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दिनकर जन सम्मान समारोह : बेगूसराय में वाह! तेरा क्या कहना बैनर तले कवि गोष्ठी सम्पन्न

  • प्रत्यक्ष गवाह पत्रिका परिवार के तत्वावधान मेंं दिनकर जन सम्मान समारोह के दूसरे सत्र में कविता सुनकर झूम उठे श्रोता

बेगूसराय। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जन सम्मान समारोह में भव्यता के कवयित्री शगुफ्ता ताजवर एवं कवि प्रवीण प्रियदर्शी के संयुक्त संचालन में आकर्षण अंदाज में कवि गोष्ठी “वाह! तेरा क्या कहना“ सम्पन्न हुआ। जनवादी कवि रंजन कुमार झा ने अपनी कविता में व्यवस्था पर प्रहार करते हुए कहा- दिनकर जी के वंशज अब भी दूध वसन चिल्लाते हैं।जिन्हें व्योम से स्वर्ग लूटना था, वे नजर नहीं आते हैं। प्रलेस के जिला सचिव कुंदन कुमारी ने सामाजिक प्रदूषण पर कटाक्ष करते हुए कही कि-कोई जन बस्त्र बिनु व्याकुल, किनको भरल गोदाम। कुछ जन धरती पर लोटल अछि, कोई उड़े आसमान। जग में कहिया होत समान।। कविवर अनिल पतंग ने ईमानदार जनप्रतिनिधि की भावना को व्यक्त करते हुए कहा कि मैं प्रतिनिधि हूँ, मात्र प्रतिनिधि। जनता के आचार, विचार और व्यवहार को अपने जीवन में उतारता हूँ। ललन लालित्य ने बाढ़ पीड़ितों के राहत की पीड़ा को बताते हुए कहा- मिला बाबू से हमें बहुत कुछ, बस एक रहम कीजियेगा। सर जी, फोटो मत खिचिएगा। मुक्तक से वाहवाही लूटते हुए प्रफुल्ल चन्द्र मिश्र ने कहा कि “हर शख्स के अंदर शोला नहीं होगा, बिन विष पिए कोई भोला नहीं होगा। सुना है उसका कोई दुश्मन नहीं, जरुर उसने वक्त पर बोला नहीं होगा। डॉ. संजय भारद्वाज ने शराबी पर व्यंग्य कविता“ वर्षों तक पब में घूम-घूम, अद्धा और पौआ चूम-चूम,। खा पीकर चखना और बियर। भैया आए कुछ और निखर। कवि गोष्ठी की शुरुआत सम्मानित मासूम बच्ची आरूही राज ने अपनी कविता से माहौल को गमगीन कर दी कि- तब सपना बहुत सताती है, जब याद पिता की आती है। पुष्कर प्रसाद सिंह ने जहरीली राजनीति पर प्रहार करते हुए कहा कि- यूँ तो पोल खुले उन सबकी, अब ढोल फूटनी चाहिए। राजनीति के पर्दे हिल रहे, अब बुनियाद हिलनी चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता व जसम के जानदार कवि दीपक सिन्हा, जागरूक कवयित्री साइमा जफर, रंजू ज्योति, एस. मनोज, ए. के. मनीष इत्यादि ने अपनी धारदार कविता से लोगों को कहने पर मजबूर कर दिया कि- वाह! तेरा क्या कहना। विदित हो कि विगत दिनों राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जयंती के अवसर पर प्रत्यक्ष गवाह पत्रिका के तत्वावधान में “साहित्य विहार“ उलाव, बेगूसराय के परिसर में आयोजित सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ, जिसकी अध्यक्षता प्रफुल्ल चन्द्र मिश्र ने की जबकि मंच संचालन संपादक पुष्कर प्रसाद सिंह ने किया। स्वागत भाषण ललन लालित्य और धन्यवाद ज्ञापन रवि रंजन ने किया।


इन्हें किया गया सम्मानित
इस अवसर पर आध्यात्मिक साहित्य शिरोमणि स्मृतिशेष डा० जगदीश चन्द्र मिश्र को राष्ट्रकवि दिनकर जन सम्मान (मरणोपरांत) , प्रगतिशील कवयित्री कुंदन कुमारी एवं जनवादी कवि रंजन कुमार झा को राष्ट्रकवि दिनकर काव्य रत्न सम्मान तथा आरूही राज व अमन को राष्ट्रकवि दिनकर बाल रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। डा० जगदीश चन्द्र मिश्र के सम्मान को उनके पुत्र शिक्षक उमेश कुमार मिश्र ने ग्रहण किया।


साहित्य और समाज दोनों का जहां सार्थक समन्वय होता, दिनकर वहीं दिखते हैं : अविनाश कुमार
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि पूर्व बैंक अधिकारी अविनाश कुमार ने कहा कि साहित्य और समाज दोनों का जहां सार्थक समन्वय होता, दिनकर वहीं दिखते हैं। प्रगतिशील लेखक संघ के राज्य सचिव राम कुमार सिंह ने कहा कि राष्ट्रकवि दिनकर के कविता की पहचान विश्व स्तर से लेकर गाँव के खेत खलिहानों तक है। डा० जगदीश चन्द्र मिश्र इसी धारा और इसी मिट्टी के आध्यात्मिक साहित्यकार थे, जिन्होंने अपनी लेखनी से साहित्य को अमृत प्रदान किया है। समारोह को पूर्व शिक्षक अमरेन्द्र कुमार सिंह, ज्ञान विज्ञान समिति के संतोष कुमार महतों, अंकित आनंद आदि ने संबोधित किया। रणजीत अलबेला ने पुष्कर प्रसाद सिंह रचित पैरोडी- “ सजा दो घर को गुलशन सा कि साहित्यकार आए हैं“ गाकर माहौल को मांगलिक कर दिया।

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प्रवीण प्रियदर्शी

1998 से पत्रकारिता का सफर जारी। हिंदी मासिक पत्रिका ‘दूसरा मत’ से लिखने की शुरुआत। राष्ट्रीय जनमुक्ति पत्रिका का संपादन। दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रम के लिए स्क्रिप्ट राइटिंग। दैनिक अखबार हिंदुस्तान, दैनिक हरिभूमि (हरियाणा), प्रभात खबर और दैनिक भास्कर में पत्रकारिता की।
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