देवमुनी जंबूद्वीप के भ्रमण क्रम में अचानक बैकुंठ पहुंचे। उन्हें अकस्मात देख श्री हरि पूछ बैठे- ‘सब ठीक है न? एकाएक इस ओर कैसे आना हुआ मुनिवर?’ नारद जी अपनी उद्विग्नता छिपा न सके और हठात कहने लगे-‘महाराज जंबूद्वीप के वनांचल में इन दिनों गजब का हलचल है।’ विस्तार से बताएं मुनिवर- श्री हरि ने कहा।
तत्पश्चात नारद जी सिर पर बल देते हुए कहने लगे- ‘महाराज घोर कलयुग आ गया है। कल तक झारखंड में जल, जंगल, जमीन के लिए संघर्ष करने वाला कोल्हान का एक टाइगर एक-ब-एक वनवासी कहने वाला लोटस की जमात में शामिल होने के लिए भाया कोलकता हस्तिनापुर तो पहुंच गए, किंतु वनवासी कहने वाले लोटस के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें घास तक नहीं डाली। यहां तक कि रांची में उनके साथ बंद कमरे में गुफ्तगू करने वाले उनके शुभचिंतक जो साहेबगंज के पराजित सांसद (पूर्व विधायक) और उनके कथित दो-चार सहयात्री का स्कार्पियो भी खाली लौट गया।’ उधर इस नाटक के सूत्रधार को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
अब बेचारे मंत्री जी (टाइगर) खाली बैठे पत्रकारों का क्या करें। उनके वाणों की बौछार कभी उन्हें चश्मा बनवाने पोते के पास तो कभी बेटी से मिलने दिल्ली की यात्रा करने का सबब बना दिया। लगता है नेता जी की दूरदृष्टि में कुछ गड़बड़ी आ गई है। अन्यथा चश्मा तो रांची में ही है। यानी पूर्व मुख्यमंत्री जी को न माया मिली न राम यानी लोटस ने न उन्हें घर का रहने दिया न घाट का छोड़ा। इन सारी बातों को कहते हुए मुनिवर अचानक अन्तर्ध्यान हो झारखंड के चुनाव पूर्व राजनीतिक चपलता का सुख लेने वनांचल पहुंच गए।
2 thoughts on “हे वनांचल वासियों! टाइगर की दूरदृष्टि धुंधला गई सी लगती है”
राजनीतिक खबर में छायावाद का अद्भुत प्रयोग देखने को मिला। जिसने भी इंट्रो पढ़ा होगा, वह पूरी खबर पढ़ें बिना नहीं रूका होगा।
न्यूज़ विस्ताभ चैनल के संपादक जी का खबर व्यंग्य का अभिनव यह अभिनव प्रयोग है.आपको पसंद आया.साधुवाद!