बेगूसराय | कला संस्कृति एवं युवा विभाग ने राज्य की सांस्कृतिक जड़ों को संरक्षित करने और युवा प्रतिभाओं को इस विरासत से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री गुरु-शिष्य परंपरा योजना की शुरुआत की है। जिला युवा कला संस्कृति पदाधिकारी श्याम सहनी ने बताया कि योजना का उद्देश्य केवल कलाओं का संरक्षण ही नहीं बल्कि कला प्रेमियों को एक सशक्त मंच प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
गुरु बनने के लिए क्या-क्या जरूरी
श्याम सहनी ने बताया कि योजना के अंतर्गत गुरु की आयु 50 वर्ष या उससे अधिक हो तथा गुरु बिहार का मूल निवासी हो। गुरु को विलुप्तप्राय विधाओं में न्यूनतम 10 वर्षों का अनुभव होना जरूरी है। गुरु के पास प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु उसके निवास में उपयुक्त स्थान अथवा पृथक प्रशिक्षण केंद्र की उपलब्धता होनी चाहिए। आवेदक सभी आवश्यक प्रमाण पत्रों के साथ आवेदन पत्र सांस्कृतिक कार्य निदेशालय को स्पीड पोस्ट करेंगे अथवा हाथों-हाथ 31 अगस्त 2025 तक जमा करेंगे।

प्रतिभागियों को 2 वर्षों तक प्रशिक्षित किया जाएगा
योजना के तहत चयनित कलाकारों को 2 वर्षों तक नियमित प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस दौरान प्रतिभागियों को हर माह कम से कम 12 दिन अनिवार्य रूप से उपस्थित रहना होगा। प्रत्येक गुरु को 15,000 प्रतिमाह, संगतकार को 7500 प्रतिमाह और हर शिष्य को 3000 प्रतिमाह की वित्तीय सहायता दी जाएगी। योजना के अंतर्गत कुल 20 गुरुओं, 20 संगतकारों और 160 शिष्यों का चयन किया जाना है। यह प्रोत्साहन राशि 2 वर्षों तक मिलेगी। राशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाएगी।
योजना के तहत 1.11 करोड़ रुपए की स्वीकृति
बिहार की लोकगाथाएं, लोकनाट्य, लोकनृत्य, पारंपरिक चित्रकला, लोकसंगीत और दुर्लभ वाद्ययंत्र जैसे क्षेत्रों में इस योजना के तहत गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से दो वर्षों का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में 1.11 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है।
एनडीए सरकार द्वारा ‘मुख्यमंत्री कलाकार पेंशन योजना’ एवं ‘मुख्यमंत्री गुरु शिष्य परंपरा योजना’ की शुरुआत की गई है।
सरकार बिहार की सांस्कृतिक विरासत और कला के संरक्षण व संवर्धन पर बल दे रही है।#CMArtistPensionScheme #Art #culture #Bihar pic.twitter.com/Gp1rlDT6LX
— Samrat Choudhary (@samrat4bjp) July 1, 2025