- छह शिक्षकों ने 24 जुलाई को जिला स्तरीय कमेटी से समक्ष दिए थे साक्षात्कार
- जिला स्तरीय कमेटी को 28 तक राज्य कमेटी को भेजनी है अनुशंसा
बेगूसराय | राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 के लिए चयन प्रक्रिया जारी है। अभी यह प्रक्रिया जिला स्तर पर ही चल रही है। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 20 जुलाई थी। इस पुरस्कार को पाने के लिए बेगूसराय में छह शिक्षकों ने 24 जुलाई को जिला स्तरीय चयन कमेटी के समक्ष साक्षात्कार दिए। कमेटी में जिला शिक्षा अधिकारी, एक शिक्षाविद् और डाइट के प्रिंसिपल शामिल थे। चयन कमेटी कुल छह नामांकन में न्यूनतम 3 एवं अधिकतम 4 नामों की अनुशंसा राज्य चयन समिति को करेगी या फिर कर चुकी होगी। राष्ट्रीय पुरस्कार की रेस में विभा रानी, रंजन कुमार और वेद प्रकाश सिंह आगे चल रहे हैं। हालांकि एक और नाम की चर्चा है। वो हैं मध्य विद्यालय बीहट की सहायक शिक्षिका अनुपमा सिंह।
साक्षात्कार होने के बाद से शिक्षक वर्ग सहित बुद्धिजीवी यह कयास लगाने में जुटे हैं कि विगत 5 वर्षों से राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से वंचित चल रहे बेगूसराय के स्कूली शिक्षा में अभिनव नवाचारी यत्नों के साथ लगातार श्रेष्ठतम उपलब्धि के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार हेतु दाखिल दावेदारी के साथ राष्ट्रीय स्तर पर उनकी स्वीकार्यता का मार्ग प्रशस्त होगा या अग्रसारित कमजोर प्रस्ताव अथवा स्थानीय राजनीतिक पूर्वाग्रहों की भेड़चाल और दमदार दावेदारी की टांग खिंचाई की कोशिशों के कारण बेगूसराय एक बार फिर इस राष्ट्रीय सम्मान से वंचित रह जाएगा? बताते चलें कि इससे पहले 2020 में उत्क्रमित मध्य विद्यालय खरमौली के प्रधानाध्यापक संत कुमार सहनी को यह पुरस्कार मिला था।
इन छह शिक्षकों ने साक्षात्कार दिए : साक्षात्कार देने वालों में मध्य विद्यालय बीहट के प्रधानाध्यापक रंजन कुमार, मध्य विद्यालय रामपुर के प्रधानाध्यापक वेदप्रकाश सिंह, मध्य विद्यालय तड़बन्ना की प्रधानाध्यापक विभा रानी, मध्य विद्यालय बीहट की स्नातक शिक्षक अनुपमा सिंह, उत्क्रमित मध्य विद्यालय कैलाशपुर के सहायक शिक्षक उपेन्द्र कुमार चौधरी और उच्च माध्यमिक विद्यालय कटरमाला की विद्यालय अध्यापक प्रभा कुमारी शामिल थे।
जानिए, किसे मिलता है यह सम्मान : बताते चलें कि राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 5 सदस्यीय स्वतंत्र ज्यूरी, राज्य सरकार की ओर से प्रेषित शिक्षकों के योगदान व क्रियाकलाप संबंधी प्रस्तावों का मूल्यांकन, शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव प्रयास नवाचार और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए करती है। कहने का मतलब यह कि वैसे शिक्षकों और विद्यालय को सम्मानित किया जाता है जो पारंपरिक सोच से हटकर काम के लिए जाने जा रहे हों और जिनका प्रदर्शन नेशनल ज्यूरी द्वारा निर्धारित 13 मापदंडों पर सर्वाधिक बढ़त रखनेवाले हों।
किसी शिक्षक को किस आधार पर मिलता है यह सम्मान : बताते चलें कि राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने और सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है। इसमें मुख्य रूप से उन सारे पहलुओं पर गौर किया जाता है जो एक शिक्षक को सामान्य से अलग बनाते हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि एक शिक्षक अपनी शैक्षिक प्रक्रिया में निरंतर नवाचारी दृष्टि और कार्यकलापों का कितना बेहतर प्रदर्शन करता है तथा एक विद्यालय प्रधान अपने शिक्षकों, विद्यार्थियों सहित विद्यालय के समस्त हितधारकों को ऐसे नए विचारों, तरीकों और यत्नों के लिए कितना समर्थन, संरक्षण और प्रोत्साहन प्रदान करता है। यानी शिक्षक अथवा विद्यालय प्रधान ने किस तरह से नए विचारों और तरीकों को अपनाया है। यह देखा जाएगा कि उनके शिक्षण के तरीके कितने मौलिक हैं और क्या वे लीक से हटकर सोचने का साहस करते हैं।
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