- कटिहार में आयोजित प्रतियोगिता में 7 राउंड में 6 अंक हासिल किए
- जयेश ने 5 मैच जीते जबकि 2 मैच ड्रॉ खेले
- अब नेशनल चैंपियनशिप में राज्य का करेंगे प्रतिनिधित्व
बेगूसराय | सफेद और काले वर्गाकार आकृति पर 64 खानों का खेल। मतलब शतरंज। सीधे शब्दों में कहें तो शह और मात का खेल। इस खेल में जिस गति से घड़ी चल रही होती है उससे कहीं अधिक गति में आपको अगली चाल सोचनी होती है। इसी गति को बरकरार रखते हुए दरभंगा के जयेश मिश्रा ने राज्य स्तरीय शतरंज प्रतियोगिता (U-13) में दूसरा स्थान हासिल किया है। जयेश अब राष्ट्रीय चैंपियनशिप में राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे। राष्ट्रीय चैंपियनशिप संभवत: पश्चिम बंगाल में अक्टूबर में होगी।
बताते चलें कि कटिहार के अग्रसेन भवन में जिला शतरंज संघ और मारवाड़ी यंवा मंच के संयुक्त तत्वावधान में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। प्रतियोगिता में प्रदेश के करीब 153 बच्चों ने हिस्सा लिया। लड़कों के 7 राउंड और लड़कियों के लिए 6 राउंड खेले गए। दरभंगा के जयेश ने 5 राउंड जीते और 2 राउंड ड्रॉ खेले। उसने 7 राउंड में कुल 6 अंक हासिल किए। टूर्नामेंट में मुजफ्फरपुर के तेजस शांडिल्य को प्रथम स्थान हासिल हुआ। कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल और अन्य अतिथियों ने खिलाड़ियों को प्रमाण पत्र और ट्रॉफी प्रदान की।
जयेश बने ऐरिना कैंडिडेट मास्टर
इसी बीच जयेश को ऐरिना कैंडिडेट मास्टर का सर्टिफिकेट भी हासिल हुआ है।
जयेश ने जनवरी 2024 से शतरंज खेलना शुरू किया
जयेश मिश्रा ने जनवरी 2024 से शतरंज सीखना शुरू किया। उन्होंने 7 जनवरी को दरभंगा के किलकारी बाल भवन में प्रशिक्षक साकेत कुमार से प्रशिक्षण लेना शुरू किया। 17 जनवरी 2024 को किलकारी स्पोर्ट्स मीट में चैंपियन बने। इसके बाद फरवरी 2024 में पटना में आयोजित स्कूल नेशनल टूर्नामेंट खेला। मार्च में गुवाहाटी में फर्स्ट सकतम टूर्नामेंट और लखीसराय में भी टूर्नामेंट खेला। अप्रैल माह में फीडे ने अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग प्रदान की।
लॉकडाउन में भाई के साथ खेलना शुरू किया फिर छोड़ दिया
कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जयेश ने बड़े भाई के साथ घर में ही शतरंज खेलना शुरू किया था। पिता सुशान्त कुमार ने शतरंज खेलते देखा तो पास बैठ गए। उसकी बारीकियां देखी तो वो जयेश के साथ खेलने लगे। करीब 10-15 दिनों में जयेश उन्हें भी पछाड़ने लगा। बाद में पढ़ाई का दबाव होने पर उसने शतरंज खेलना छोड़ दिया। कुछ दिनों में बातों ही बातों में जयेश के छोटे चाचा दिशान्त कुमार ने टेलीफोन पर ही शतरंज के बारे में पूछा तो बताया कि अब नहीं खेलते। चाचा दिशान्त ने उसे ऑनलाइन शतरंज खेलने को प्रोत्साहित किया। इसके बाद जयेश की चाल गति पकड़ने लगी।