- नौ सीटों पर होना है विधानसभा का उपचुनाव
- कांग्रेस 5 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी
- सपा ने 2 सीटें दीं, लेकिन मनमाफिक नहीं
- कांग्रेस ने अपनी स्थिति देख एक भी उम्मीदवार नहीं दिए
लखनऊ | उप्र की नौ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने अंतत: एक भी उम्मीदवार न उतारकर सपा को समर्थन करने का दाव चला है। इससे यदि समाजवादी पार्टी उप चुनाव में हार जाती है तो अगले विधानसभा चुनाव में अधिकतम सीटों के लिए कांग्रेस दबाव बना पाएगी। समाजवादी पार्टी भी सीटें जीतने के लिए इस समय काफी मेहनत कर रही है, क्योंकि वह भी समझती है कि इस चुनाव पर बहुत हद तक उसका भविष्य टिका है। उधर, भाजपा के लिए भी यह चुनाव काफी अहमियत रखता है।
कांग्रेस : 5 सीटों पर दावेदरी, मिली 2 सीटें
यह बता दें कि कांग्रेस पार्टी विधानसभा उपचुनाव में पहले 5 सीटों की दावेदारी कर रही थी। इसके लिए उसने लोकसभा चुनाव के बाद ही सभी चुनाव होने वाले 10 विधानसभा सीटों पर अपने प्रभारी भी नियुक्त कर दिए थे। जमीनी स्तर पर भी काफी काम चल रहा था, लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं लगा। बाद में दोनों पार्टियों के बीच जब बात शुरू हुई तो कांग्रेस 2 सीटों पर भी मान गई, लेकिन 2 सीटें अपने मन-माफिक लेना चाहती थी। कांग्रेस की मांग थी कि उसे फुलपुर और मझवां (मिर्जापुर जिले की सीट) दिया जाए, क्योंकि कांग्रेस को पता है कि यही दो सीटें हैं, जहां हार भी होती है तो उसे सम्मानजनक वोट मिल जाएगा।
जो 2 सीटें दी गई वह भी मनमाफिक नहीं
इस मामले में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस की इच्छा पूरी नहीं की और दोनों सीटों पर पहले ही अपने उम्मीदवार उतार दिए। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने गाजियाबाद और खैर सीट (अलीगढ़ जिले में) को कांग्रेस के लिए छोड़ दिया। कांग्रेस जानती है कि वहां पर वह सम्मानजनक वोट भी नहीं पा सकती। यदि ठीक वोट नहीं मिले तो आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव में सपा के सामने उसे झुकना पड़ेगा। सपा जितना सीटें देगी उतने पर ही उसको मानने को मजबूर होना पड़ जाएगा।
सपा : कांग्रेस से बिना विचार किए प्रत्याशी उतारे
इस बीच समाजवादी पार्टी भी कांग्रेस से हरियाणा चुनाव, फिर महाराष्ट्र को लेकर नाराज चल रही है। इसका कारण है कि बार-बार कहने के बावजूद कांग्रेस ने हरियाणा में सपा के लिए एक सीट भी नहीं दी। यही नहीं अखिलेश यादव से इस मुद्दे पर कांग्रेस के बड़े नेताओं ने बात करना भी उपयुक्त नहीं समझा। इस उप्र के उपचुनाव में सपा को इसका भी बदला लेना था और बिना कांग्रेस का विचार लिये उसने अपने मनमाफिक सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिये।
एक ठग ने महाठग को ठग लिया : भाजपा
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला का कहना है कि यह कांग्रेस और सपा का अंदरूनी मामला है। एक ठग ने महाठग को ठग लिया। उप्र की सभी सीटों पर भाजपा की जीत होगी। भविष्य में जल्द ही कांग्रेस और सपा का ठगबंधन खत्म हो जाएगा, क्योंकि दोनों पार्टियां झूठ पर आधारित राजनीति करने वाली हैं। झूठ का सहारा लेकर लोगों को बहुत दिनों तक नहीं बरगलाया जा सकता है।