देश जल रहा है, बेरोजगारी चरम पर है, महंगाई आसमान छू रही है, और संसद में बहस नहीं, बस बहसबाजी हो रही है। अब जरा ठहरिए भी तो। सवाल है कि समाधान क्या है? जवाब वही पुराना- सब नेहरू जी की गलती है! इसलिए, हमसब मिलकर एक बार फिर पुकारते हैं – नेहरू हाजिर हों! ताकि आप खुद आकर सुन लें कि 60 साल बाद भी आपको ही बर्बादी का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

Nehru hajir ho ka matlab hey Congress party jawab they. Congress ney Nehruvian policy ko aatmsat toh dur samajhney ke kosish kabhi nahi ke. Sawal yeh hey ki kya Nehru maujooda samsya ke liye jimewar hein toh jawab hey haan.1948 mein kabilayi Hamley mein Bharti fauj ko Shrinagar na bhejna aur 1962 mein Hindi- Chinese Bhai Bhai ke jhanse mein parna
वर्तमान दौर में कोई निडर ही ऐसा लिखने का साहस दिखा सकता है। आपके जज्बे को सलाम। तारीफ ए काबिल लेखनी ।
नेहरू न होते तो न कश्मीर मेरे पास होता न हमारी अर्थव्यवस्था की मज़बूत नींव ही हमारे पास होती. नेहरू की चीन-नीति असफल रही .हाँ अगर मोदी की तरह नेहरू भी चीन-नीति का अनुसरण करते तो वह सफल होते. मोदी युद्ध की बात तो दूर किसी क़ीमत पर चीन से शत्रुता मोल लेना नहीं चाहते चूँकि वह जानते हैं कि चीन से अगर युद्ध हुआ तो छप्पन ईंच दिखाना पड़ेगा जो दिखा नहीं सकते. नेहरू पेट्रियट थे चीन को बर्दाश्त नहीं कर सके. भूभागीय अखंडता की अक्षुण्णता की रक्षा के लिए आक्रमण का सीधा ज़वाब दिया पीछे हटना पड़ा तो हटना पड़ा सीज़फायर नहीं किया. सरेंडर नहीं किया. झख मारकर चीन को एकतरफ़ा सीज़फ़ायर कीघोषणा के साथ नेफा छोड़ना पड़ा, तवांग समेत .