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दिनकर कला भवन बेगूसराय में बली और शंभू नाटक का हुआ मंचन

बेगूसराय। 19 अगस्त को दिनकर कला भवन बेगूसराय सभागार में आहुति नाटक अकादमी के तत्वावधान में मानव कौल लिखित नाटक बली और शंभू का मंचन युवा निर्देशक मोहित मोहन के निर्देशन में किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन उप महापौर अनीता देवी, बेगूसराय के वरिष्ठ रंगकर्मी अवधेश सिन्हा, वरिष्ठ रंगकर्मी परवेज युसूफ एवं उद्घोषक कुमार अभिजीत मुन्ना ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। उद्घाटन संबोधन करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी अवधेश सिन्हा ने आहुति नाटक अकादमी के कलाकारों को शुभकामना दी एवं कहा कि 1978 एवं 1980 से ही आधुनिक रंगमंच बेगूसराय में होते आ रही है, उस समय पूर्णकालीन नाटक करने के लिए हमारे पास जगह उपलब्ध नहीं था। हमलोग किसी तरह एकांकी नाटक किया करते थे। उस समय के मुताबिक अभी तो बेगूसराय में बहुत कुछ बदल गया है। बेगूसराय को नाटक करने के लिए दो-दो हॉल है। परवेज युसूफ साहब ने कहा नाटक विधा सामाजिक समस्याओं को समाज के सामने रखने का और अपनी बात आम जनमानस तक पहुंचाने का एक अच्छा माध्यम है। आज का नाटक वृद्धाश्रम में रह रहे दो बुजुर्गों के बीच अपने आप जीवन में घटित कहानी है। मुख्य मुख्य अतिथि उप महापौर अनीता देवी ने कहा कि  कलाकार बहुत मेहनत करने के बाद एक नाटक का मंचन करता है, इसका पूर्वाभ्यास महीनों करने के बाद नाटक का मंचन किया जाता है।  इसी कड़ी में आज चर्चित अभिनेता मोहित मोहन निर्देशित नाटक बली और शंभू के कलाकारों को मेरी शुभकामना है। अकादमी के सचिव रामानुज प्रसाद सिंह ने सभी आगत अतिथियों को अंग वस्त्र एवं पुष्पगुच्छ से स्वागत किया।

वर्तमान समाज में वृद्धाश्रम में रह रहे दो बुजुर्गों के जीवन से साक्षात्कार कराया है

युवा नाटककार मानव कौल ने वर्तमान समाज में वृद्धाश्रम में रह रहे दो बुजुर्गों के जीवन से साक्षात्कार कराया है। आज के भागमभाग भरी जिंदगी में मां-बाप को पीछे छोड़ देते हैं। फिर वह मां-बाप वृद्धाश्रम में जीवन बिताने को विवश हो जाते हैं। सब की खुशियों का ख्याल रखने वाला पिता अकेला रह जाता है, ऐसा ही दो बुजुर्गों की कहानी है बली और शंभू। बली अपने घर से निष्कासित पिता और शंभू अपना सब कुछ मानने वाली बेटी को खो चुका पिता। दोनों वृद्धाश्रम में मिलते और अपना दुख-सुख एक-दूसरे से बांटते हुए जीवन व्यतीत करता है। वहां इन दोनों की देखभाल झिलमिल नाम की लड़की करती है। उनकी  भावनाओं के साथ उनकी सेवा करती है। उनके पसंद ना पसंद का ख्याल करते हुए उन दोनों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन जाती है।

इन कलाकारों  ने निभाई भूमिका 

इस नाटक में बली की भूमिका सचिन कुमार एवं शंभू की भूमिका मोहित मोहन ने निभाई। अपने अभिनय से दर्शकों को भाव विह्वल कर दिया। झिलमिल की भूमिका रिया कुमारी, गौतम की भूमिका बिट्टु कुमार और शुभंकर की भूमिका में मिर्णाल गौतम ने शानदार अभिनय किया। नेपथ्य में संगीत संयोजन सूरज कुमार, प्रकाश सचिन कुमार, पवन कुमार, वस्त्र विन्यास उमा भारद्वाज तथा मंच संचालन कुमार अभिजीत मुन्ना ने किया। अंत में अकादमी के सचिव रामानुज प्रसाद सिंह व वरिष्ठ रंग निर्देशक अवधेश सिन्हा ने नाटक के निर्देशक मोहित मोहन को पुष्पगुच्छ एवं अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पवन राम सेवक साहू, कृष्ण मोहन सिंह, उमा भारद्वाज, कशिश, शिवानी, अंकित, टुनटुन रजक एवं अन्य किया।

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प्रवीण प्रियदर्शी

1998 से पत्रकारिता का सफर जारी। हिंदी मासिक पत्रिका ‘दूसरा मत’ से लिखने की शुरुआत। राष्ट्रीय जनमुक्ति पत्रिका का संपादन। दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रम के लिए स्क्रिप्ट राइटिंग। दैनिक अखबार हिंदुस्तान, दैनिक हरिभूमि (हरियाणा), प्रभात खबर और दैनिक भास्कर में पत्रकारिता की।
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