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फिर लौटेगी सकरी-रैयाम चीनी मिल की मिठास

बिहार में चीनी मिलों के दिन बहुरने वाले हैं। जल्द ही सकरी-रैयाम, मढ़ौरा सहित प्रदेश की 9 चीनी मिलों की मिठास लौटने वाली है। इसके लिए प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
  • मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित
  • मुख्यमंत्री के निर्देश पर गन्ना उद्योग विभाग सक्रिय

पटना | बिहार में चीनी मिलों के दिन बहुरने वाले हैं। जल्द ही सकरी-रैयाम, मढ़ौरा सहित प्रदेश की नौ चीनी मिलों की मिठास लौटने वाली है। इसके लिए CM नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार और गन्ना उद्योग विभाग ने बंद पड़ी चीनी मिलों को पुन: चालू करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। ये चीनी मिलें करीब दो दशक से अिधक समय से बंद पड़ी हैं। बंद चीनी मिलों को फिर से चालू करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई है।

पहली कैबिनेट में ही मिली चालू करने की स्वीकृति
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई पहली कैबिनेट बैठक में नौ बंद चीनी मिलों को पुनः चालू करने की मंजूरी दी गई। बताते चलें कि विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर से चालू करने का आश्वासन दिया था। सरकार बनने के बाद घोषणाओं को अमली जामा पहनाने के लिए गन्ना उद्योग विभाग सक्रिय हो गया है।

1996 में सकरी और 1993 में रैयाम चीनी मिल बंद हुई थी
सकरी चीनी मिल 1997 में प्रबंधन की खामियों, इथेनॉल उत्पादन पर लगे प्रतिबंध और निवेश आकर्षित करने में सरकार की विफलता जैसे कई कारणों से बंद हो गई थी। मिल 1992-93 में मुनाफे में होने के बावजूद, कई अन्य मिलों की तरह इसे भी बंद करने का निर्णय लिया गया, जिससे करीब 1100 कर्मचारियों और गन्ना किसानों को भारी नुकसान हुआ। 1996 में सकरी और 1993 में रैयाम चीनी मिल बंद हुई थी।
28 साल पहले बंद हुई थी मढ़ौरा चीनी मिल
ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन (BIC) के अधीन कावनपुर सुगर वर्क्स लिमिटेड की तीन मिलें मढ़ौरा, बारा चकिया और चनपटिया राज्य की प्रमुख इकाइयां थीं। मढ़ौरा चीनी मिल वर्ष 1997 में जबकि चकिया और चनपटिया चीनी मिलें वर्ष 1994 में बंद हो गई थीं।

भूमि अधिग्रहण पूरा, अन्य मिलों में विवाद जारी
गन्ना उद्योग विभाग ने दरभंगा स्थित सकरी और रैयाम चीनी मिलों की भूमि का अधिग्रहण पूरा कर लिया है, जबकि अन्य सात चीनी मिलों से जुड़े भूमि तथा स्वामित्व संबंधी विवाद अभी सुलझाए जा रहे हैं।

सरकार ने इन 15 चीनी मिलों का अधिग्रहण किया था
1977 से 1985 के बीच बिहार सरकार ने करीब 15 से अधिक चीनी मिलों का अधिग्रहण किया था। इनमें समस्तीपुर सेंट्रल शुगर को-ऑपरेटिव लिमिटेड, दरभंगा जिले के रैयाम में तिरहुत को-ऑपरेटिव शुगर कंपनी लिमिटेड, वैशाली जिले के गोरौल में शीतल शुगर वर्क्स लिमिटेड, सीवान जिले में एसकेजी शुगर लिमिटेड, गया जिले के फनफार में गुरारू शुगर मिल, न्यू सिवान शुगर एंड गुड रिफाइनिंग कंपनी, मधुबनी जिले के लोहट में दरभंगा शुगर कंपनी लिमिटेड, पटना जिले के बिहटा में साउथ बिहार शुगर मिल लिमिटेड, पूर्वी चंपारण जिले के सुगौली में सुगौली शुगर वर्क्स लिमिटेड, गोपालगंज जिले के हथुआ में एसकेजी शुगर लिमिटेड, पश्चिम चंपारण जिले के लौरिया में एसकेजी शुगर लिमिटेड, मुजफ्फरपुर जिले के मोतीपुर में मोतीपुर चीनी कारखाना, मधुबनी जिले के सकरी में दरभंगा शुगर लिमिटेड, पूर्णिया सहकारी चीनी कारखाने लिमिटेड, पूर्णिया जिले में बनमनखी, और नवादा जिले के वारिसलीगंज में वारिसलीगंज सहकारी चीनी मिल लिमिटेड शामिल हैं।

 

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हिमांशु शेखर

17 वर्षों से पत्रकारिता का सफर जारी। प्रिंट मीडिया में दैनिक भास्कर (लुधियाना), अमर उजाला (जम्मू-कश्मीर), राजस्थान पत्रिका (जयपुर), दैनिक जागरण (पानीपत-हिसार) और दैनिक भास्कर (पटना) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में कार्य करने के बाद पिछले एक साल से newsvistabih.com के साथ डिजिटल पत्रकारिता।
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