- डीईओ के इस आदेश के खिलाफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जताया आक्रोश
- उठाया सवाल : आखिर ऐसी क्या परिस्थिति बनी जो ऐसे अजीबोगरीब निर्णय लेने पड़े
बेगूसराय | जिला शिक्षा विभाग कार्यालय से जारी आदेश कभी-कभी ऐसा होता है जिसे देखने और पढ़ने के बाद स्थिति हास्यास्पद हो जाती है। ऐसा ही एक आदेश पत्र जिला शिक्षा पदाधिकारी राजदेव राम ने शनिवार को निकाला। इस आदेश पत्र के अनुसार, उन्होंने वरीय जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के रहते कनीय पदाधिकारी को जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) नियुक्त किया। डीईओ के इस आदेश के खिलाफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आक्रोश जताया है। विद्यार्थी परिषद के प्रदेश कार्यकारिणी के विशेष आमंत्रित सदस्य अजीत चौधरी ने पूछा है कि आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी आ गई जो डीईओ ने इस तरह का आदेश जारी किया। अजीत चौधरी ने डीईओ पर मामले में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
तीन डीपीओ में सबसे जूनियर हैं खुशबू कुमारी
डीईओ राजदेव राम ने वरीय डीपीओ रविन्द्र साह को स्थापना से हटाते हुए उन्हें माध्यमिक शिक्षा एवं साक्षरता समग्र शिक्षा अभियान का डीपीओ बनाया। वहीं उनसे कनीय खुशबू कुमारी ( पीओ) को डीपीओ स्थापना बनाया है। इनके पास मध्याह्न भोजन योजना का भी प्रभार रहेगा। वहीं चंदन कुमार को योजना एवं लेखा का डीपीओ बनाया है। जानकारी के अनुसार, इन तीनों पदाधिकारी में खुशबू कुमारी सबसे जूनियर हैं।
डीईओ राजदेव राम पर हाउसकीपिंग मद में भ्रष्टाचार का आरोप
विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य पुरुषोत्तम कुमार ने जिला शिक्षा पदािधकारी राजदेव राम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जिले के स्कूलों में हाउसकीपिंग (साफ-सफाई) के नाम पर जटाशंकर सेवा समिति संस्थान करोड़ों का खेला कर रहा था। जब विद्यार्थी परिषद ने आवाज उठाई तो कार्यालय ने आदेश जारी कर कहा था कि जांच के बाद ही राशि दी जाएगी। उसके बाद जटाशंकर सेवा समिति संस्थान को 56 लाख रुपए महीना मिलने लगा। शिक्षा माफिया के दबाव और लेन-देन के खेल में ही डीईओ ने इस तरह का कदम उठाया है। छात्र नेता मनीष कुमार एवं मंगल माधव ने कहा कि यदि जिला शिक्षा पदाधिकारी अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं करते हैं ताे हमलोग जल्द ही जिलाधिकरी से मिलकर इसकी शिकायत करेंगे।
सवाल : जब डीपीओ रविंद्र साह का दिसंबर में ट्रांसफर तय था तो फिर ऐसा क्यों
विभाग से जारी आदेश के बाद शिक्षा जगत से जुड़े लोगों के बीच यह चर्चा शुरू हो गई कि जब डीपीओ (स्थापना) रविंद्र साह का ट्रांसफर दिसंबर में तय था तो फिर डीईओ को क्या जल्दबाजी थी? उन्होंने इस तरह का निर्णय क्यों लिया? रविंद्र साह का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है, ऐसे में उनका स्थानांतरण तय माना जा रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि लेन-देन के खेल में सारा पैसा डीईओ खुद के पास रखना चाह रहे?
अगर, विभाग ने वरिष्ठ डीपीओ को यहां भेज दिया तब…
एक बात की और चर्चा हो रही है कि अगर दिसंबर में रविंद्र साह का स्थानांतरण हो जाता है और विभाग की ओर से किसी वरिष्ठ डीपीओ को यहां भेज दिया जाता है तो क्या डीईओ खुशबू कुमारी को स्थापना में रखेंगे? नियमानुसार वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। तो फिर डीईओ राजदेव राम ने ऐसा क्यों किया?
डीईओ कार्यालय से जारी आदेश