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Education : सीखने और बोलने में मातृभाषा सहजता का भाव पैदा करती है : डॉ. कामायनी

जिस प्रकार बालक के शारीरिक मानसिक विकास के लिए मां की दूध की अत्यधिक आवश्यकता होती है उसी प्रकार बच्चों को सीखने व बोलने में मातृभाषा सहजता का भाव पैदा करता है।
  • गंगा ग्लोबल बीएड कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर समारोह का आयोजन

बेगूसराय | जिस प्रकार बालक के शारीरिक मानसिक विकास के लिए मां की दूध की अत्यधिक आवश्यकता होती है उसी प्रकार बच्चों को सीखने व बोलने में मातृभाषा सहजता का भाव पैदा करती है। ये बातें गंगा ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन कॉलेज की प्राध्यापक डॉ. कामायनी ने कहीं। मौका था अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का। कॉलेज के दिनकर सभागार में आयोजित समारोह की कार्यक्रम संयोजक डॉ. कामायनी ने कहा कि मातृभाषा में सीखने व सिखाने की गति तीव्र होती है।

गंगा ग्लोबल बीएड कॉलेज के प्राचार्य।

व्यक्ति के जीवन को सहज बनाती है मातृभाषा : प्रो. विपिन
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रो. विपिन कुमार ने कहा कि मातृभाषा व्यक्ति के जीवन को सहज़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अपनी मातृभाषा में संवाद करने में लोग आत्म-संतुष्टि, अपनत्व, आत्मिकता का अनुभव करते हैं। इसलिए अपनी मातृभाषा को बोलने व लिखने में अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी प्रशिक्षुओं एवं प्राध्यापकों का बड़ा योगदान है। समारोह में प्राध्यापक सुधाकर पांडेय, विपिन कुमार, डॉ. अंजलि, अमर कुमार, डॉ. अनीता ने भी अपने विचारों को रखा। मंच संचालन गौरव एवं रौशन ने संयुक्त रूप से किया। इसके अलावा सत्र 2024-2026 के प्रशिक्षु प्रीति, सौरभ, अदिति, रौशन, रिया, अंजली आदि ने भी अपने विचारों को रखा।

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Author: newsvistabih

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