नई दिल्ली/एजेंसी | उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया। विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए अनुच्छेद 67बी के तहत नोटिस दिया। नोटिस राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी को सौंपा गया। अविश्वास प्रस्ताव पर कुल 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। बता दें कि उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने के लिए न्यूनतम आवश्यक संख्या 50 है। यह पहली बार है, जब किसी राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट कर बताया, “राज्य सभा के माननीय सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण INDIA ग्रुप के सभी घटक दलों के पास उनके खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
क्या कहता है नियम : 14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी
संविधान के अनुच्छेद 67(ख) के मुताबिक, उपराष्ट्रपति को राज्यसभा की ओर से पारित संकल्प द्वारा उसके पद से हटाया जा सकता है, जिसे राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित किया गया हो। मगर 14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी है। इसके अलावा इसे लोकसभा की भी हरी झंडी मिलनी चाहिए। बता दें कि इससे पहले अगस्त महीने में भी कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बनाई थी। मगर बाद में किसी कारणवश इसे टाल दिया गया था।
ALL parties belonging to the INDIA group have had no option but to formally submit a no-confidence motion against the learned Hon’ble Chairman of the Rajya Sabha for the extremely partisan manner in which he has been conducting the proceedings of the Council of States. It has…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 10, 2024
3 thoughts on “politics : विपक्ष ने जगदीप धनखड़ के खिलाफ दिया अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस, राज्यसभा के इतिहास में पहली बार”
Though no confidence motion would be admitted against Chairman of Rajya Sabha as it has been served by requisite number of Rajya Sabha member. But given the strength of opposition parties in Rajya Sabha it is unlikely that Dhankar would be removed from the coveted post. Rajya Sabha Chairman instead of rejecting opposition parties request to raise the Adani issue or Sorosis issue in Rajya Sabha, could have thrown this issue before them to decide whether these issues are pertinent in national interest to be raised in Rajya Sabha.
Coverage is excellent. Main point to discuss is whether there is any discretion given by parliament rules to chairperson to decide while alloting time to members of ruling party and opposition party. It is openly alleged that Rajya Sabha Chairperson adopting double standard in alloting time to speak. Even not alloting time to some members to speak on burning problems. Is it permitted by parliamentary rules? It’s time to look into the provisions of rule. Please work on it to provide adequate light on problems arising often.
तमाम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सदन में संख्या बल बताते हुए अविश्वास प्रस्ताव के गिरने की चर्चा कर रही है। अविश्वास प्रस्ताव लाया क्यों गया ? क्या सभापति धनकड़ जी सचमुच पक्षपात कर रहे हैं या नहीं। इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही है। विपक्ष के आरोप में कितना दम है। हार – जीत अपनी जगह है। मीडिया को देशवासियों के सामने सच्चाई लानी चाहिए।