पटना | बिहार विधान परिषद के सदस्यों को अब MLC (Member of Legislative Council) नहीं कहा जाएगा। वे भी अब विधानसभा सदस्यों की तरह विधायक ही कहे जाएंगे। बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने शुक्रवार को बताया कि इस विषय पर राजनीतिक दलों की भी राय ली गई थी। सर्वसम्मति के आधार पर ही यह परिवर्तन किया गया। उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों के लिए सांसद का पदनाम है। इसी तरह विधानमंडल के सदस्यों के पदनाम में एकरूपता निर्धारित करने का फैसला लिया गया है।
ऐसा क्यों किया गया : यह परिवर्तन विधान परिषद के बहुमत सदस्यों के आग्रह पर किया गया है। शिकायत थी कि उन्हें विधान पार्षद कहा जाता है। दूसरे राज्यों में जहां, विधान परिषद नहीं है, कभी-उन्हें नगर निकायों का पार्षद समझ लिया जाता था। सभापति ने स्वीकार किया कि कुछ सदस्यों की यह शिकायत थी कि उन्हें कई जगहों पर सामान्य पार्षद समझ लिया जाता है।
नए परिचय पत्र में क्या है : जानकारी के अनुसार, विधान परिषद के कई सदस्यों को नया आई कार्ड भी जारी हुआ है। सदस्यों के लिए जारी नए परिचय पत्र में सबसे ऊपर लिखा है-बिहार विधानमंडल। उसके नीचे विधायक। फिर विधान परिषद के सदस्य।
इस बदलाव से क्या होगा : अब MLC और MLA दोनों को विधायक ही कहा जाएगा। इससे दोनों सदनों के सदस्यों को समान दर्जा और सम्मान मिलेगा। जनता में भ्रम की स्थिति कम होगी। यह भी कहा जा रहा कि MLC की जगह MLA कहे जाने को यह एक प्रशासनिक और भाषिक सुधार के तहत किया गया है, ताकि संविधान और सरकारी अभिलेखों में अधिक स्पष्टता और एकरूपता लाई जा सके।