राजनीति और शतरंज दोनों में यही समानता है कि प्रतिद्वंद्वी को सामने वाली की चाल का पता नहीं होता। सामने वाला कौन सी चाल चलेगा और खेल खत्म, कहना मुश्किल होता है। साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र में भी कमोबेश यही स्थिति बनती नजर आ रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री जमशेद अशरफ JDU के उम्मीदवार होंगे। अगर जदयू की यह चाल कामयाब रही तो यकीनन उसने एक ही तीर से अपने घटक दल भाजपा और लोजपा दोनों को चारों खाने चित्त कर दिया। ऐसा इसलिए कि जमशेद अशरफ ने जब पहली बार 2005 में विधानसभा चुनाव जीता था उस समय वे बलिया विधानसभा क्षेत्र (अब साहेबपुर कमाल) से जदयू के उम्मीदवार थे। वर्ष 2014 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली। राजनीतिक गुणा-भाग से लग रहा था कि 2025 में यह सीट लोजपा (रामविलास) के खाते में जाएगी और सुरेंद्र विवेक प्रत्याशी होंगे। अब जमशेद अशरफ वाला दांव चलकर जदयू ने ‘राम’ और ‘हनुमान’ दोनों की बोलती बंद कर दी है।
पहली बार लोजपा से चुनाव लड़ा था जमशेद अशरफ ने
जमशेद अशरफ ने पहली बार 2005 के फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में बलिया विधानसभा क्षेत्र से किस्मत आजमायी थी। अशरफ लोजपा के प्रत्याशी थे, लेकिन राजद के उम्मीदवार श्रीनारायण यादव से हार गए। वर्ष 2005 में ही अक्टूबर में फिर विधानसभा चुनाव हुआ। इस बार जमशेद अशरफ JDU की ओर से चुनावी मैदान में आए। राजद के श्रीनारायण यादव को करीब 18 हजार वोट से हराया। नीतीश कुमार ने मंत्री बनाया। जमशेद अशरफ 2006 से 2008 तक बिहार हज कमेटी के चेयरमैन भी रहे।
2009 में इस्तीफा दिया और कांग्रेस में शामिल हुए
जमशेद अशरफ ने 2009 में नीतीश सरकार से आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मंत्रिमंडल और पार्टी दोनों से इस्तीफा दे दिया। बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस में शामिल होने के बाद वे 2010 में तेघड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार बने। यहां वे तीसरे स्थान पर रहे। भाजपा के ललन कुंवर सीपीआइ के रामरतन सिंह को हराकर विधायक बने।
नीतीश से कहीं ज्यादा BJP को सेक्यूलर बताया था
जमशेद अशरफ ने साल 2014 में सुशील मोदी और मंगल पांडेय के समक्ष BJP ज्वाइन किया। भाजपा ज्वाइन करते ही उन्होंने कहा कि बीजेपी, नीतीश कुमार से कहीं ज्यादा सेकुलर है और नीतीश ने बीजेपी को प्रधानमंत्री बनने के लिए छोड़ा जो की ढोंग निकला। जमशेद अशरफ के मुताबिक उन्होंने तमाम टिकट बंटने के बाद पार्टी ज्वाइन की ताकि उन पर अवसरवादी होने का आरोप ना लगे।

शराबबंदी पर सरकार को घेरा था, अब क्या करेंगे
पूर्व मंत्री अशरफ ने कहा था कि जिस उम्र में बच्चों को स्कूल जाना चाहिए इस शराबबंदी कानून की वजह से उनके हाथ में शराब की बोतलें आ चुकी हैं। इतना ही नहीं गलत तरीके से अर्जित किए गए इस धन की वजह से बच्चे स्मैक जैसे खतरनाक नशा का भी सेवन कर रहे हैं। अब सवाल उठता है कि जिस शराबबंदी कानून को लेकर जमशेद अशरफ ने नीतीश सरकार को घेरा था, वो कानून अब भी लागू है। तो जमशेद अशरफ अब किस आधार पर भाजपा को छोड़ JDU से प्रत्याशी बनेंगे।
फैक्ट फाइल : NDA ने जब-जब मुस्लिम प्रत्याशी उतारा, जीत हुई
अक्टूबर 2005 में NDA ने बलिया विधानसभा क्षेत्र से नगर विकास मंत्री श्रीनारायण यादव (राजद) के खिलाफ मुस्लिम प्रत्याशी के रूप में जमशेद अशरफ को उतारा। परिणाम अशरफ जीते। वर्ष 2010 में गठबंधन ने फिर से जदयू की ओर मुस्लिम प्रत्याशी परवीन अमानुल्लाह को उम्मीदवार बनाया। इस बार भी जीत हुई। 2014 के उपचुनाव में भाजपा और जदयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। भाजपा की ओर से शशिकांत कुमार और जदयू से शबनम परवीन चुनावी मैदान में थी। परिणाम राजद के श्रीनारायण यादव जीते। 2015 में सीट लोजपा के खाते में गई। लोजपा से मो. असलम ने चुनाव लड़ा, लेकिन लोजपा के ही सुरेंद्र विवेक भी निर्दलीय मैदान में थे। नतीजा फिर से श्रीनारायण यादव जीते। 2020 में जदयू के शशिकांत कुमार और लोजपा के सुरेंद्र विवेक प्रत्याशी थे। चुनावी नतीजा राजद के उम्मीदवार स्व. श्रीनारायण यादव के पुत्र सतानंद संबुद्ध के पक्ष में गया। कुल मिलाकर जब भी आमने-सामने की टक्कर हुई है परिणाम NDA के मुस्लिम प्रत्याशी के पक्ष में गया है।
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