- अंतरराष्ट्रीय सितार वादक पंडित कुशल दास ने मोहा मन
- उज्जवल भारती ने तबले पर किया संगत
बेगूसराय | शास्त्रीय संगीत जब बजता है ताे मन के तार खुद झंकृत होने लगते हैं। शुक्रवार को कुछ ऐसा ही हाल था भारद्वाज गुरुकुल परिसर में। यहां जब अंतरराष्ट्रीय सितार वादक पंडित कुशल दास ने सितार वादन शुरू किया और तबले पर उज्ज्वल भारती ने संगत दी तो पूरा परिसर सुर और ताल में झूमने लगा था। मौका था स्पीक मैके के तहत पंडित कुशल दास के सितार वादन का। उन्होंने जब भारत रत्न पंडित रविशंकर के राग परमेश्वरी को 16 मात्रा तीन ताल पर बजाना शुरू किया तो सितार के तार से मन कोना-कोना झूम उठा। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर भारद्वाज गुरुकुल के संस्थापक जवाहरलाल भारद्वाज, पंडित कुशल दास, उज्ज्वल भारती, जीडी कॉलेज के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. शशिकांत पाण्डेय, विश्वजीत कुमार, सूरज कुमार ने किया।
बच्चों से कहा- संगीत, मन को एकाग्र करने का सबसे सशक्त माध्यम
लगातार 45 मिनट के सितार वादन के उतार-चढ़ाव पर सभागार में तालियां बजती रहीं। पंडित कुशल दास ने बच्चों से कहा कि आप शास्त्रीय संगीत को सुनिए और इसका विस्तार कीजिए। आज कानफोड़ू संगीत जहां विभिन्न बीमारियों की जड़ है, वहीं शास्त्रीय संगीत हमारे देश की आत्मा है। संगीत हमारे लिए मन को एकाग्रचित करने का सबसे सशक्त माध्यम है। उन्होंने बच्चों को शास्त्रीय संगीत के विभिन्न रागों से रूबरू कराया।
शास्त्रीय संगीत से सबको जुड़ने की जरूरत : शिवप्रकाश
स्पीक मैके के जिला समन्वयक शिवप्रकाश भारद्वाज ने कहा कि आज दुनिया में वर्चस्व की लड़ाई है, जब दुनिया धन के पीछे भाग रही है। तब संगीत ही है जो हमें इस दौर से निकाल सकता है। उन्होंने कहा कि आज हम सबको शास्त्रीय संगीत से जुड़ने की जरूरत है तभी हम अपने आप को बचा सकते हैं। बताया कि स्पीक मैके पांच दशक से ऐसे कार्यक्रम के माध्यम से देश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में जुटा है।वहीं भारद्वाज गुरुकुल के संस्थापक जवाहरलाल भारद्वाज ने कहा कि हम सबको प्रकृति प्रेम से जुड़ना होगा, साथ ही संगीत के श्रवण से हम अपने आपको बेहतर बना सकते हैं। इस अवसर पर दोनों कलाकारों का सम्मान अंगवस्त्र से किया गया। इस अवसर पर कलाकार दामिनी मिश्रा, सदानन्द मिश्रा सहित अन्य उपस्थित थे।
जानिए, पंडित कुशल दास के बारे में
कुशल दास का जन्म कलकत्ता के समृद्ध संगीत परिवार में हुआ था। दादा स्व. विमल चंद्र दास प्रसिद्ध यसराज वादक थे। पिता सेलेन दास और चाचा शांतनु दास चर्चित सितार वादक हैं। कुशल दास 5 साल की उम्र से ही सितार बजाने लगे थे।