों पार्टी नेता एवं समर्थकों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
पार्टी जिला सचिव रत्नेश झा की अध्यक्षता में आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा , भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के पुरोधा, संयुक्त कम्यूनिस्ट पार्टी के केरल राज्य कमिटी सदस्य,सीपीआई (एम) के संस्थापक नेता में से एक, पूर्व पोलित ब्यूरो सदस्य, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री कामरेड वी. एस. अच्युतानंदन का 101 वर्ष की आयु में 21 जुलाई 2025 को केरल के तिरूवनंतपुरम में एक निजी अस्पताल में हो गया । उनकी 101 वर्ष की जीवन यात्रा, संघर्ष और सिद्धांतों की मिसाल बनकर समाप्त हुई ।
गरीबी के कारण स्कूली शिक्षा महज सातवीं तक
वी. एस. का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था और उनकी स्कूली शिक्षा गरीबी के कारण महज सातवीं तक ही हो सकी थी। लेकिन अच्युतानंदन का जीवन एक जीवंत क्रांति था। किशोरावस्था में ही वे शोषण और अन्याय के विरुद्ध कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़कर अपने को कॉरियर कारखाना ( नारियल के छिलके से बनने वाले उत्पाद) श्रमिकों, खेतिहर मजदूरों और मेहनतकश तबके की आवाज़ में तब्दील कर लिया। केरल के श्रमिकों के अधिकारों के लिए उन्होंने ऐतिहासिक संघर्षों का नेतृत्व किया। वे पुनप्रा-वायलार जैसे सशस्त्र जनविद्रोहों में भूमिगत रहकर सामंतशाही के विरुद्ध लड़ाई लड़ी,गिरफ्तार हुए क्रूर यातना सही मगर उनका विश्वास, साहस और विचारधारा कभी नहीं डिगा । वी. एस. 1956 में ही संयुक्त कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य समिति के लिए चुने गए थे और 1964 में पूरी वैचारिक दृढ़ता के साथ सीपीआई(एम) के गठन में सक्रिय भागीदारी निभाई।
केरल विधानसभा के लिए 7 बार चुने गए
वे 7 बार केरल विधानसभा के लिए चुने गए, दो बार वे विपक्ष के नेता और एक बार मुख्यमंत्री (2006–2011) रहे। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने गरीबों, मज़दूरों,खेतिहरों और वंचितों के लिए कानून और योजनाओं के माध्यम से ठोस बदलाव लाए। दूसरी तरफ आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति पर भी उनका ध्यान था । केरल में साफ्टवेयर इंजीनियर के विकास कार्यक्रम में उनकी गहरी रूचि थी । वी. एस. सामाजिक न्याय और जनलोकतंत्र के प्रतीक थे। उनका भाषण लोगों के दिलों को छूता था क्योंकि उसमें शब्दों से अधिक संघर्ष की सच्चाई और जनता के प्रति निष्ठा बोलती थी। वे जनता के बीच खड़े होने वाले, जमीन से जुड़े, एक असाधारण नेता थे,जिनका जीवन हर उस व्यक्ति को प्रेरित करता है जो अन्याय के खिलाफ खड़ा होना चाहता है। उनका जाना एक युग का अवसान है । वे उस पीढ़ी के अंतिम नायक थे जिन्होंने भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन को जमीनी हकीकतों से जोड़ते हुए नई ऊँचाइयाँ दीं। उन्होंने दिखाया कि राजनीति सिद्धांतविहीन अवसरवाद नहीं, बल्कि साहस और नैतिक प्रतिबद्धता का नाम है ।