Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

Download App from

प्रेमचंद भारतीय उपमहाद्वीप के सर्वाधिक पठनीय और प्रासंगिक गद्यकार : विनीताभ

बेगूसराय।  जनवादी लेखक संघ, जिला इकाई, बेगूसराय द्वारा उर्दू-हिन्दी के अमर कथाकार-उपन्यासकार प्रेमचंद की जयंती की पूर्व संध्या पर बुधवार को स्थानीय पावर हाउस रोड स्थित माध्यमिक शिक्षक संघ के परिसर में ‘प्रेमचंद : साहित्य का उद्देश्य’ विषय केन्द्रित परिसंवाद का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता संगठन के जिला- अध्यक्ष और स्थानीय गणेश दत्त महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डा राजेन्द्र साह ने की जबकि सचिव राजेश कुमार ने संचालन किया। उपाध्यक्ष अभिनन्दन झा ने विषय- विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि प्रेमचंद के अनुसार, वास्तव में सच्चा आनन्द सुन्दर और सत्य से मिलता है। उसी आनन्द को दर्शाना, वही आनन्द उत्पन्न करना, साहित्य का उद्देश्य है। जलेस के राज्य सचिव कुमार विनीताभ ने कहा कि प्रेमचंद भारतीय उपमहाद्वीप के सर्वाधिक पठनीय और प्रासंगिक गद्यकार हैं। वे मानते थे कि साहित्य, देशभक्ति और राजनीति के आगे मशाल दिखाती हुई चलने वाली सच्चाई है।

प्रेमचंद चाहते थे कि साहित्य लोगों को जगाए : डा. अभिषेक कुन्दन

जी.डी. कालेज के हिन्दी प्राध्यापक डा. अभिषेक कुन्दन ने कहा कि प्रेमचंद चाहते थे कि साहित्य लोगों को जगाए, उनमें समाज और उसकी दमनकारी व्यवस्था को चुनौती देने की इच्छा पैदा करे और सबसे बढ़कर, वे चाहते थे कि यह “एक विशेष वर्ग के बंधनों” से मुक्त हो। इसी कालेज के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो जिक्रुल्लाह खान ने कहा कि प्रेमचन्द की मान्यता है कि साहित्य का चाहे जो भी रूप या विधा हो, उसका उद्देश्य ‘हमारे जीवन की आलोचना और व्याख्या’ होना चाहिए। जलेस के पूर्व जिला अध्यक्ष डॉ० भगवान प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रेमचंद भारत के विख्यात साहित्यकारों में से एक हैं जिन्होंने हिंदी साहित्य को एक नयी दिशा दी। वे आदर्शवादी और यथार्थवादी विचारधारा के समर्थक थे। कालेजिएट +2 के हिन्दी प्रवक्ता डा० निरंजन कुमार ने कहा कि प्रेमचंद के द्वारा लिखित उपन्यासों, कहानियों और नाटकों में समाज, राजनीति, धर्म, नैतिकता और मानवता जैसे मुद्दों को बहुत ही संवेदनशीलता से दिखाया गया है।

प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में मुहावरों और लोकोक्तियों का बखूबी प्रयोग किया

पने अध्यक्षीय वक्तव्य में डा राजेन्द्र साह ने कहा कि प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में मुहावरों और लोकोक्तियों का बखूबी प्रयोग किया है, जबकि भाषा शैली सरल, सहज और हृदय को छू लेने वाली है। उनके लेखन की सबसे बड़ी विशेषता उनकी रचनाओं के पात्र हैं, जो उनके अपने परिवेश से लिए गए जान पड़ते हैं।

इनलोगों ने किया सम्बोधित 

इस परिसंवाद में जलेस के उपाध्यक्ष प्रो चन्द्रशेखर चौरसिया, संरक्षक जनकवि दीनानाथ सुमित्र, प्रलेस के पूर्व जिला सचिव ललन लालित्य, कमल वत्स, जनकवि दीनानाथ सुमित्र, कर्मचारी नेता शशिकांत राय, किसान नेता दयानिधि चौधरी समेत कई ने अपने विचार व्यक्त किया। जलेस के वरिष्ठ सदस्य उमेश कुंवर ‘कवि’ ने धन्यवाद ज्ञापित किया। युवा कवयित्री रूपम झा ने अपने नवगीत सुनाकर माहौल को गीतमय करने में भरपूर सफलता पायी।

मौके पर ये लोग थे मौजूद 

मौके पर डा ललिता कुमारी, रजनीश भारती, सुरेश यादव, रत्नेश झा, सूर्य नारायण रजक, अजय यादव, रमेश प्रसाद सिंह, विनोद कुमार, रणजीत यादव, शंभू देवा, एस मनोज, मिथिलेश कांति, समेत अन्य कई साहित्यप्रेमी मौजूद थे।

newsvistabih
Author: newsvistabih

Leave a Comment

Share this post:

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

HUF Registration Services In IndiaDigital marketing for news publishers

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: wetter in Indien morgen

राशिफल

error: Content is protected !!