प्रयागराज | महाकुंभ 2025 शुरू होने में केवल 15 दिन शेष रहा गया है। महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी तक 45 दिनों के लिए प्रयागराज में आयोजित है। मेले की तैयािरयां करीब-करीब अंतिम चरण में हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं और समय-समय पर ऑनलाइन मीटिंग कर अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं। दूसरी ओर ,सर्दी के मौसम में मेला में आने वाले लोगों की सबसे बड़ी चिंता ठहरने और स्वास्थ्य की होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए मेला क्षेत्र में आश्रय स्थल और अस्पताल बनाया गया है। इस बार महाकुंभ मेले में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आने का अनुमान है।
250 बेड वाले करीब 100 सार्वजनिक आश्रय स्थल तैयार
अधिकारियों की मानें तो यहां 250 बेड की क्षमता वाले करीब 100 सार्वजनिक आश्रय स्थल बनाए गए हैं। इन आश्रय स्थलों में पुरुष और महिला श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग शौचालय-स्नानघर बनाए गए हैं। साफ-सफाई के साथ-साथ प्रत्येक दिन चादर बदले जाएंगे। सुरक्षा की व्यवस्था भी 24 घंटे रहेगी। इन आश्रय स्थलों में ठहरने के लिए आपको मामूली राशि चुकानी होगी। अधिकारियों ने बताया कि यदि कोई श्रद्धालु इन आश्रय स्थलों में एक दिन के लिए ठहरते हैं तो उन्हें मात्र 100 रुपए देने होंगी। अगर कोई लगातार दो दिन रुकेगा तो पहले दिन 100 रुपए और दूसरे दिन 200 रुपए देने होंगे।

मुख्य स्नान पर्व वाले दिन चार्ज दोगुना होगा
जानकारी के अनुसार, मुख्य स्नान पर्व और इसके आसपास वाले दिन आप यदि इन आश्रय स्थलों को ठिकाना बनाते हैं तो आपको ज्यादा शुल्क देना होगा। मुख्य स्नान पर्व और इसके आसपास वाले दिन आपको एक दिन के लिए 200 रुपए और अगर दो दिन ठहरेंगे तो पहले दिन 200 रुपए और दूसरे दिन 400 रुपए चुकाने होंगे। राशि भुगतान आप नकद और डिजिटल दोनों माध्यम से कर सकते हैं।
श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मेला प्रशासन ने हर सेक्टर में अस्थाई अस्पताल बनाया है। जबकि प्रयागराज के छतनाग झूंसी स्थित एक्यूप्रेशर शोध संस्थान और शहर के मिंटो रोड स्थित एक्यूप्रेशर चिकित्सा केंद्र पर सेवा कर्मियों की टीम तैनात रहेगी। टीम मेले में एक्यू एनर्जी और प्राकृतिक चिकित्सा के जरिए निःशुल्क सेवा देगी।

एक्यूएनर्जी से होगा इलाज : एक्यूप्रेशर संस्थान के निदेशक अनिल द्विवेदी ने बताया कि बीपी, शुगर, माइग्रेन, अनिद्रा जैसी बीमारी तेजी से पांव पसार रही है। इसके अलावा मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। एक्यूप्रेशर शोध और प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र की ओर से बगैर किसी दवा और इंजेक्शन के इलाज किया जाएगा। हम करीब 300 विशेषज्ञों की टीम तैयार कर रहे हैं।
बिना दवा और इंजेक्शन के होता है इलाज : एक्यूप्रेशर के इलाज में मरीज को किसी भी प्रकार की अंग्रेजी दवा या इंजेक्शन नहीं दिया जाता है। रोगों से जुड़ी नसों के ऊपर शरीर में सामान्य रूप से उपचार करने के लिए मेथी, मटर एवं चना के दाने एवं रंगों से उपचार किया जाता है। इसके अलावा मैग्नेट का भी प्रयोग किया जाता है। बीपी, माइग्रेन, लकवा किडनी और हृदय संबंधी बीमारियों में भी लाभ मिलता है।
