बेगूसराय | बेगूसराय-समस्तीपुर जिले की सीमा पर अवस्थित गढ़पुरा प्रखंड मुख्यालय से दो कि.मी दूर चंद्रभागा नदी के तट पर हरिगिरिधाम शिव मंदिर वर्षों से लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है। यह स्थल सैकड़ों वर्ष पूर्व साधना का केंद्र था। इसी क्रम में संत-महात्माओं ने मंदिर का निर्माण किया था। कहते हैं कि प्राचीनकाल में यहां घने वन हुआ करते थे। नदी किनारे शमशान घाट समीप अघोरियों का जमावड़ा लगता था। यह तंत्र विद्या का केंद्र भी था।
तीन महात्माओं की हैं समाधियां
इसी जगह तीन महात्माओं की समाधियां हैं जिनमें तामरी बाबा, मनधारी बाबा और हरिगिरि बाबा प्रमुख हैं। महात्माओं में हरिगिरि बाबा सबसे तेजस्वी थे। शरीर त्याग किया तो उनके अनुयायियों ने इस जगह का नाम हरिगिरि मठ रख दिया। बाद में यह स्थल हरिगिरिधाम के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह मंदिर शिवभक्तों की मनोकामना पूर्ण होने का केंद्र बिन्दु बन गया है। इस मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए अधिक भीड़ महाषिवरात्री तथा श्रावणी मेला के प्रत्येक सोमवारी को देखने को मिलता है। श्रावणी मेले के दौरान सिमरिया घाट से गंगा जल भरकर 58 कि.मी. की पद यात्रा कर बोलबम के नारों से हरिगिरिधाम स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। फिलहाल हरिगिरिधाम में आयोजित श्रावणी मेला का आयोजन राज्य मेला प्राधिकार द्वारा किया जाता है। इसे राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त है। प्रदेश के कोने-कोने के अलावे बगल के पड़ोसी देश नेपाल से भी श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए यहां पहुंचते हैं। यहां टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स का निर्माण सरकार ने कराया जा रहा है।