- बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन मृत्युंजय कुमार झा ने प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों की बैठक ली
- सरस्वती संस्कृत उच्च विद्यालय में आयोजित की गई थी विचार विमर्श संगोष्ठी
बेगूसराय | संस्कृत विद्यालयों में शिक्षक ऐसा माहौल बनाएं जिससे लोगों को लगे कि यह संस्कृत विद्यालय है। संस्कृत भाषाओं की जननी है। इस कारण विद्यालय में संस्कृत के श्लोक का पाठ हो ताकि एक अलग माहौल बने। लोगों को ऐसा माहौल मिले जिससे वे आपके विद्यालय में बच्चों को नामांकित कराएं। ये बातें बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन मृत्युंजय कुमार झा ने कही। वे मंगलवार को सरस्वती संस्कृत हाई स्कूल, बेगूसराय में प्रधानाध्यापक और शिक्षकों के साथ आयोजित विचार विमर्श संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

इससे पहले बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा, दरभंगा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के विधान पार्षद सर्वेश कुमार, बोर्ड के सदस्य चन्द्रकिशोर कुमार, विद्यालय के प्रधानाध्यापक डॉक्टर प्रशांत कुमार, शंकर भवन संस्कृत उच्च विद्यालय मेहदाशाहपुर के पूर्व प्रधानाध्यापक नवीन कुमार चौधरी, सरस्वती संस्कृत आदर्श महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विश्वनाथ मिश्र ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इसके बाद अतिथियों के सम्मान में स्वस्तिवाचन किया गया।
संस्कृत विद्यालयों में आधारभूत संरचनाएं सुदृढ़ होंगी
उन्होंने कहा कि मैं संस्कृत के विकास, उत्थान के लिए संकल्पित हूं। संस्कृत शिक्षा बोर्ड का चेयरमैन बनने के बाद से अब तक करीब 33 जिलों का दौरा कर चुका हूं। विद्यालयों के आधारभूत संरचना, पाठ्यक्रम, मध्याह्न भोजन एवं अन्य मूलभूत सुविधाएं बहुत जल्द सरकार के स्तर से उपलब्ध कराई जाएंगी। बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के सदस्य चंद्र किशोर कुमार ने प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों की बैठक में विद्यालयवार आधारभूत संरचना की भौतिक स्थिति एवं छात्रों की उपस्थिति की जानकारी ली।

विकसित राष्ट्र का लक्ष्य हासिल करने के लिए संस्कृत विद्यालयों की स्थिति सुधारनी होगी : सर्वेश कुमार
दरभंगा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के विधान पार्षद सर्वेश कुमार ने कहा कि संस्कृत भाषा भारत की सभ्यता और संस्कृति की प्राचीन धरोहर है। 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बिहार के संस्कृत विद्यालयों की स्थिति बेहतर करनी होगी। संस्कृत विद्यालयों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार प्रयासरत है। इसके साथ ही संस्कृत विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को भी आगे आना होगा। बच्चों में संस्कृत के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए शिक्षकों को परंपरागत तरीकों के साथ ही आधुनिक तरीके भी अपनाने होंगे। उन्हें संस्कृत को इस तरह से सरल बनाना होगा कि बच्चे आसानी से पढ़ सकें।

संस्कृत के विकास से ही सभ्यता का विकास : सुरेश राय
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सह शिक्षाविद डॉक्टर सुरेश प्रसाद राय ने कहा कि संस्कृत के विकास से ही सभ्यता और संस्कृति का विकास होगा। संस्कृत शिक्षकों से संबंधित उपार्जित अवकाश के प्रस्ताव को सरकार में भेजने के लिए बोर्ड के अध्यक्ष का धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह को लालजी सिंह संस्कृत उच्च विद्यालय विक्रमपुर के प्रधानाध्यापक संजय कुमार सिंह, प्राथमिक सह मध्य विद्यालय महादेव स्थान संजात के पूर्व प्रधानाध्यापक कैलाश महतो एवं अन्य ने सम्बोधित किया। समारोह की अध्यक्षता पूर्व प्रधानाध्यापक नवीन कुमार चौधरी एवं संचालन शिक्षक संतोष कुमार ने किया।
मा.शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान जी
बिहार के संस्कृत विद्यालय के प्रति आपका प्रयास स्वर्णनाक्षर मे लिखे जाएंगे ।
648 संस्कृत विद्यालय के आधारभूत संरचना सहित आधुनिक बनाने के लिय स्वीकृति दी यह संस्कृत के उत्थान मे अभूतपूर्व कदम है।@narendramodi @dpradhanbjp @NitishKumar pic.twitter.com/pdM4iLY2Mo— Mrityunjaya Jha BJP Bihar (@JMrityunjay) October 5, 2025