- दशकों पुराने खतियान में दर्ज भूमि किस्म एवं भूमि की वर्तमान उपयोगिता में भारी अंतर
- महाधिवक्ता की सलाह के बाद सभी प्रमंडलीय आयुक्त एवं समाहर्ता को भेजा गया पत्र
पटना | राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने राष्ट्रीय उच्च पथ (national High Way) परियोजनाओं के लिए किए जानेवाले भू-अर्जन की कार्रवाई में भूमि के किस्म/वर्गीकरण निर्धारण को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्तों एवं जिला समाहर्ताओं को आदेश जारी किया है। उन्होंने कहा है कि भू अर्जन की कार्रवाई में महाधिवक्ता के परामर्श के अनुसार कार्य किया जाएगा।
अब तक क्या होता था : भूमि का वर्गीकरण खतियान में दर्ज किस्म के आधार पर किया जाता रहा है, लेकिन लगभग 100 वर्ष पुराने खतियान में दर्ज भूमि किस्म एवं भूमि की वर्तमान उपयोगिता में भारी अंतर के कारण रैयतों की आपत्ति और राष्ट्रीय उच्च पथ प्राधिकरण के साथ विवाद उत्पन्न होते रहे हैं। इससे परियोजनाओं को समय से पूरा करने में परेशानी होती थी।
महाधिवक्ता बोले : भूमि का वास्तविक बाजार मूल्य ही आधार हो
महाधिवक्ता ने एनएच एक्ट, 1956 की धारा 3जी तथा भू-अर्जन अधिनियम, 2013 की धारा 26 से 30 का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि प्रतिकर निर्धारण में खतियान पर निर्भरता उचित नहीं है। भूमि का वास्तविक बाजार मूल्य ही आधार होना चाहिए। इंडियन स्टांप एक्ट, 1899 में निहित प्रावधानों एवं मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा निर्गत निर्देशों के आलोक में मूल्य निर्धारण किया जाना आवश्यक है।
प्रेस विज्ञप्ति
07.09.25निबंधन विभाग के वर्गीकरण के हिसाब से होगा राष्ट्रीय उच्च पथ परियोजनाओं में भुगतान@NitishKumar @sanjay_saraogi @IPRDBihar #press#release#biharbhumi #biharrevenueandlandreformsdept pic.twitter.com/zmZrqJuDy0
— Revenue and Land Reforms Department (@BiharRevenue) September 7, 2025