- जीडी कॉलेज में प्रोफेसर अरमान आनंद के काव्य संग्रह “नींद जिसे रात भर नहीं आती” का हुआ लोकार्पण
बेगूसराय | जीडी कॉलेज के पीजी गैलरी में गुरुवार को हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं युवा कवि डॉ अरमान आनंद के काव्य संग्रह “नींद जिसे रात भर नहीं आती” का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि अरमान आनंद की कविताओं में प्रेम की सघन अनुभूति युग, यथार्थ का गहरा बोध है। नायक, तानाशाह, होमवर्क और नींद जिसे रात भर नहीं आती जैसी कविताओं ने मुझे प्रभावित किया। कविता भाषा का सृजनात्मक रूप है। कवि इस कसौटी पर खरे उतर रहे हैं।
गंगा जमुनी तहजीब के कवि हैं अरमान आनंद : भगवान प्रसाद सिन्हा
मुख्य वक्ता डॉ भगवान प्रसाद सिन्हा ने कहा अरमान आनंद गंगा जमुनी तहजीब के कवि हैं। इनकी कई कविता सत्ताधारी के चेहरे पर थूकती नजर आती है। इनकी कविताएं युद्ध, प्रेम, राजनीति जैसे ज्वलंत मुद्दों पर मुखर होकर बोलती हैं।
वर्तमान समय की जरूरत यह काव्य संग्रह : फिरदौस
वहीं भारत भूषण पुरस्कार प्राप्त युवा कवि प्रोफेसर सुधांशु फिरदौस ने कहा कि अरमान आनंद अंततः कवि हैं जिन्होंने कई अन्य क्षेत्रों की भी यात्रा की है जिसकी स्पष्ट झलक इनकी कविताओं में दिख जाती है। इस पीढ़ी का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी नींद है। बाजार नींद गायब करने का हर संभव प्रयास कर रहा है। नींद गायब कर हजारों करोड़ का कारोबार चल रहा है। नींद आएगी तो व्यक्ति चेतन होगा और चेतनता बाजार का दुश्मन है। यह संग्रह वर्तमान समय की जरूरत है जिसे युवा पीढ़ी को अवश्य पढ़नी चाहिए। कवि की जिम्मेदारी है कि सत्ता की साजिश को बेनकाब करना और वर्तमान की चुनौतियों को दर्ज करना है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एस बी एस एस महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. अवधेश कुमार सिंह ने कहा मैं महाविद्यालय से गहरे स्तर पर जुड़ा हूं। इसके सांस्कृतिक साहित्यिक विकास को देख कर खुशी होती है। मैं इस नई किताब के लिए डॉ अरमान को बधाई देता हूं। महाविद्यालय के लेखपाल कल्याणेश अग्रवाल ने कहा अरमान आनंद की कविताएं मनुष्य को भीतर तक झकझोरती हैं। संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ ललन ने कहा अरमान की कविताएं आज की जरूरत हैं। वे मुझे कभी कभी नारों की तरह दिखती हैं जो तानशाही सत्ता को उखाड़ देना चाहती हैं।
कवि हमेशा अंतर्द्वंद्व को जीता है : अरमान
युवा कवि अरमान आनंद ने आत्म वक्तव्य में कहा कि कवि हमेशा अंतर्द्वंद्व को जीता है। बनारस एक कॉकटेल शहर है। विरासत और आधुनिकता में जीता हुआ। बनारस ने प्रेम और आंदोलन दोनों में मुझे शामिल किया। यह कविताएं उसी की परिणति हैं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ श्रवसुमी कुमारी ने डायन कविता का मर्मस्पर्शी चित्रण किया। स्वागत वक्तव्य में उर्दू विभाग की अध्यक्ष प्रो सहर अफ़रोज़ ने कहा मुझे मकबूल और गौरैया कविता खासी पसंद आई। अरमान बेगूसराय में कविता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, उन्हें बधाई। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. शशिकांत पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर हिंदीस्थान प्रकाशन द्वारा पुस्तक मेले का भी आयोजन किया गया।
समारोह में ये लोग हुए शामिल
समारोह में प्रख्यात चिकित्सक डॉ राहुल कुमार, कवि शेखर सावंत, कवि आर्यपुत्र दीपक, युवा कवि रहमान, हिंदीस्थान प्रकाशन के निदेशक विकास रावल, प्रो. कृष्ण कुमार, प्रो. जितेन्द्र कुमार, प्रो. रोली कुमारी, प्रो. ललिता कुमारी ,प्रो. अभिमन्यु कुमार, प्रो. प्रियंका कुमारी, प्रो. राकेश रौशन, प्रो. दिनेश कुमार सहित बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।