वनांचल की राजनीति इन दिनों रंग में है। यह रंग आक्रामकता की है, तेवर की है, बड़बोलेपन की है। झारखंड सरकार ने असम के मुख्यमंत्री व झारखंड भाजपा सह चुनाव प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा के झारखंड में दिए जा गए वक्तव्यों/भाषणों के विरुद्ध निर्वाचन आयोग को 116 पन्ने का शिकायत पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि उनके भाषण/ वक्तव्यों से समाज में अनावश्यक वैमनस्य,अस्थिरता और तनाव पैदा हो रहा है। उधर इस पर बिफरते हुए हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि अब जब तक झारखंड विधानसभा चुनाव संपन्न नहीं होता जाता, झारखंड छोड़ने वाले नहीं हूं। इससे उन्होंने आत्मविश्वास से लबरेज होते हुए रांची में पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस और झामुमो के 17 विधायक हमारे संपर्क में हैं। सबको बीजेपी में शामिल करा लिया तो पार्टी नाराज हो जाएगी।
झामुमो और भाजपा का शक्ति परीक्षण
वैसे तो 30-31 अगस्त के बाद चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के साथ ही वनांचल की राजनीति ‘शक्ति प्रदर्शन’ मोड में आ गई है। चंपाई के भाजपा में शामिल होने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एवं राहुल गांधी से मुलाकात की। लौटते ही रांची में अपनी अति महत्वाकांक्षी मईंया योजना की धमाकेदार शुरुआत की। इसके जवाब में सभी संसाधनों से लैस भाजपा ने कोल्हान प्रमंडल के सिंहभूम में एक बड़ी जनसभा कर अपनी शक्ति का अहसास कराया।
कांग्रेस भी माहौल को गरम करने में जुटी
इसी गहमागहमी के माहौल में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने झारखंड के सभी 14 लोकसभा क्षेत्रों के लिए पर्यवेक्षक की नियुक्ति के साथ विधानसभा चुनाव से पहले सभी बूथ कमेटियों को दुरुस्त कर बूथ लेवल एजेंटों के माध्यम से पांचों न्याय की बातों को जनता तक पहुंचाने का निदेश प्रांतीय कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश को दिया। साथ ही, प्रदेश कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष गिरीश चोड़नकर व दो अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओंे को आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए रांची भेजा।
कुल मिलाकर क्या स्थिति है यह समझिए
विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता आगामी विधानसभा चुनाव के लाभ-लोभ के मद्देनजर अपनी-अपनी रंग में हैं, किंतु असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा झारखंड पर फ़िदा क्यों हैं? इसके निहितार्थ का खुलासा वरिष्ठ पत्रकार मुकेश सिन्हा ने कुछ इस प्रकार किया है :-
हिमंत बिस्वा सरमा की भाजपा में इंट्री उनके जोड़-तोड़ की राजनीति में महारत हासिल होने के कारण हुई। हिमंत बिस्वा सरमा का ऑपरेशन लोटस इन महाराष्ट्र वाया गुवाहाटी में देश ने देखा। इसी करिश्मा के कारण उन्हें पूर्वोत्तर की सेवन सिस्टर्स उपहार स्वरूप मिला। झारखंड में उनकी विशेष रुचि का पता तब लगा जब यहां के तीन विधायक और एक वकील को कोलकाता में करोड़ों के काले धन के साथ पकड़ा गया। कोलकता पुलिस एवं उसके अपराध अनुसंधान विभाग ने इसी जांच में एक व्यवसायी को पकड़ा, जिसका लिंक गुवाहाटी के बड़े व्यवसायी के साथ था, परंतु असम पुलिस के असहयोगपूर्ण रवैये के कारण बंगाल पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा। झारखंड छोटा प्रांत है, लेकिन इसके प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों पर क्रॉनोकैप्टलिस्टों की गिद्ध दृष्टि गड़ी है। इसलिए झारखंड में अपनी लाइन के नेता/सरकार बनाने की जुगत में कभी किसी को इस दल से उस दल में तो कभी इस खेमे से उस खेमे का करतब जारी रहता है। राजनीतिक प्रेक्षक इसी को हिमंत बिस्वा सरमा का झारखंड का फसाना बताया है।
