बेगूसराय | नाटक विधा ही ऐसी है कि दर्शक उससे खुद जुड़ते चले जाते हैं। खासकर जब प्रेमचंद की कहानियों का मंचन हो तो दर्शक अपनी जगह पर टिक जाता है। नाट्य संस्था द फैक्ट आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी बेगूसराय के कलाकारों ने प्रेमचंद की 144वीं जयंती पर उनकी कहानी ‘बड़े घर की बेटी’ का मंचन किया। प्रेमचंद की यह कहानी ‘बड़े घर की बेटी’ आज के समय की प्रासंगिकता को बयां करती है। अभी के समय में जहां घर टूट कर बिखर रहे हैं वहीं कहानी के पात्र श्रीकंठ सिंह सम्मिलित कुटुंब के उपासक हैं। दूसरी तरफ आनंदी घर को जोड़कर रखने में एक स्त्री की भूमिका के महत्व को दर्शाती है।
… और छोटी सी बात पर परिवार टूटने लगता है
कहानी में बड़े भाई श्रीकंठ एक दफ्तर में नौकरी करते हैं और हर शनिवार को घर आते हैं। एक बार उनका छोटा भाई लाल बिहारी सिंह दाल में घी नहीं मिलने से नाराज हो जाता है और भाभी आनंदी पर खराऊं चला देता है। श्रीकंठ जब घर लौटते हैं तो सारी बात पता चलती है। आगबबूला होकर छोटे भाई के साथ घर में रहने से मना कर देते हैं। तब आनंदी पति श्रीकंठ को समझाती है और अपनी समझदारी से घर को टूटने से बचा लेती है। निर्देशक ने प्रेमचंद की रचना को उसी स्वरूप में दर्शकों के बीच बड़े ही खूबसूरती से रखा।
इन लोगों ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया
आर्यभट्ट के निदेशक अशोक कुमार सिंह अमर, जिला कला संस्कृति पदाधिकारी श्याम सहनी, वरिष्ठ रंगकर्मी फैयाजुल हक, बीहट नगर परिषद के उपाध्यक्ष ऋषिकेश कुमार एवं फैक्ट रंगमंडल के अध्यक्ष व समाजसेवी बीआरके सिंह राजू ने सम्मिलित रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उद्घाटन पूर्व संस्था के अध्यक्ष के द्वारा अतिथियों को अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया।