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बच्चों को विकसित करने का उत्तम माध्यम है नाट्य कार्यशाला

नाट्य कार्यशाला बच्चों को विकसित करने और नाट्य कला से जोड़ने का एक उत्तम साधन है। इससे बच्चे आम जीवन में भी लाभान्वित हो सकेंगे।
  • तारुणि तारण नाट्य समिति की ओर से आयोजित कार्यशाला का समापन

बेगूसराय | नाट्य कार्यशाला बच्चों को विकसित करने और नाट्य कला से जोड़ने का एक उत्तम साधन है। इससे बच्चे आम जीवन में भी लाभान्वित हो सकेंगे। ये बातें जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी श्याम कुमार सहनी ने तारुणि तारण नाट्य समिति की ओर से आयोजित 10 दिवसीय कार्यशाला के समापन मौके पर कही। अतिथि रामसुंदर गांधी ने कहा कि नाटक जीवन का आधार है और ग्रामीण परिवेश में बच्चे नाटक का गुर सीख एक अच्छे नागरिक बन सकेंगे। अब्दुल्ला निज़ामी ने कहा कि बच्चों को सर्वांगिक विकास के लिए नाट्य कला अति आवश्यक है। अमर बेगूसराई ने कहा कि जितनी जरूरी शिक्षा है उतना ही जरूरी नाट्य कला भी है।


अधिक से अधिक बच्चों को नाट्य कला से जोड़ने का प्रयास : कार्यशाला निर्देशक मिथलेश कान्ति ने कहा कि मेरा प्रयास है कि अधिक से अधिक बच्चों को नाट्य कला से जोड़ूं। ताकि बाल रंगमंच में सम्बलता आए। संस्था के सचिव सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि मैं हमेशा बच्चों के विकास के लिए तत्पर हूं और नाट्य कला से जोड़कर बच्चों को हमेशा आगे बढ़ाता रहूंगा।

20 बच्चों ने मुसीबत नाटक की प्रस्तुति दी : समापन समारोह में कार्यशाला में तैयार किया गया ‘मुसीबत’ नाटक की प्रस्तुति दी गई, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। अमर बेगूसराय की म्यूजिक काफी अच्छी रही। कार्यशाला का संपूर्ण कार्यभार युवा रंगकर्मी मनोज कुमार ने संभाल रखा था। रणधीर कुमार नाल और मनटुन जी हारमोनियम पर मौजूद थे। प्रशिक्षक के रूप में कुंदन सिन्हा, अरविंद सिन्हा, दीपक सिन्हा, अमर बेगूसराई और कार्यशाला निर्देशक मिथिलेश ‘कान्ति’ थे।

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