एजेंसी/नई दिल्ली | दो दिन पहले आबकारी नीति मामले में जमानत पर बाहर आए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के एक बयान ने सियासी पारा गरमा दिया है। 15 सितंबर को रविवार वाले दिन कार्यकर्ताओं के संबोधन में उन्होंने यह कह राजधानी में हलचल पैदा कर दी कि अगले दो दिन में मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा। उन्होंने कहा कि जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती, मैं सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। मैं हर घर और गली-गली में जाऊंगा और जब तक मुझे जनता से फैसला नहीं मिल जाता तब तक मैं सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार में उप-मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया भी तभी अपना पद संभालेंगे जब जनता अपना फैसला सुना देगी। केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा के लिए फरवरी की जगह नवंबर में चुनाव कराने की भी मांग की है। नया मुख्यमंत्री कौन होगा इसके लिए विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी।
बीजेपी बोली : ये जुर्म का इकबालिया बयान है
बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस कांफ्रेंस में केजरीवाल से पूछा कि आपको इस्तीफा देने के लिए 48 घंटे का समय क्यों चाहिए। आखिर इन दो दिनों में क्या-क्या सेटल करना है। आप देश के पहले मुख्यमंत्री हैं, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फाइल साइन करने, कार्यालय जाने से रोक लगाई है। जब कोई सरकारी काम नहीं करना तो फिर क्या राज है जिसके लिए 48 घंटे की मांग की जा रही है। वहीं केजरीवाल ने इस्तीफे की बात की, तो हम कह सकते हैं कि ये उनके जुर्म का इकबालिया बयान है। आपने मान लिया कि आप पर जो आरोप थे वो इस लायक हैं कि आप पद पर नहीं रह सकते।’
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अरविंद केजरीवाल को थेथर कहा
अपने तीन दिवसीय दौरे पर रविवार को बेगूसराय संसदीय क्षेत्र पहुंचे केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अरविंद केजरीवाल को थेथर कहा। कहा कि वे इमोनशल कार्ड खेल रहे हैं। जमानत मिलने पर कह रहे कि मेरी जीत हुई है। वे जमानत पर जेल से ऐसे निकले हैं जैसे राष्ट्र का निर्माण करना है।
क्या कुछ कहा केंद्रीय मंत्री ने सुनिए…
राजनीतिक विश्लेषक राजेश्वर राय बता रहे इस्तीफे के मायने
1. आबकारी नीति केस में केजरीवाल 177 दिन बाद जेल से बाहर आए। सुप्रीम कोर्ट ने शर्त रखी कि वो CM ऑफिस नहीं जाएंगे और न ही कोई फैसले लेंगे। मतलब सीएम रहते हुए भी उनके पास कोई अधिकार नहीं रहेगा।
2. दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी में खत्म होगा। कार्यकाल खत्म होने के दौरान सरकार कई तरह की चुनावी फैसले लेती है। कोर्ट की शर्तों से बंधे होने के कारण अरविंद केजरीवाल ऐसा कुछ नहीं कर सकते।
3. केजरीवाल के गिरफ्तार होने के बाद से ही भाजपा समेत अन्य पार्टियां इस्तीफे की मांग कर रही थीं। अब जमानत पर बाहर आने के बाद इस्तीफे की घोषणा की। चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल खुलकर यह बात कह सकेंगे कि मैंने इस्तीफा दे दिया।
अगला सीएम कौन होगा यह बड़ा सवाल; प्रमुख दावेदारों में आतिशी, सौरभ भारद्वाज, कैलाश गहलाेत और पत्नी सुनीता
मुख्यमंत्री के लिए प्रबल दावेदारों में दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी पहले स्थान पर हैं। उनकी गिनती केजरीवाल की सबसे विश्वसनीय नेताओं में की जाती है। मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद उन्होंने ही शिक्षा विभाग और दिल्ली का बजट भी संभाला। वह कालकाजी सीट से विधायक हैं और दिल्ली सरकार में शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, संस्कृति और पर्यटन मंत्री हैं।
दूसरे प्रबल दावेदार ग्रेटर कैलाश से विधायक सौरभ भारद्वाज हैं। सौरभ सरकार में स्वास्थ्य, शहरी विकास और पर्यटन मंत्री हैं। वे संयमित व्यवहार के लिए जाने जाते हैं, जो उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए मजबूत दावेदार बनाता है।
तीसरा नाम कैलाश गहलोत का है, जो परिवहन और पर्यावरण मंत्री हैं। कैलाश नजफगढ़ विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके पास प्रशासनिक सुधार, परिवहन, राजस्व, कानून, महिला और बाल विकास तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग की जिम्मेदारी है।
मुख्यमंत्री के दावेदारों में केजरीवाल की पत्नी सुनीता की भी चर्चा है, हालांकि इनका चांस कम लग रहा है। क्योंकि सुनीता अगर सीएम बनती हैं तो केजरीवाल पर परिवारवाद का आरोप लगेगा जो पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है। क्योंकि अभी हरियाणा में चुनाव है और पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है। फरवरी के आसपास ही दिल्ली का विधानसभा चुनाव होगा। पत्नी सुनीता सीएम बनीं तो पार्टी को नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि जब केजरीवाल गिरफ्तार हुए थे उस समय सुनीता ने पार्टी के लिए अहम भूमिका निभाई थी। लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन की रैली में भी शामिल हुई थीं।