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मटिहानी का रुझान NDA और परिणाम महागठबंधन की ओर

मटिहानी में जिस तरह गंगा कटाव करती है उसी तरह हर पांच साल में वोटों का कटाव भी होता है। अब यह कटाव किसकी ओर ज्यादा या कम है, यह 14 नवंबर को पता चलेगा।

जिले के तीन क्षेत्र ऐसे हैं जिनका नाम लेने का मतलब ही है गंगा। पहला सिमरिया, दूसरा झमटिया और तीसरा मटिहानी। हम बात कर रहे हैं तीसरे क्षेत्र यानी मटिहानी की। इस क्षेत्र में जिस तरह गंगा नदी मिट्‌टी का कटाव करती है उसी तरह हर पांच साल में वोटों का कटाव भी होता है। यह कटाव इस बार के विधानसभा चुनाव परिणाम में क्या गुल खिलाएगा यह तो 14 नवंबर को EVM खुलने के बाद पता चलेगा। लेकिन क्षेत्र में घूमने पर पता चला कि रुझान NDA (जदयू के राजकुमार सिंह) की ओर है लेकिन परिणाम महागठबंधन (राजद के नरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह) की ओर इशारा कर रहे।

इस विधानसभा क्षेत्र की भाैगोलिक दिशा
इस विधानसभा क्षेत्र में मटिहानी और शाम्हो-अकहा-कुरहा प्रखंड के अलावा बेगूसराय प्रखंड की 19 पंचायत, बरौनी प्रखंड के कुछ क्षेत्र, बरौनी औद्योगिक नगर के अलावा बेगसूराय नगर निगम के 17 वार्ड शामिल हैं।

किसकी कहां पकड़ मजबूत और कमजोर
महागठबंधन के प्रत्याशी नरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ बाेगो सिंह नूरपुर, महना, केशावे, जैमरा, देवना, मोसादपुर, लडुआरा, चिलमिल-हरदिया, सिंघौल, चकफरीद, उलाव, डुमरी कमरुद्दीनपुर, नागदह, महमदपुर, पिपरा, कैथमा, खातोपुर, बहदरपुर, रामदीरी-1, रामदीरी-4 और गोरगामा में वोटों के लिहाज से काफी आगे हैं। वहीं NDA प्रत्याशी राजकुमार सिंह विनोदपुर, अमरौर, रचियाही, मचहा-उलाव-कैलाशपुर, राजापुर, रिफाइनरी, इटवा, बाघी, हेमरा पसपुरा, सिहमा, ऐघु, धबौली, शाहपुर, भैरवार, रामदीरी-2, रामदीरी-3, सिहमा, बदलपुरा, मनिअप्पा, सफापुर, दरियापुर, हांसपुर, खोरमपुर और बलहपुर में लीड कर रहे हैं। इस विधानसभा क्षेत्र के अन्य भागों में दोनों बराबर वोटों के दावेदार नजर आ रहे हैं।

वोट 10% प्रतिशत बढ़ा, अति पिछड़ों का खासा दखल
इस विधानसभा क्षेत्र में बछवाड़ा प्रखंड के 18 पंचायत, भगवानपुर प्रखंड के 15 पंचायत और मंसूरचक के 7 पंचायत शामिल हैं। वर्ष 2020 में यहां 2 लाख 97 हजार 646 मतदाताओं में से करीब 1 लाख 81 हजार 564 (करीब 61%) लोगों ने वोट डाले थे। इस बार मतदान प्रतिशत 71.22 प्रतिशत रहा। यादव समुदाय बछवाड़ा में करीब 25 प्रतिशत से अधिक आबादी रखता है। हालांकि अति पिछड़े 36 प्रतिशत, पिछड़े 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 20 प्रतिशत, जनजाति 1.7 प्रतिशत और सामान्य वर्ग 15.52 प्रतिशत हैं।
वोटों का बंटवारा कैसे हुआ
कांग्रेस के प्रत्याशी शिवप्रकाश गरीबदास को यादव (80%), मुस्लिम (100%) और भूमिहारों का करीब 35% वोट मिलेगा। वहीं सीपीआइ को कैडर वोट के साथ-साथ यादवों का 15% वोट हासिल हुआ है। वहीं भाजपा के सुरेंद्र मेहता को कोइरी-कुर्मी (100%), भूमिहार (60%) और यादवों का 4%वोट मिलेगा। जनसुराज के उम्मीदवार रामोद कुंवर ने वामपंथियों के कैडर वोट में सेंधमारी की। इन्हें 5% भूमिहारों ने भी मत दिए होंगे।
भाजपा कार्यकर्ताओं में विद्रोह की भावना
इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा कार्यकर्ताओं में विद्रोह की भावना प्रबल देखी गई। चाहे बेगूसराय हो या फिर बछवाड़ा। दोनों जगहों पर कार्यकर्ताओं ने वर्तमान विधायकों की दावेदारी का विरोध किया। बछवाड़ा में इसलिए कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के विधायक सुरेन्द्र मेहता गिरिराज सिंह को बढ़त नहीं दिला सके। दूसरा, जनता में भी सुरेन्द्र मेहता के प्रति उत्साह नहीं देखा गया। लोगों ने कहा कोई काम ही नहीं किए। केवल खेल प्रतियोगिता करा देने से जनता का भला थोड़े ही होगा। बावजूद सुरेन्द्र मेहता को भाजपा ने टिकट दिया। यहां भी भीतरघात हुआ। जैसा भीतरघात तेघड़ा में भाजपा प्रत्याशी रजनीश कुमार सिंह के साथ हुआ।

यादव और मुस्लिम ही निर्णायक वोटर
यहां यादव वोटरों की संख्या करीब 61 लाख और मुस्लिमों की संख्या 44 हजार है। इसके बाद कुर्मी और फॉरवार्ड 29-29 हजार हैं। पासवान भी 15000 हैं। इस बार बेगूसराय जिले के साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 71.97 प्रतिशत मतदान हुआ। 2 लाख 62 हजार 485 वोटरों में से 1 लाख 88 हजार मतदाताओं ने वोट दिए। एक अनुमान के अनुसार, करीब 35 हजार यादव और 30 हजार मुस्लिम मतदाताओं ने वोट दिए। यहां के समीकरण के मुताबिक राजद प्रत्याशी सतानंद संबुद्ध को यादवों का 85 प्रतिशत, मुस्लिमों का 90 प्रतिशत और महिलाओं का 15 प्रतिशत वोट हासिल हुआ। दूसरी ओर लोजपा के प्रत्याशी सुरेन्द्र विवेक को कुर्मी का 90 प्रतिशत और पासवान का सौ प्रतिशत मत मिला है। यहां कुर्मी जाति के 20 हजार और पासवान बिरादरी के 8000 मतदाताओं ने वोट डाले। सरकार की योजनाओं के कारण महिलाओं का झुकाव भी सुरेन्द्र विवेक की ओर रहा।
अमर कुमार ने खेल बिगाड़ दिया
निर्दलीय प्रत्याशी अमर ने कुमार ने इस बार सुरेन्द्र विवेक का खेल बिगाड़ कर अपना बदला पूरा कर लिया। अमर कुमार को भी मुस्लिम और कुर्मी बिरादरी का मत हासिल हुआ है। अगर अमर मैदान में नहीं होते तो मुस्लिमों का वोट सुरेन्द्र विवेक को मिलता। वर्ष 2020 के चुनाव में सुरेन्द्र विवेक ने लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जदयू उम्मीदवार अमर कुमार को हराने का काम किया था। इस बार मतों की संख्या के लिहाज से भी अमर कुमार शायद हिसाब बराबर न कर लें।

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हिमांशु शेखर

17 वर्षों से पत्रकारिता का सफर जारी। प्रिंट मीडिया में दैनिक भास्कर (लुधियाना), अमर उजाला (जम्मू-कश्मीर), राजस्थान पत्रिका (जयपुर), दैनिक जागरण (पानीपत-हिसार) और दैनिक भास्कर (पटना) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में कार्य करने के बाद पिछले एक साल से newsvistabih.com के साथ डिजिटल पत्रकारिता।
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