बिहार में विधानसभा चुनाव के दोनों चरण संपन्न हो चुके हैं। दोनों चरणों में मतदाताओं ने खुलकर वोटिंग की। वोटिंग ऐसी कि आजादी के बाद से लेकर अब तक ऐसा नहीं हुआ था। ऐसी वोटिंग से चुनाव आयोग का जोश भले ही हाई हुआ, लेकिन राजनीतिक दलों के साथ-साथ उम्मीदवारों में यह जोश ब्लड प्रेशर के उतार-चढ़ाव की तरह नजर आ रहा है। हम बात करेंगे बेगूसराय जिले की। यहां सात विधानसभा सीटें हैं। सभी सीटों पर एनडीए और महागठबंधन ने बराबर का जोर लगाया। जीत-हार के आकलन की पहली श्रृंखला में हम बेगूसराय, तेघड़ा और बखरी विधानसभा की बात करेंगे। क्षेत्र भ्रमण और राजनीतिक विश्लेषकों से बातचीत के बाद निष्कर्ष इस तरह का निकलता दिखता है कि इन तीनों क्षेत्रों में काठ की हांडी इस बार नहीं चढ़ पाएगी। बेगूसराय में जहां कांग्रेस को जीत मिलेगी वहीं तेघड़ा और बखरी में सीपीआइ अपना कब्जा बरकरार रखेगी।

वोटों के बंटवारे को इस तरह समझिए
ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक बरौनी-वीरपुर वाले क्षेत्र में पड़े 83 हजार वोटों में से कांग्रेस के खाते करीब 48 हजार और भाजपा के खाते करीब 35 हजार वोट आएंगे। यहां कांग्रेस 13 हजार वोट से लीड करेगी। सदर प्रखंड में गिरे 85 हजार वोट में से कांग्रेस को करीब 41 हजार और भाजपा को करीब 44 हजार वोट हासिल होगा। भाजपा यहां 3 हजार से आगे रहेगी। शहरी क्षेत्र में पड़े 56 हजार वोट में से कांग्रेस को करीब 26 हजार और भाजपा को करीब 30 हजार वोट मिलेगा। यहां भी भाजपा 4 हजार वोट से लीड करेगी। इस तरह कांग्रेस करीब 6 हजार वोट से जीतती नजर आ रही है। हालांकि जीत का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
आंकड़ों में वोटों की गिनती और जीत का अनुमान

गिनती कहां से शुरू होगी और कैसे होगी।
बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र के वोटों की गिनती वीरपुर प्रखंड के नौला से शुरू होगी। फिर डीह, भावनंदपुर, वीरपुर पूर्वी, वीरपुर पश्चिम, गेंहरपुर, जगदर, पर्रा, बरौनी में बथौली, निंगा, मैदा, सहुरी और बभनगामा की गिनती होगी। इसके बाद बेगूसराय ग्रामीण के बूथ। हैबतपुर, मोहनपुर खम्हार, रजौड़ा, जिनेदपुर, लाखो की गिनती के बाद शहरी बूथों की काउंटिंग शुरू होगी।

भूमिहार मतदाता ही निर्णायक भूमिका में
इस विधानसभा क्षेत्र में ओबीसी (यादव, कुर्मी, कोइरी), दलित-महादलित और भूमिहार समुदाय का अच्छा प्रभाव है। हालांकि यहां भूमिहार मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भूमिहारों के बाद यहां मुस्लिम, वैश्य, कुर्मी-धानुक और ब्राह्मण मतदाता चुनावी तस्वीर तय करते हैं। यहां ओबीसी करीब 45%, दलित-महादलित 20% और भूमिहार समुदाय की संख्या भी बढ़िया है।
कहां-कौन भारी रहेगा
तेघरा विधानसभा में कुल मतदाता 3 लाख 1 हजार 659 हैं। इनमें से 2 लाख 11 हजार 835 मतदाताओं ने वोट डाले। बात करें कहां कौन सा प्रत्याशी भारी रहा तो भाजपा के उम्मीदवार पिढ़ौली, आधारपुर, तेघड़ा नगर परिषद, गौड़ा-1, बरौनी नगर परिषद (4 वार्ड), बरौनी-3, बरौनी-1, बरौनी-2, मधुरापुर निपनियां, बरौनी नगर परिषद (22 वार्ड), राजवाड़ा, गढ़हरा, गढ़हरा वार्ड-15, बीहट, किउल, गढ़हरा टोला, सिमरिया-1 में लीड करेंगे। वहीं भाकपा के उम्मीदवार धनकौल, पिपरा दोदराज, पकठौल, धनकौल विषहर, पपरौर, ठकुरीचक, चकबल, अमरपुर, सिमरिया-2, चकिया, बिन्द टोली, विशनपुर चांद और मल्हीपुर-एनटीपीसी में बढ़िया वोटों से लीड करेंगे। कई जगहों पर दोनों प्रत्याशियों के बीच मतों का बराबर विभाजन हो सकता है।
आंकड़ों में जीत का अनुमान
वोटों का तुलनात्मक अध्ययन और अनुमान के अनुसार, भाजपा के प्रत्याशी रजनीश कुमार को करीब 84 हजार, 593 वोट हासिल हो सकता है। वहीं भाकपा के प्रत्याशी रामरतन सिंह को करीब 91 हजार 926 को मत मिल सकता है। इस तरह अगर देखें तो तेघड़ा विधानसभा क्षेत्र में भाकपा के रामरतन सिंह कम से कम 7 हजार वोटों से चुनाव जीत सकते हैं।

महागठबंधन (RJD/CPI) के लिए प्रतिष्ठा की सीट
महागठबंधन (RJD/CPI) के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट है। एक अनुमान के अनुसार, SC, यादव और मुस्लिमों ने सीपीआइ प्रत्याशी को वोट दिया है। हालांकि इस बार SC वोट का थोड़ा बिखराव हुआ है जो लोजपा प्रत्याशी की ओर गया। बावजूद यहां लोकल फॉर वोकल का मुद्दा भयंकर हावी रहा। सूर्यकांत पासवान स्थानीय निवासी हैं जबकि संजय पासवान बखरी के निवासी तो हैं लेकिन स्थायी रूप से तीन-चार दशकों से बेगूसराय शहर में रहते हैं। इस मुद्दे से लोजपा के प्रत्याशी संजय पासवान पार नहीं पा सके। चुनावी रेस में शुरू से ही संजय पासवान काफी पीछे चल रहे थे, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बदौलत अंतिम समय में उनकी दौड़ तेज जरूर हुई। वे कितने तेज दौड़े और कहां तक दौड़े यह तो 14 नवंबर को EVM ही बता देगा।
NDA को हानि कहां से पहुंचा
यह सीट भाजपा को नहीं मिलने से भाजपाई नाराज हो गए। निर्दलीय ही मैदान में उतर गए। हालांकि बाद में नाम वापस जरूर ले लिया, लेकिन वोटिंग में भीतरघात से इंकार नहीं किया जा सकता। भाजपा कार्यकर्ता को टिकट नहीं मिलने और भाजपा कार्यकर्ता के निर्दलीय उतरने से माहौल लोजपा के खिलाफ गया।
वोटों के गणित को समझिए
इस विधानसभा क्षेत्र में बखरी का संपूर्ण इलाका और बलिया का कुछ हिस्सा आता है। कुल 366 मतदान केंद्र हैं। इनमें से 294 मतदान केंद्र बखरी में और 72 मतदान केंद्र बलिया में हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में महतो (13.3 फीसदी), मुस्लिम (10.7 फीसदी), पासवान (8.7 फीसदी), और यादव (7.8 फीसदी) प्रमुख जातीय समूह हैं। इनके अलावा, भूमिहार (5.6 फीसदी), सहनी (3.8 फीसदी), ब्राह्मण (1.7 फीसदी), बनिया (1.6 फीसदी), और कायस्थ (0.1 फीसदी) हैं।













