- एक सप्ताह में जिले के 14 गैर सरकारी प्रारंभिक अनुशंसित विद्यालयों का करना था निरीक्षण
- तीन दिन पहले कुछ शातिरों ने डीएम से मिलकर जांच नहीं होने की शिकायत की थी
- डीएम ने DEO को फोन कर कार्रवाई करने को कहा तो डीईओ ने सभी BEO को लिखा था
बेगूसराय | यूं तो शिक्षा विभाग शिक्षकों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर हमेशा चर्चा में रहता है, लेकिन बेगूसराय में जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) का कार्यालय ACS एस सिद्धार्थ के फर्जी पत्र को लेकर चर्चा में है। इस फर्जी पत्र का खुलासा भी करीब 4 माह बाद हुआ है। अब डीईओ कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी फर्जी पत्र जारी करने वालों की तलाश में जुट गए हैं। विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
जानिए, क्या है मामला
शातिरों ने DEO कार्यालय को 29 जुलाई को एक पत्र (पत्रांक 72, दिनांक 8 अप्रैल 2025) भिजवाया। पत्र में जिला शिक्षा पदाधिकारी को आदेशित किया गया था कि वे जिले के 14 गैर सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों का शत-प्रतिशत निरीक्षण कर विभाग को एक सप्ताह के अंदर प्रतिवेदन सौंपे। पत्र में यह भी लिखा है कि प्रतिवेदन सौंपने के बाद ही इन विद्यालयों को भुगतान मिलेगा।
आदेश पत्र सीधा समाहरणालय गोपनीय शाखा पहुंचा
इस संबंध में जब खोजबीन शुरू हुई तो पता चला कि ACS का यह फर्जी पत्र समाहरणालय (गोपनीय शाखा) पहुंचा था। यहां से इसे डीईओ कार्यालय भिजवाया गया। डीईओ कार्यालय के कर्मियों ने फाइल आगे बढ़ा दी। मामले में कोई कार्रवाई न होता देख तीन लोग कुछ दिन पहले डीएम तुषार सिंगला के पास पहुंचे। उन्होंने पत्र दिखाते हुए कहा कि इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। डीएम ने डीईओ मनोज कुमार को फोन करते हुए अविलंब कार्रवाई करने को कहा।
एक्शन में आए DEO, तीन दिन में मांगा जांच प्रतिवेदन
डीएम सिंगला के फोन के बाद डीईओ मनोज कुमार ने आनन-फानन में 11 अगस्त 2025 को सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) को पत्र लिखा। कहा कि संबंधित अधिकारी अपने कार्य क्षेत्र में स्थित इन विद्यालयों की शत-प्रतिशत जांच कर तीन दिन के अंदर जांच प्रतिवेदन भेजें।
ऐसे खुला फर्जी पत्र होने का मामला
इधर, DEO कार्यालय के कर्मियों को पत्र की भाषा पर कुछ शक हुआ। फिर उन्होंने कार्यालय के ई-मेल को खंगाला। ई-मेल पर भी इस तरह का कोई पत्र ACS कार्यालय से नहीं भेजा गया था। कर्मी ने डीईओ को मामले से अवगत कराया। DEO ने ACS सिद्धार्थ के आप्त सचिव से बात की और पत्र भेजा। आप्त सचिव ने पत्र को फर्जी बताया। उन्होंने बताया कि 4 अगस्त को ACS कार्यालय से पत्रांक संख्या 60 जारी हुआ है तो फिर अप्रैल माह में पत्रांक संख्या 72 कैसे जारी हो सकता है? इसके बाद डीईओ ने 11 अगस्त को जारी अपने पत्र को रद करते हुए डीएम तुषार सिंगला को वस्तुस्थिति से अवगत कराया।
पढ़िए, क्या कुछ कहा DEO मनोज कुमार ने
DEO मनोज कुमार ने इस संबंध में बताया कि जांच में पत्र फर्जी पाया गया है। जिन विद्यालयों की सूची जांच के लिए दी गई थी, वे विद्यालय अस्तित्व में नहीं हैं। फर्जी पत्र जारी करने वालों की पहचान करवाई जा रही है। विभागीय कार्रवाई जारी है।
सवाल
- ACS कार्यालय से पत्र सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को 8 अप्रैल को जारी हुआ तो यह समाहरणालय की गोपनीय शाखा कैसे पहुंचा?
- 8 अप्रैल को जारी हुआ पत्र समाहरणालय के गोपनीय शाखा को तीन माह विलंब से 29 जुलाई को क्यों रिसीव हुआ?
- तीन माह तक ACS का यह पत्र कहां घूम रहा था?
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