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बेगूसराय के डीएम-एसपी पर Contempt of Court की तलवार

बेगूसराय की अदालत ने DM और SP पर सख्ती दिखाते हुए Contempt of Court की संभावित कार्रवाई शुरू करने का संकेत दिया है।

बेगूसराय | बेगूसराय की अदालत ने प्रशासनिक अधिकारियों पर सख्ती दिखाते हुए अवमानना की संभावित कार्रवाई शुरू करने का संकेत दिया है। अपर सत्र न्यायाधीश-III ब्रजेश कुमार सिंह की अदालत ने DM और SP बेगूसराय को निर्देश दिया है कि वे अदालत के आदेश के अनुपालन में देरी या लापरवाही पर अपना लिखित जवाब 15 दिनों के भीतर दाखिल करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि दोनों अधिकारी निर्धारित अवधि में जवाब दाखिल नहीं करते हैं तो अदालत की रिपोर्ट व फाइलें पटना उच्च न्यायालय को भेज दी जाएंगी ताकि वहां Contempt Proceeding शुरू की जा सके।

जानिए, किस मामले को लेकर कोर्ट हुआ नाराज
यह आदेश Execution Case No. 01/2024 से जुड़ा है। यह Execution Case मनीष कुमार जो भगवानपुर थाना के हंडालपुर निवासी ने दाखिल किया है। दरअसल, मनीष कुमार के पिता गणेश सहनी की मौत पुलिस की गाड़ी एक्सीडेंट में हो गई थी। मनीष ने न्यायालय में क्लेम केस दाखिल किया था। न्यायालय ने उस केस में 11 लाख 61 हजार 318 रुपए मुआवजा देने का आदेश पारित किया था। क्लेम केस में न्यायालय के आदेश का पालन कराने के लिए मनीष ने Execution Case 1/24 दाखिल किया। इसकी सुनवाई करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय ब्रजेश कुमार सिंह ने DM और SP के मामले को टालने की प्रवृति से तंग आकर आज सख्त आदेश पारित किया है। अदालत ने इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए कहा कि न्यायालय के आदेशों की अवहेलना न्याय की मर्यादा के विपरीत है।
30 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई
अदालत ने इस मामले को 30 अक्टूबर 2025 के लिए सूचीबद्ध किया है। उस दिन एसपी और डीएम के जवाब प्राप्त किए जाएंगे और उसके आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी।
मामले में कानूनी आधार
  • यह कार्रवाई Contempt of Courts Act, 1971 की धारा 2(ब) और 10 के अंतर्गत आती है।
  • Section 2(b) के अनुसार, जब कोई व्यक्ति अदालत के आदेश, निर्देश या रिट का पालन नहीं करता, तो वह Civil Contempt के अंतर्गत आता है।
  • Section 10 के तहत निचली अदालतें सीधे दंड नहीं दे सकतीं, लेकिन सिफारिश के रूप में मामला उच्च न्यायालय को भेज सकती हैं ताकि वहां से अवमानना कार्रवाई प्रारंभ हो सके।
कोर्ट की विशेष टिप्पणी
यह आदेश प्रशासनिक जवाबदेही की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। न्यायालय का यह रुख इस बात को रेखांकित करता है कि सरकारी अधिकारियों को अदालत के आदेशों का पालन करने में देरी या लापरवाही नहीं करनी चाहिए, अन्यथा उन्हें Contempt Proceeding का सामना करना पड़ सकता है।

कोर्ट का ऑर्डर पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें

Execution 01.24 order dated-14.10.25

Picture of हिमांशु शेखर

हिमांशु शेखर

17 वर्षों से पत्रकारिता का सफर जारी। प्रिंट मीडिया में दैनिक भास्कर (लुधियाना), अमर उजाला (जम्मू-कश्मीर), राजस्थान पत्रिका (जयपुर), दैनिक जागरण (पानीपत-हिसार) और दैनिक भास्कर (पटना) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में कार्य करने के बाद पिछले एक साल से newsvistabih.com के साथ डिजिटल पत्रकारिता।
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