जम्मू-कश्मीर। 29 जून से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा 19 अगस्त 2024 तक चलेगी। इसे सबसे कठिन यात्राओं में से एक माना जाता है। यात्रा का आयोजन जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से किया जाता है। बाबा बर्फानी की गुफा 3,888 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा बर्फानी का दर्शन करने आते हैं। अमरनाथ की खासियत यहां के पवित्र गुफा में बर्फ से शिवलिंग का बनना है। यह यात्रा पहलगाम से शुरू होकर चंदनावड़ी तक जाती है। यह पवित्र यात्रा आषाढ़ महीने से शुरू होकर श्रावण पूर्णिमा तक चलती है। श्रद्धलुओं के लिए पहलगाम और बालटाल दो रास्ते बनाए गए हैं।
जानिए, कहां से शुरू होती है यात्रा
अमरनाथ यात्रा पहलगाम से शुरू होकर चंदनवाड़ी तक जाती है। इस यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराना हर किसी के लिए जरूरी होता है। पूरे यात्रा मार्ग में चप्पे-चप्पे पर पुिलस बल की तैनाती रहती है। यात्रा शुरू होने से पहले प्रशासन की ओर से सभी श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य जांचा जाता है। इस जांच में सबकुछ सही िमलने पर ही उन्हें यात्रा की अनुमति दी जाती है।
मां पार्वती को बताया था अमरत्व का रहस्य
हिंदू धर्म में अमरनाथ यात्रा को बेहद शुभ माना गया है। कहा जाता है कि इस जगह पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व के रहस्य को बताया था। मान्यता है कि इस यात्रा के करने से इंसान के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष प्राप्त होता है।
अमर होने की कथा सुनते-सुनते सो गई थीं मां पार्वती
कहा जाता है कि एक बार पार्वती जी ने शिव जी से कहा था कि, आप अजर-अमर हैं और मुझे हर जन्म के बाद आपको पाने के लिए नए स्वरूप में आना होगा और फिर कठोर तपस्या कर आपको प्राप्त करना होता है। आपके अमर होने का रहस्य क्या है? मां पार्वती की बात सुनकर शिव जी ने उनसे एकांत और गुप्त स्थान पर अमर कथा सुनने को कहा। ऐसा भगवान शिव ने इसलिए कहा ताकि कोई उनकी अमर कथा न सुन पाए, क्योंकि जो उस कहानी को सुन लेता वह अमर हो जाता। यह जगह अमरनाथ की गुफा ही थी, जहां शिव जी मां पार्वती से ये रहस्य की बात कर रहे थे। कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने मां पार्वती को कहानी सुनाना शुरू किया तो उसमें सबसे बड़े रहस्यों का भी जिक्र था। कथा सुनते-सुनते माता पार्वती सो गईं, लेकिन महादेव को इसका आभास नहीं हुआ और वह कथा सुनाते रहे।
महादेव ने कथा सुन रहे दो कबूतरों को प्राणदान दिया
कहा जाता है कि इस गुफा में पहले से दो सफेद कबूतर मौजूद थे, जो कथा सुन रहे थे। जब भगवान शिव ने देखा कि उनकी कथा दोनों कबूतर ने सुन ली है तो वह उनका वध करना चाहते थे। इस पर कबूतरों ने कहा कि महादेव अगर आप हमें मार देंगे तो आपकी अमर कथा का महत्व नहीं रह जाएगा। कबूतरों की बात सुन महादेव ने उन्हें प्राणदान दे दिया। भोलेनाथ ने कहा कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव पार्वती के प्रतीक चिन्ह के रूप में निवास करोगे। तभी से लेकर ऐसी मान्यता है कि यह कबूतर का जोड़ा अमर हो गया और कई श्रद्धालुओं ने उन्हें यहां पर देखने का दावा भी किया है।
- कौन-कौन से लोग कर सकते हैं अमरनाथ यात्रा
अमरनाथ श्राइन बोर्ड हर किसी को यात्रा करने की अनुमति नहीं देता। इसलिए यह जानना जरूरी है कि कौन-कौन से लोग इस यात्रा को कर सकते हैं।
1. 13 साल से कम आयु वाले बच्चे और 70 वर्ष से अधिक के बुजुर्ग यात्रा नहीं कर सकते।
2. जो महिलाएं छह सप्ताह से अधिक की गर्भवती हैं उन्हें तीर्थयात्रा करने की अनुमति नहीं है।
3. यात्रा के दौरान नंगे पैर नहीं चलने और ऊनी कपड़ों के बिना न रहने की हिदायत दी जाती है।
4. महिलाओं को साड़ी के बजाय सलवार कमीज, पैंट-शर्ट या ट्रैक सूट पहनने की सलाह दी जाती है।
5. खाली पेट यात्रा न शुरू करें, इससे गंभीर चिकित्सा परेशानी हो सकती है।
6. श्रद्धालु मौसम की स्थिति को देखते हुए पवित्र गुफा में रातभर न रुकें - इनका भी खास ख्याल रखें
1. यात्रा से कम से कम एक महीने पहले, प्रतिदिन लगभग 4-5 किलोमीटर की सुबह/शाम की सैर शुरू करनी चाहिए।
2. ऑक्सीजन दक्षता में सुधार के लिए गहरी सांस लेने के व्यायाम और योग करें।
3. कोई डॉक्टरी समस्या है तो उच्च ऊंचाई पर जाने से पहले अपने डॉक्टर से आवश्यक जांच जरूर करवाएं।
4. डिहाइड्रेशन और सिरदर्द से निपटने के लिए पानी खूब पिएं।