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बिना संगीत के मिथिला में कोई संस्कार या पर्व त्योहार संभव नहीं

पोथीघर फाउण्डेशन और म. अ. रमेश्वरलता संस्कृत महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में ‘मिथिला में संगीतक विभिन्न विधा’ विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया।

दरभंगा | पोथीघर फाउण्डेशन और म. अ. रमेश्वरलता संस्कृत महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में ‘मिथिला में संगीतक विभिन्न विधा’ विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. दिनेश झा ने की। लनामिवि दरभंगा में संगीत एवं नाट्य विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. लावण्य कीर्ति सिंह ने कहा कि मिथिला के संगीत की विविधताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि मिथिला में संगीत की चर्चा कोई नवीन बात नहीं है। इसके बिना मिथिला का कोई संस्कार, पर्व-त्योहार एवं आयोजन संभव नहीं है।

संगीत के क्षेत्र में विविध प्रयोग हुए
प्रो. लावण्य ने कहा कि संगीत का सामान्यतया दो अर्थों में प्रयोग होता है- शास्त्र एवं प्रायोगिक रूप में। ध्रुपद के चार वाणी हैं, जिसमें से दो वाणी खंडार और गौहर दरभंगा के ध्रुपद घराना में प्राप्त होता है। मिथिला में कर्णाट वंश, ओइनिवार वंश, राज दरभंगा आदि के आश्रय में संगीत के क्षेत्र में विविध प्रयोग और शोध से सबसे अधिक विकास हुआ। आज अमता घराना, पंचगछिया घराना, पंचोभ घराना आदि का परिचय दुनिया जान रही है। यहां सरस्वतीहृदयालंकार, ग्रन्थमहार्णव, वर्णरत्नाकर, संगीत दामोदर, श्रीहस्तमुक्तावली, रागतरंगिणी, संगीत सर्वस्व आदि जैसे अद्वितीय ग्रंथों की रचना की गई।
मिथिला में संगीत के क्षेत्र में गहन शोध की जरूरत
प्रो. सिंह ने कहा कि वर्तमान सिनेमा जगत में संगीत का उद्देश्य संस्कृति का संरक्षण नहीं, केवल मनोरंजन रह गया है। मिथिला में संगीत विधा के क्षेत्र में और अधिक गहन शोधात्मक अध्ययन की आवश्यकता है, जिससे यहां की सांस्कृतिक प्राकृतिक धार्मिक आदि विविधता का संरक्षण के साथ-साथ ये भावी पीढ़ियों के लिए संग्रहित हो सकेगी।

आधुनिकता के प्रभाव में हुआ सांस्कृतिक क्षरण
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. दिनेश झा ने कहा कि मिथिला में संगीत सामवेदिय परंपरा से रही है। यहां की सांगीतिक संस्कृति जन्म से लेकर अंत तक से संबद्ध है। किन्हीं को प्रेम भाव से संगीत के माध्यम से गाली कैसे दें, यह कौशल मिथिला के ही ‘डहकन’ में है। आधुनिकता के प्रभाव में सांस्कृतिक क्षरण हुआ है। आज रसनचौकी का स्थान डीजे ले लिया है।
व्याख्यानमाला में इन लोगों की उपस्थिति रही
मैथिल परंपरा अनुसार पोथीघर फाउण्डेशन की अध्यक्षा गुड़िया झा ने प्रो. लावण्य कीर्ति सिंह और वैद्य गणपति नाथ झा ने डॉ. दिनेश झा को सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन आशुतोष मिश्र ने और धन्यवाद ज्ञापन पोथीघर फाउण्डेशन के सचिव आनंद मोहन झा ने किया। व्याख्यानमाला में डॉ. अवनींद्र कुमार झा, मुरारी कुमार झा, डॉ. स्वस्तिनाथ झा, डॉ. राम सेवक झा, डॉ. विद्यानाथ झा, वैद्य गणपति नाथ झा, डॉ. सत्येन्द्र कुमार झा सहित कई प्रोफेसर, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
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हिमांशु शेखर

17 वर्षों से पत्रकारिता का सफर जारी। प्रिंट मीडिया में दैनिक भास्कर (लुधियाना), अमर उजाला (जम्मू-कश्मीर), राजस्थान पत्रिका (जयपुर), दैनिक जागरण (पानीपत-हिसार) और दैनिक भास्कर (पटना) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में कार्य करने के बाद पिछले एक साल से newsvistabih.com के साथ डिजिटल पत्रकारिता।
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