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रिवाइवल के कलाकारों ने  “पंचवटी” नाटक का किया मंचन

नाटक से भाषा, व्यवहार व संस्कार के साथ सामाजिक चेतना का विकास होता है -राजकिशोर 

बेगूसराय। तारा कॉलेज ऑफ एजुकेशन, बिक्रमपुर, चेरियाबरियारपुर के सभागार में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार व तारा कॉलेज ऑफ एजुकेशन के सहयोग से मंगलवार को रिवाइवल, बेगूसराय की नाट्य प्रस्तुति   “पंचवटी” मूल रचना मैथिली शरण गुप्त नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन कुमार अभिजीत के द्वारा मंचित किया गया। इस अवसर पर पूर्व विधायक उपेंद्र पासवान रिवाइवल के मुख्य संरक्षक सह नुनु बाबू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव राज किशोर सिंह आशीर्वाद रंग मंडल के सचिव डॉक्टर अमित रौशन, रिवाइवल के अध्यक्ष व फिल्म अभिनेता अमिय कश्यप, प्लेयर्स एक्ट के सचिव चंदन कुमार, रिवाइवल सचिव रजनी कुमारी, तारा कॉलेज के प्राचार्य संतोष कुमार ने सम्मिलित रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर राज किशोर सिंह ने कहा नाटक से भाषा, व्यवहार व संस्कार के साथ सामाजिक चेतना का विकास होता है। नाटक जीवन की शुरुआत भी है और अंत भी। पूर्व विधायक उपेंद्र पासवान ने नाटक “पंचवटी”को पारिवारिक सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना का अमूल्य उपहार बताया।

सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों को स्थापित करने का सशक्त माध्यम नाटक : अमित रौशन
अमित रौशन ने नाटक को सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों को स्थापित करने का सशक्त माध्यम कहा। इस नाटक में पारिवारिक प्रेम को प्रकृति प्रेम से जोड़कर दिखाया गया है। नाटक में गहन मानवीय मूल्य भावनाओं को व्यक्त किया गया है, जो लक्ष्मण और उर्मिला के वियोग को विशिष्ट बनाता है। प्रकृति का चित्रण इस नाटक का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा। राम वनवास के एक खंड को लेकर उसे आधुनिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने की सफल कोशिश की गई है। निर्देशक स्मृति ग्लानि और प्रेम जैसे भाव बिंबो का प्रभावशाली ढंग से प्रयोग किया है जिससे नाटक में भावनात्मक गहराई दिख रही थी। नाटक में वीर रस व श्रृंगार रस का बेजोड़ संतुलन था, लक्ष्मण और सूर्पनखा को मौलिकता प्रदान करने की बेजोड़ कोशिश दिखी। लक्ष्मण पुरुष वर्ग तो वही सूर्पनखा   स्त्री वर्ग को लेकर अनेक मौलिक सवाल खड़े करने में कामयाब रहे। नाटक व्यक्तिगत त्याग, आदर्श, प्रेम और कठिन परिस्थितियों में भी धर्म और नैतिकता के पालन के लिए दृढ़ और शांत रहने पारिवारिक सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों को बनाए रखने तथा प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की वकालत कर गई। निर्देशक अपने चरित्र के माध्यम से त्याग समर्पण के साथ व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं के समाधान के तरीके भी बता गए।
इन कलाकारों ने किया शानदार अभिनय
नाटक में कथा वाचक के रूप में कुमार अभिजीत, लक्ष्मण के किरदार में रजनीश कुमार, सुनील कुमार, सुमित कुमार, सूर्पनखा के रूप में कंचन कुमारी, अमीषा कुमारी, सरिता कुमारी, पूजा कुमारी ने अपने अभिनय से गति प्रदान कर रही थी। वही राम के किरदार में अभिलाषी तो सीता के किरदार में पूजा कुमारी, पूनम कुमारी, गीता कुमारी ने बेहतरीन काम किया,कोरस की भूमिका में बादल कुमार चौधरी, तन्नू कुमारी व शिरोमणि स्वराज ने अपने अभिनय से दर्शकों की तालियां बटोरती रही। वस्त्र विन्यास व सह निर्देशन रजनी कुमारी, सेट निर्माण कुमार संदीप, साउंड मनीष कुमार, लाइट सुमित कुमार, प्रॉपर्टी निर्माण सुमन कुमार ने किया। पूरे कार्यक्रम का संचालन दीपक कुमार ने किया ।
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प्रवीण प्रियदर्शी

1998 से पत्रकारिता का सफर जारी। हिंदी मासिक पत्रिका ‘दूसरा मत’ से लिखने की शुरुआत। राष्ट्रीय जनमुक्ति पत्रिका का संपादन। दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रम के लिए स्क्रिप्ट राइटिंग। दैनिक अखबार हिंदुस्तान, दैनिक हरिभूमि (हरियाणा), प्रभात खबर और दैनिक भास्कर में पत्रकारिता की।
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