- “नमामि गंगे” के तहत राष्ट्रीय रैंचिंग कार्यक्रम आयोजित
बेगूसराय | “नमामि गंगे कार्यक्रम” के तहत ICAR–CIFRI (Central Inland Fisheries Research Institute) की ओर से मंगलवार को तेघड़ा प्रखंड के अयोध्या घाट पर राष्ट्रीय रैंचिंग कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके तहत गंगा नदी में बड़ी संख्या में मछली (अंगुलिका) छोड़ी गई। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी में देशज प्रजाति की मछलियों की संख्या बढ़ाना तथा नदी की पारिस्थितिकी को और अधिक सुदृढ़ बनाना है।
ऐसा करने से क्या होता है?
मछलियों की पर्याप्त संख्या नदी के जैविक संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इससे नदी की प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया को भी प्रोत्साहन मिलता है।

जलीय जीवों के संरक्षण को प्रेरित किया
ICAR–CIFRI की टीम द्वारा स्थानीय समुदाय को भी इस पहल से जुड़ने, नदी संरक्षण के महत्व को समझने तथा जलीय जीवों के संरक्षण में सहयोग करने हेतु प्रेरित किया गया। “नमामि गंगे” मिशन के अंतर्गत चल रही इस पहल से गंगा नदी को स्वच्छ, अविरल और जीवनदायिनी बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है।
इन लोगों की भागीदारी रही
इस अवसर पर अनुमंडल पदाधिकारी तेघड़ा, जिला मत्स्य पदाधिकारी बेगूसराय, प्रखंड विकास पदाधिकारी तेघड़ा, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मनरेगा सह नमामि गंगे बेगूसराय तथा ICAR–CIFRI के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
इससे क्या फायदा होता है
- मत्स्य पालन: मत्स्य पालन के उद्योग में ये एक नींव की तरह हैं। कृत्रिम तालाबों और जलाशयों में इनका पालन किया जाता है।
- संरक्षण: विलुप्त हो रही मछली प्रजातियों को वापस लाने के लिए इन्हें नदियों में छोड़ा जाता है, जिसे रिवर रैचिंग कहते हैं।










