- गंगा ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन ने मनाया 12वां स्थापना दिवस
- 23-25 बैच की गोल्ड मेडलिस्ट कुमारी ममता को मिला 51 हजार रुपये का पुरस्कार
बेगूसराय | गंगा ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन, रमजानपुर ने धूमधाम से 12वां स्थापना दिवस समारोह मनाया। समारोह का उद्घाटन MLC सर्वेश कुमार, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष व पूर्व डीन मानविकी संकाय डॉ. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह, श्रीकृष्ण महिला महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ. स्वप्ना चौधरी, मध्य विद्यालय बीहट की वरिष्ठ शिक्षिका अनुपमा सिंह तथा प्राचार्य डॉ. नीरज कुमार ने संयुक्त रूप दीप प्रज्वलन कर किया।

गंगा ग्लोबल बीएड कालेज के संस्थापक सह दरभंगा स्नातक क्षेत्र के विधान पार्षद सर्वेश कुमार ने कहा कि केवल सिलेबस से काम नहीं चलेगा, ग्लोबल विषय को पढ़ना और समझना होगा। नवाचार को बढ़ावा देना होगा। समझौता करने से देश का निर्माण नहीं होगा। शिक्षकों को असली भूमिका निभानी होगी। गंगा ग्लोबल की संकल्पना की चर्चा करते हुए शिक्षित समाज और समृद्ध समाज के लिए पढ़ने और पढ़ाने को श्रेष्ठ कार्य बताया। इस अवसर पर सर्वेश कुमार ने प्रशिक्षुओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 23-25 बैच की गोल्ड मेडलिस्ट कुमारी ममता को 51 हजार का पुरस्कार देने की घोषणा की। कुमारी ममता को सर्वेश कुमार और अतिथियों ने महाविद्यालय ओर अंग वस्त्र व गौरव सम्मान से सम्मानित किया।
बीएड प्रशिक्षण को मजबूत करने से शिक्षा व्यवस्था सुधरेगी : चंद्रभानु प्रसाद
डॉ. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि अध्यापन कार्य नौकरी नहीं कर्तव्य और सेवा भावना से करनी होगी। बच्चों की शिक्षा में परिवार का महत्व समझाया। बिहार के शिक्षक प्रशिक्षण के तरीकों के प्रति असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि B.Ed. प्रशिक्षण को मजबूत कर बिहार में शिक्षा की स्थिति मजबूत की जा सकती है। भावी शिक्षकों को AI के कारण चुनौतियों और उनका बच्चों पर हो रहे असर की चर्चा की।
शिक्षकों में गुरुत्वाकर्षण की तरह ही शक्ति : प्रो. रजनी
दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर रजनी रंजन सिंह ने कॉलेज की सराहना करते हुए कहा कि टिचिंग इज द मदर आफ ऑल प्रोफेशन। उन्होंने शिक्षकों की तुलना पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से की। कहा कि शिक्षकों में भी वही शक्ति चाहिए तभी आपका प्रभाव बच्चों पर पड़ेगा और वह पढ़-सीख पाएगा। उन्होंने NEP 2020 और ITET के बारे में भी बताया।
बच्चों पर बिल्कुल दबाव नहीं बनाना चाहिए : डॉ. स्वप्ना चौधरी
महिला महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ. स्वप्ना चौधरी ने सर्वेश कुमार के कार्यों की सराहना करते हुए दूसरा सर गणेशदत्त कहा। संबोधन में कहा कि बच्चे जिस क्षेत्र में जाना चाहते हैं शिक्षक और पैरेंट्स को प्रेरित करना चाहिए दबाब बिल्कुल नहीं बनाए। इससे दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घट रही हैं। शिक्षक अपना दायित्व समझें, बच्चों को दायित्व समझाएं तभी अच्छे समाज का निर्माण होगा।
जीवन में धैर्य रखना सिखाइए : अनुपमा सिंह
वरिष्ठ शिक्षिका अनुपमा सिंह ने नवाचार गतिविधियों के अपने अनुभवों को साझा किया। पैसे वाले का समाज में मूल्य अधिक है इससे नई पीढ़ी पर गलत प्रभाव पर रहा है। जीवन में धैर्य रखना सिखाइए, मुश्किल परिस्थितियों से लड़ने की शिक्षा दिजिए। खेलकूद, चित्रकला, नाटक और संगीत को बढ़ावा देकर बच्चों का सर्वांगीण विकास होने दें।
प्रशिक्षुओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए
सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षुओं ने रामधारी सिंह दिनकर, शंकर शैलेन्द्र, हरिवंश राय बच्चन, दुष्यंत कुमार तथा निदा फाजली की साहित्यिक रचना को प्रस्तुत किया। गायन में प्रथम वर्ष के प्रशिक्षु अंकित, गोविंद, रिशव, श्रुति, अनुकृति, इफतजहां, जूली, शौर्या मेहता, राजेश, कोमल, पूजा, रिचा, रंजन, अभिनव, आलोक, नीरज और कोमल ने बहुत ही सुन्दर और मोहक प्रस्तुति दी। लघु नाटक- सम्मान की तलाश का प्रदर्शन किया गया। जिसके माध्यम से शिक्षकों और कलाकारों की समाज में वर्तमान स्थिति को दिखाया गया है। राजा के दरबार में दोनों उपस्थित होते हैं कि आर्थिक स्थिति और सम्मान दोनों सही नहीं है। नाटक में द्वितीय वर्ष के प्रशिक्षु शिवम कुमार, अदिति कुमारी, साक्षी रानी, आशीष कुमार, सौरभ कुमार, सोनू कुमार, आदित्य कुमार आदि ने भाग लिया।