- 2020 के चुनाव में राजकुमार और बोगो सिंह आमने-सामने थे
- इस बार भी यही दोनों प्रत्याशी आमने-सामने होंगे
बेगूसराय जिले का मटिहानी विधानसभा क्षेत्र। यहां की चुनावी तासीर ही अलग है। पिछले चार दशक से जिस किसी ने भी यहां का चुनाव जीता उसने दूसरी, तीसरी और चौथी बार भी भाग्य आजमाया। यहां मतदाताओं ने भी ऐसे प्रत्याशियों को सिर माथे रखा। बात चाहे स्व. प्रमोद कुमार शर्मा की हो या फिर राजेन्द्र राजन और नरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह की। इसी सिलसिले को अब आगे बढ़ाने में जुटे हैं वर्तमान विधायक राजकुमार सिंह। NDA में सीट शेयरिंग का मामला हो या फिर मटिहानी से टिकट पाने की बात, राजकुमार सिंह हमेशा से कांफिडेंट दिखे। विश्वास नीतीश कुमार पर था। राजकुमार इस आत्मविश्वास में थे कि यह सीट JDU के खाते में आएगी और टिकट भी उन्हीं को मिलेगा। सीट और टिकट लेने के मामले में वे जीत तो गए हैं, लेकिन क्या चुनाव जीत पाएंगे? यह अब भी सवाल बना है। क्योंकि राजनीतिक समीकरण कब बिगड़ जाए कहा नहीं जा सकता।

2020 में कैसे जीते थे राजकुमार
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू साथ-साथ थे जबकि लोजपा ने अकेले चुनाव लड़ा था। जदयू ने मटिहानी से नरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह को प्रत्याशी बनाया था। बोगो सिंह की दबंग छवि के कारण भाजपा के कोर वोटर इनसे छिटके और वोट लोजपा प्रत्याशी राजकुमार सिंह के खाते गए। इसी तरह सीपीआइ-एम के प्रत्याशी को आरजेडी-कांग्रेस का समर्थन था। लोजपा की विचारधारा के कारण आरजेडी और कांग्रेस के कुछ वोट भी लोजपा को गए। इसी कारण लोजपा के प्रत्याशी राजकुमार सिंह बहुत ही कम 333 वोट से बोगो सिंह से जीत गए। हालांकि जीत के छह माह बाद ही राजकुमार ने लोजपा को छोड़ जदयू का दामन थाम लिया था।
इस बार कहां फंस रहा मामला
चिराग पासवान ने पहले ही घोषणा की थी कि लोजपा अपना प्रत्याशी देगी। शायद यही वजह है कि आखिरी क्षण तक लोजपा नेत्री और पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष इन्द्रा देवी पूरी ताकत से जुटी थीं। लेकिन सीट शेयरिंग में चिराग पासवान चूक गए। अब इन्द्रा अगर निर्दलीय उतरती हैं तो निश्चित रूप से NDA का वोट प्रभावित होगा। लोजपा के समर्थक इन्द्रा को वोट करेंगे, लेकिन कितना वह तो मतदान के दिन ही पता चलेगा। हालांकि इसका आभास तो राजकुमार सिंह को भी है और इसी कारण वे मोदी के ‘हनुमान’ को साधने की कोशिश में गिरिराज सिंह से नजदीकी बढ़ा चुके हैं। वहीं जदयू से खार खाए बाेगो सिंह इस बार लालटेन लेकर मैदान में हैं। लोगों के बीच सर्व सुलभ होने के कारण चहेते भी हैं। बोगो सिंह पिछली हार का बदला लेने को उतावले हैं। इसी कारण महागठबंधन ने इस बार यह सीट वाम दल को न देकर राजद को दिया।
महागठबंधन में भी तीन फांक
मटिहानी में महागठबंधन की ओर से राजद ने बोगो सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। लेकिन पिछले दिनों कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अभय कुमार सिंह उर्फ सार्जन सिंह ने घोषणा की थी कि वे भी 16 अक्टूबर को कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। अगर ऐसा होता है तो निश्चित रूप से महागठबंधन को नुकसान पहुंचेगा। चर्चा यह भी है कि अगर ऐसा हुआ तो वामदल भी अपना प्रत्याशी देगा। वाम दल का कहना है कि यह उनकी परंपरागत सीट है। क्योंकि शुरुआत के सात चुनावों में से पांच उन्होंने जीते हैं। अब अगर वाम दल के प्रत्याशी भी मैदान में उतरे तो मुकाबला आमने-सामने का न होकर चतुष्कोणीय हो जाएगा। ऐसे में कौन किसका वोट काटेगा और कौन जीतेगा कहना मुश्किल होगा।
वोटों का गणित क्या है?
चुनाव आयोग की ताजा मतदाता सूची के अनुसार विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,52,495 मतदाता हैं। इनमें 1,88,101 पुरुष, 1,64,391 महिलाएं और 3 थर्ड जेंडर शामिल हैं। यहां पर करीब एक चौथाई वोटर भूमिहार जाति से हैं। आंकड़ों के अनुसार, अनुसूचित जाति (SC) के मतदाता 12.37%, मुस्लिम मतदाता 12.30%, शहरी मतदाता 27.60% और ग्रामीण मतदाता 72.40% हैं।
कौन कितनी बार विधायक रहे
- प्रमोद कुमार शर्मा (कांग्रेस) : 1980 और 1985
- राजेन्द्र राजन (सीपीआइ) : 1990, 1995 और 2000
- नरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह : फरवरी और अक्टूबर 2005 (निर्दलीय), 2010 और 2015 (जदयू)
- राजकुमार सिंह (लोजपा/जदयू) : 2020
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